Israel-Hamas war: आतंकवादी संगठन हमास ने इसराइल में घुसकर अप्रत्याशित रूप से हमला करके 700 से अधिक निर्दोंष इजराइली नागरिकों की बर्बरता पूर्वक हत्या कर दी। इस्राइली सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल जोनाथन कॉनरिकस ने बताया कि गाजा पट्टी में हमास ने कई इसराइल नागरिकों को बंधक बनाकर रखा है, जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। इसलाइल ने भी जवाबी कार्रवाई में अब तक 450 से अधिक फिलिस्तिनियों को मौत के घाट उतार दिया है।
यहां पर निर्दोष लोगों का कत्ल चाहे इसराइल साइट पर हो या फिलिस्तीन साइट पर हो, यह दोनों ही चीजें मानवता को शर्मशार करने वाली है। हम इन दोनों ही बातों के सख्त खिलाफ हैं। दुनिया हमास को एक आतंकवादी संगठन मानती है जिसका सपोर्ट करना आतंक का सपार्ट करना माना जाएगा। इसी के साथ यह इंसानियत के खिलाफ भी है।
आज निर्दोष फिलिस्तिनों के साथ जो भी हो रहा है उसमें इसराइल से ज्यादा बड़ा दोषी हमास, हिजबुल्लाह और ईरान है। इसराइल ने हमेशा क्रिया की प्रतिक्रिया की है। आम फिलिस्तीनी या इसराइली युद्ध नहीं चाहते, वे सिर्फ जीना चाहते हैं, लेकिन कुछ ताकते हैं जो उन्हें जीने नहीं देना चाहती है।
हमास : हमास का पूरा नाम हरकत-अल-मुकावामाह अल इस्लामिया है। हमास की स्थापना 1987 में पहले फिलिस्तानी विद्रोह के दौरान हुई थी। इसकी स्थापना शेख अहमद यासीन ने की थी। इसका उभार मुस्लिम ब्रदरहुड की फिलिस्तानी शाखा के विस्तार के तौर पर हुआ। इसका उद्देश्य फिलिस्तीन की आजादी और जेरूसलम पर कब्जा करने का है। ऐसा कहते हैं कि हमास के आतंकियों को जज्बे वाला जिहाद सिखाया जाता है। इसे आत्मघाती हमलों के लिए जाना जाता है। इसे आत्मघाती हमलों के लिए जाना जाता है। इस आतंकवादी संगठन को इसराइली सरकार और नागरिकों के खिलाफ अपने अभियान में हिजबुल्लाह का समर्थन भी हासिल है।
हिजबुल्लाह : हिजबुल्लाह ईरान और सीरिया समर्थित लेबनानी आतंकवादी संगठन है, जो 1982 के लेबनानी गृहयुद्ध से उभरा था। हालांकि इस संगठन को इसराइल और सुन्नी अरब देशों का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है। कहते हैं कि इस संगठन को लेबनान की 41 फीसदी जनसंख्या का समर्थन हासिल है। हिज़्बुल्लाह लेबनान का एक शिया राजनीतिक और अर्धसैनिक संगठन है। हिज़्बुल्लाह न केवल इज़राइल राज्य की सरकार और नीतियों का विरोध करता है, बल्कि इज़राइल में रहने वाले प्रत्येक यहूदी नागरिक का भी विरोध करता है।
ईरान : ईरान एक शिया मुल्क है जो हमास और हिजबुल्लाह को आर्थिक और सामारिक रूप से समर्थन करता है। ईरान के साथ ही कतर, यमन और अन्य मुस्लिम मुल्क फिलिस्तीन और इसराइल के विवाद को बढ़ाते रहते हैं जिसके चलते फिलिस्तीन और इसराइल के नागरिकों का जीना हराम हो चला है।
इसराइल के खिलाफ ईरान, कतर, यमन, लेबनान सहित कई देशों के आतंकवादी के एक्शन के चलते ही इसराइल का साथ देने के लिए अमेरिका, कनाडा और फ्रांस जैसे देशों को आगे आना पड़ता है। लेकिन यहां यह बात ज्यादा समझने वाली है कि फिलिस्तीनियों का सबसे बड़ा दुश्मन हमास और हिजबुल्लाह ही है जो लोगों को गुमराह करके इसराइल सरकार और यहूदियों के खिलाफ बेइंतहा नफरत भर रहे हैं और साथ ही इस नफरत को उन्होंने दूसरे इस्लामिक मुल्क में भी विस्तार देकर लोगों की जिंदगी को कठिन बना दिया है।
इंसानियत की आवाज दब गई : इंसानियत के तौर, धर्मनिरपेक्षता के तौर पर पहले से ही फिलिस्तीन के पक्ष में आवाज उठाने वाले गई गैर मुस्लिम देश और मानवतावादी संगठन रहे हैं, लेकिन जब हमास जैसे आतंकवादी संगठन इसराइल के निर्दोष नागरिकों की बर्बरता पूर्वक हत्या कर देते हैं तब ऐसे देश और संगठनों की फिलिस्तीन के पक्ष में आवाज कमजोर पड़ जाती है। क्योंकि आतंकवादी संगठनों के चलते ही फिलिस्तीन को भी एक आतंकवादी मुल्क मान लिया जाता है।
अब होगा क्या?
