-सौरभ मालवीय
किसी भी देश, समाज एवं राष्ट्र के विकास की प्रक्रिया के आधारभूत तत्व मानवता, समुदाय, परिवार एवं व्यक्ति ही केंद्र में होता है, जिससे वहां के लोग आपसी भाईचारे से अपनी विकास की नैया को आगे बढ़ाते हैं तथा सुख एवं समृद्धि प्राप्त करते हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्हीं मूल तत्वों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। देश में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में आए हुए आठ वर्ष पूरे हो चुके हैं। इन आठ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां विश्वभर के अनेक देशों में यात्राएं कर उनसे संबंध प्रगाढ़ बनाने का प्रयास किया है, वहीं देश में लोगों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक विकास के लिए जनकल्याण की अनेक योजनाएं प्रारम्भ की हैं। इस समय देश में लगभग डेढ़ सौ योजनाएं चल रही हैं। मोदी सरकार ने विकास का नारा दिया और विकास को ही प्राथमिकता दी।
परिणामस्वरूप देश में चहुंओर विकास की गंगा बह रही है तथा मोदी ही मोदी के जयकारे गूंज रहे हैं।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व काल में देश के अंतिम व्यक्ति तक के जीवन को सुखी एवं समृद्ध करने के सपने को साकार करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। मोदी के शासन में देश ने लगभग सभी क्षेत्रों में उन्नति की है। कृषि, उद्योग, रोजगार, आवास, परिवहन, बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा व्यवस्था, धर्म, संस्कृति, पर्यावरण आदि क्षेत्रों में योगी सरकार ने सराहनीय कार्य किए हैं। विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जा रही है।
वृद्धजन, विधवा एवं दिव्यांगजन को पेंशन के रूप में आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। अनाथ बच्चों के भरण-पोषण की भी व्यवस्था की गई है। जिन परिवारों में कोई कमाने वाला व्यक्ति नहीं है, सरकार उन्हें भी वित्तीय सहायता उपलब्ध करवा रही है। निर्धन परिवार की लड़कियों एवं दिव्यांगजन के विवाह लिए अनुदान प्रदान किया जा रहा है। निराश्रित गौवंश के संरक्षण पर भी सरकार विशेष ध्यान दे रही है। नि:संदेह सरकार अपने वादों पर शत-प्रतिशत खरी उतरी है।
वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र को सर्वोपरि कहते नहीं, अपितु उसे जीते हैं। पिछले कुछ दशकों में भारतीय जनमानस का मनोबल टूट गया था, परन्तु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को नये स्वप्न दिखाए तथा उनमें उनमें रंग भरे। अब लोगों के मनोबल की स्थिति यह है कि उनकी उड़ान दिन-प्रतिदिन ऊंची होती जा रही है, उनके सपनों को नये पंख मिल गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि एक बार जब हम संकल्प करते हैं तो हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर लेते हैं। हमें दूसरों की नकल करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। जब हम अपनी जड़ों से जुड़े होते हैं, तब ही हम ऊंची उड़ान भर सकते हैं, जब हम ऊंची उड़ान भरेंगे तो संपूर्ण विश्व समस्याओं से निपटने का समाधान देंगे।
नरेंद्र मोदी ने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया है। वह दिन-रात्रि देश के लिए ही सोचते हैं, तभी तो अपने जन्मदिन को भी उन्होंने देश सेवा का माध्यम बना दिया। उनके जन्मदिवस 17 सितम्बर के उपलक्ष्य में देशभर में स्वच्छता पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है। 16 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक चलने वाले इस पखवाड़े के दौरान जन जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
लोगों को स्वच्छता का महत्त्व बताया जा रहा है तथा विभिन्न क्षेत्रों की सफाई की जा रही है। साथ ही हरित पर्यावरण एवं स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा पर बल दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त प्लास्टिक कचरे के उन्मूलन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सरकारी कार्यालयों में एवं अन्य संबंधित प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों को स्वच्छता शपथ दिलाई जा रही है। प्रधानमंत्री के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे इस पखवाड़े की देशभर में सराहना हो रही है, क्योंकि प्रधानमंत्री का जन्मदिन केवल व्यक्तिगत आयोजन न होकर देश और समाज के हित के कार्य करने का माध्यम बन गया है।
वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता को एक जन आन्दोलन में परिवर्तित कर दिया है और उसमें पूरे समाज की व्यापक भागीदारी हो रही है। उल्लेखनीय है कि स्वच्छ भारत अभियान प्रधानमंत्री मोदी की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। इसका उद्देश्य व्यक्ति, क्लस्टर और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से खुले में शौच की समस्या को समाप्त करना है। यह अभियान शहरों और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में चलाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2 अक्टूबर, 2014 को दिल्ली के मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन के समीप स्वयं झाड़ू उठाकर स्वच्छ भारत अभियान का प्रारम्भ किया था। इसके पश्चात वह वाल्मिकी बस्ती गए तथा वहां भी झाडू लगाई एवं कूड़ा उठाया। मोदी सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के प्रथम चरण में ही 10.71 करोड़ शौचालयों का निर्माण करवाया गया। आठ वर्ष पूर्व जब प्रधानमंत्री ने यह अभियान प्रारम्भ किया था, तब 10 में से केवल चार घरों में ही शौचालय थे। स्वच्छ भारत अभियान लागू होने के पश्चात शौचालय के निर्माण में बढ़ोतरी होती गई, क्योंकि सरकार शौचालय बनवाने के लिए लोगों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करवा रही है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की सराहना की जा रही है। यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फोर ने स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसे मुद्दों में 'राजनीतिक समय और प्रयासों' का निवेश करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि मोदी ने राजनीतिक समय और प्रयास का निवेश स्वच्छता जैसे मुद्दों में किया। उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान महात्मा गांधी को समर्पित किया, देशवासियों का समर्पित किया और उन्हें इसमें गर्व की अनुभूति हुई।
स्वच्छत भारत अभियान के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा था कि गांधीजी के दो सपनों भारत छोड़ो और स्वच्छ भारत में से एक को साकार करने में लोगों ने सहायता की, अपितु स्वच्छ भारत का दूसरा सपना अब भी पूरा होना शेष है। उन्होंने कहा कि एक भारतीय नागरिक होने के नाते यह हमारा सामाजिक दायित्व है कि हम उनके स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करें।
प्रधानमंत्री ने देश की सभी पिछली सरकारों और सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक संगठनों द्वारा स्वच्छता को लेकर किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि भारत को स्वच्छ बनाने का काम किसी एक व्यक्ति या अकेले सरकार का नहीं है, यह कार्य तो देश के 125 करोड़ लोगों द्वारा किया जाना है जो भारत माता के पुत्र-पुत्रियां हैं। स्वच्छ भारत अभियान को एक जन आंदोलन में परिवर्तित करना चाहिए। लोगों को ठान लेना चाहिए कि वह न तो गंदगी करेंगे और न ही करने देंगे।
कुछ वर्ष पूर्व जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने पूर्ण बहुमत से केंद्र में सरकार बनाई तब इनके सामने तमाम चुनौतियां खड़ी थीं। ऐसे में प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद के सहयोगियों के लिए चुनौतियों का सामना करते हुए विकास के पहिये को आगे बढ़ाना आसान नहीं था, परन्तु उन्होंने ऐसा करके दिखाया। मोदी की कार्ययोजना का आधार बताता है कि उनके पास दूरदृष्टि और स्पष्ट दृष्टि है, तभी तो पिछले कुछ वर्षों से समाचार- पत्रों में भ्रष्टाचार, महंगाई, सरकार के ढुलमुल निर्णय, मंत्रियों का मनमर्जी, भाई-भतीजावाद, परिवारवाद अब दिखाई नहीं देता।