हमास ने जो किया वह तो मानवता के खिलाफ है ही। उन्होंने इसराइल के कई लोगों को बंधक बनाया है और अब जिनके माध्यम से वे इसराइल को ब्लैकमेल करेंगे। हमास की इस बर्बर कारनामें के चलते अब फिलिस्तीनों पर इसराइल के वायुयान कहर बरपा रहे हैं। गाजा की बिजली और पानी बंद कर दिया गया है। बिजली से ही गाजा को पानी का सप्लाई होता था। आगे चलकर अब गाजा के लोगों के हालात खराब होंगे और उनमें से कई तो इसराली कार्रवाई में मारे जाएंगे। गाजा के लिए भागकर नहीं जा भी नहीं सकते क्योंकि दूसरी ओर समुद्र है।
अब इसराइल की ओर से जो रीटेलियेशन हो रही है उसमें हजारों फिलिस्तीनी मरेंगे, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी होंगी। कई तो प्यास और भूख से ही मरेंगे तो अब इस सब का जिम्मेदार हमास ही होगा। क्या हमास फिलिस्तीनों को खाना और पानी उपलब्ध करा सकता है? क्या हमास फिलिस्तीनों की रक्षा कर सकता है? क्या हिजबुल्लाह और ईरान निर्दोष लोगों को बचा सकता है?
इस वक्त ट्विटर पर सभी इस्लामिक मुल्क के लोग खुशी का इजहार कर रहे हैं और लिख रहे हैं कि फिलिस्तीन आजाद होगा, जेरूसलम पर भी फिलिस्तीन परचम लहराएगा, लेकिन इन लोगों को यह भी समझना चाहिये की ये हमास जैसे आतंकवादी संगठन क्या इसराइल पर कब्जा कर सकते हैं? क्या अमेरिका और उसके सहयोगी इसराइल का साथ नहीं देंगे? आने वाले समय में इसराइल का ज्यादा कुछ बिगड़ने वाला नहीं है, बिगड़ेगा तो सिर्फ फिलिस्तीनों का, गाजा के निर्दोष लोगों का। इसराइल को अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित कर लेगा लेकिन गाजा का क्या होगा? आने वाले समय में फिलिस्तीनों पर हुए जुल्म या उनकी दर्दनाक स्थिति के वीडियो वायरल किए जाएंगे और तब मानवता की दुहाई दी जाएगी और इसराइल को बर्बर मुल्क घोषित किया जाएगा।
क्या जरूरत थी इस हमले की?
इस वक्त इस्लामिक मुल्क बिखर रहे हैं। चेचन्या हो या कश्मीर सभी जगह उनके विरोध में हवा चल रही है। सऊदी अरब और इसराइल की दोस्ती हो रही है, जो हमास सहित हिजबुल्लाह, लेबनान, यमन और ईरान के लिए खतरे की घंटी है। ऐसे में ईरान ने एक बड़ी साजिश के तहत इसराइल पर जो हमला कराया है उसके परिणाम भयानक निकलने की संभावना है। फिलिस्तीन फिर से एक बार बड़ी शक्तियों का मोहरा बन गए हैं। कोई यह सोचने की शक्ति नहीं रखता कि जिहाद ने सीरिया, अफगानिस्तान को कहीं का नहीं छोड़ा है। अफगानिस्तान से भले ही अमेरिका या रूस की फौज लौट गई हो लेकिन सोचें कि आज अफगानिस्तान में क्या है? जिस तरह अफगानिस्तान को अमेरिका और तालिबान से कुछ नहीं मिला उसी तरह फिलिस्तीन को हमास और ईरान से कुछ भी नहीं मिलने वाला है।