किसी भी सरकार और देश के लिए उसकी छवि महत्त्वपूर्ण होती है। मोदी इस बात को भली-भांति समझते हैं। इसलिए विश्वभर के तमाम देशों में जाकर भारत को याचक नहीं, अपितु शक्तिशाली और समर्थ देश के नाते स्थापित कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी जिस पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में आज प्रधानमंत्री बने हैं, उस भारतीय जनता पार्टी का मूल विचार एकात्म मानव दर्शन एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है और दीनदयाल उपाध्याय भी इसी विचार को सत्ता द्वारा समाज के प्रत्येक तबके तक पहुंचाने की बात करते थे।
समाज के सामने उपस्थित चुनौतियों के समाधान के लिए सरकार अलग-अलग समाधान खोजने की जगह एक योजनाबद्ध तरीके से कार्य करे। लोगों के जीवन की गुणवत्ता, आधारभूत संरचना और सेवाओं में सुधार सामूहिक रूप से हो। प्रधानमंत्री इसी योजना के साथ गरीबों, वंचितों और पीछे छूट गए लोगों के लिए प्रतिबद्व है और वे अंत्योदय के सिद्धांत पर कार्य करते दिख रहे हैं।
वास्तव में भारत में स्वतंत्रता के पश्चात कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों ने शब्दों की विलासिता का जबरदस्त दौर चलाया। उन्होंने देश में तत्कालीन सत्ताधारियों को छल-कपट से अपने घेरे में ले लिया। परिणामस्वरूप राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत जीवनशैली का मार्ग निरन्तर अवरुद्ध होता गया। अब अवरुद्ध मार्ग खुलने लगा है। संस्कृति से उपजा संस्कार बोलने लगा है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का आधार हमारी युगों पुरानी संस्कृति है, जो शताब्दियों से चली आ रही है। यह सांस्कृतिक एकता है, जो किसी भी बंधन से अधिक सुदृढ़ एवं टिकाऊ है, जो किसी देश में लोगों को एकजुट करने में सक्षम है। इसी ने देश को एक राष्ट्र के सूत्र में बांध रखा है।
भारत की संस्कृति भारत की धरती की उपज है। उसकी चेतना की देन है। साधना की पूंजी है। उसकी एकता, एकात्मता, विशालता, समन्वय धरती से निकला है। भारत में आसेतु-हिमालय एक संस्कृति है। उससे भारतीय राष्ट्र जीवन प्रेरित हुआ है। अनादिकाल से यहां का समाज अनेक सम्प्रदायों को उत्पन्न करके भी एक ही मूल से जीवन रस ग्रहण करता आया है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे को नरेंद्र मोदी इसी रूप में पूरा कर रहे हैं।
पिछले सात दशकों में भारत के राजनीतिक नेत्तृत्व के पास विश्व में अपना सामर्थ्य बताने के लिए कुछ भी नहीं था। सत्य तो यह है कि इन राजनीतिक दुष्चक्रों के कारण हम अपनी अहिंसा को अपनी कायरता की ढाल बनाकर जी रहे थे। आज पहली बार विश्व की महाशक्तियों ने समझा है कि भारत की अहिंसा इसके सामर्थ्य से निकलती है, जो भारत को 70 वर्षों में पहली बार मिली है।
सवा सौ करोड़ भारतीयों के स्वाभिमान का भारत अब खड़ा हो चुका है और यह आत्मविश्वास ही सबसे बड़ी पूंजी है, तभी तो इस पूंजी का शंखनाद न्यूयार्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन से लेकर सिडनी, बीजिंग, काठमांडू और ईरान तक अपने समर्थ भारत की कहानी से गूंज रहा है। आठ वर्षों के कार्य का आधार मजबूत इरादों को पूरा करता दिख रहा है। नरेंद्र मोदी को अपने इरादे मजबूत करके भारत के लिए और परिश्रम करने की आवश्यकता है।
मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के आठ वर्ष पूरे किए हैं। इस सरकार के दो वर्ष अभी शेष हैं। आशा है कि मोदी सरकार आगामी वर्षों में भी विकास के नित नए सोपान तय करेगी तथा उसे भारी जन समर्थन एवं आशीर्वाद मिलता रहेगा।
(लेखक मीडिया शिक्षक एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)नोट : आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी अनुभव हैं, वेबदुनिया का आलेख में व्यक्त विचारों से सरोकार नहीं है।