शब्द-उल्लास' में हम लेकर आए हैं आज दूसरा बड़ा ही प्यारा शब्द....एक शब्द जिस पर दुनिया कायम है, जी हां सही समझें उम्मीद पर दुनिया कायम है....शब्द उम्मीद जो उजाला हमारे भीतर भरता है उसका सबसे ज्यादा, सबसे बेहतर प्रयोग हमें करना है...इस दुनिया को बेहतरीन और सकारात्मक बनाने के लिए...यह शब्द जिसमें उजास है आशा, अपेक्षा आसरा, भरोसा, सहारे की...
उम्मीद शब्द का अर्थ यही है जो हमें हारने नहीं देता, हमें रूकने नहीं देता हमें थकने नहीं देता.. निराशा के घोर जंगल में यह एक टिमटिमाती रोशनी है, किसी प्यासे के लिए जल की एक बूंद....
चीर के जमीन को
मैं उम्मीद बोता हूं
मैं किसान हूं
चैन से कहां सोता हूं !!
उम्मीद शब्द को पूरे अर्थ के साथ प्रकट करता इससे उम्दा शेर आपको दूसरा नहीं मिलेगा. .. बरखा पर निर्भर हमारे कृषक भाई हर हाल में उठ खड़े हो जाते हैं तो सिर्फ इसलिए कि वे उम्मीद को जीते हैं, उम्मीद को बोते हैं और फिर उम्मीद के मुताबिक ही काटते हैं, और अगर ऐसा नहीं होता है तब भी वे उम्मीद का दामन नहीं छोड़ते हैं....फिर जुट जाते हैं चैन से नहीं सोते हैं।
उम्मीद इस शब्द से आपके भीतर भी फिर किसी अच्छे दिन की आस का दीपक जल उठता है। रोशनी का कोई सोता फूट पड़ता है। डूबते को तिनके का सहारा जैसी कहावत के मूल में भी यही उम्मीद छुपी होती है।
उम्मीद नहीं होगी तो सपने नहीं होंगे और सपने नहीं होंगे तो जीवन का लक्ष्य नहीं होगा। जीवन बिखर जाएगा, यह उम्मीद ही होती है जो हमें समेट कर रखती है... हर नए साल पर हर नई बात पर फिर दिल में सजधज कर बैठ जाती है।
उम्मीद होती है तो आशाओं की मासूम किलकारियां गूंज उठती हैं। शुभ संकल्पों की मीठी खनकती हंसी से चेहरा चमक उठता है। आपके पास जो है उससे कहीं अधिक खूबसूरती के सपने शहदीया आंखों में सजाने लगती है उम्मीद।
मानव कितनी ही विषम परिस्थितियों में रहे, कितनी ही विभीषिका झेल लें, पर उसका भोलापन अमिट है। इसीलिए आंधी और अंधकार से घिरी विचार श्रृंखला के बीच भी दिल की बगिया के कहीं किसी कोने में उम्मीद की एक गुलाबी, नाजुक कोंपल फूट ही पड़ती है। कहीं कोई उम्मीद की हरी दूब लहलहा उठती है...
उम्मीद उम्मीद और उम्मीद.... कौन जाने इस नए वर्ष में आकांक्षा पूरी हो जाए। नया जॉब मिल जाए। शायद बिटिया दुल्हन बन जाए। एक अदद आशियाना खड़ा हो जाए। बच्चों के परीक्षा परिणाम अपेक्षानुरूप आ जाएं, कोई हमसफर मिल जाए। प्रमोशन हो जाए। या फिर कोई नन्हा, गुदगुदा 'खिलौना' मुस्करा उठे।
कितनी-कितनी तमन्नाएं, कितने-कितने अरमान! कितनी उम्मीद....हर दिल की ख्वाहिश कि नए बरस में कोई ऐसी खुशी मिल जाए जिसे बरसों से बस दिल में ही संजोकर रखा है। कभी व्यक्त नहीं किया है। कितने भावपूर्ण, मोहक, मधुर और सुवासित सपने हैं!
उम्मीद शब्द अंतर में निहित सुंदर सपने, आकांक्षाएं और कल्पनाएं पुन: याद करने के लिए जरूरी है। उन्हें साकार करने के लिए मन में एक नवीन ऊर्जा का विस्फोट करने के लिए जरूरी है।
जीवन के समंदर में उतरे हैं तो तूफान के थपेड़े तो सहने ही होंगे। मचलती लहरों के तड़ातड़ पड़ते ये थपेड़े सिर्फ आप पर ही नहीं पड़ते, बल्कि हर उस शख्स को पड़ते हैं जो समंदर में आपकी ही तरह किनारा पकड़ने की जद्दोजहद में है।
यह भी उतना ही सच है जिसने लहरों के उतार-चढ़ाव और ज्वार-भाटे को समझ लिया और उसके अनुरूप अपनी रणनीति बनाई उसी ने उपलब्धियों के चमकते धवल मोती को जीवन के महासिंधु से समेटा है। उम्मीद शब्द कहता है हम झांकें अपने भीतर पूरी गहराई से, पूरी शिद्दत से और देखें कि क्या रह गया है हमारे अंदर जो अधूरा है, अपूर्ण है, अवरुद्ध है।
संकट और चुनौतियां हमारी उम्मीदों से बढ़कर नहीं है। इनके आकार बड़े हो सकते हैं, लेकिन गहराई तो उम्मीद में ही होती है। जीत हमेशा गहराई की होती है। नकारात्मकता से भरे इस संसार में उम्मीद शब्द हर दिल में बना रहे, बचा रहे, बसा रहे यही उम्मीद है...
चलिए अपनी बात को खूबसूरत बनाने के लिए उम्मीद पर कुछ शायराना हो जाएं
एक उम्मीद से दिल बहलता रहा
इक तमन्ना सताती रही रात भर
एक अरसा हुआ है
मुझको तेरे सपने संजोये
उम्मीद है कि टूटने
का नाम ही नहीं लेती..!
नजर में शोखियां लब पर
मोहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की ज़द में अभी
सारा ज़माना है !!
यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी
बहल सको तो चलो !!
उलझनों और कश्मकश में
उम्मीद की ढाल लिए बैठे हैं
ए जिंदगी तेरी हर चाल के
लिए हम दो चाल लिए बैठे हैं !
ज़िन्दगी वही है जो हमने आज जी ली
कल जो जिएंगे वो उम्मीद होगी !!
खुद से उम्मीद रखना बेहतर है मगर
अपनों से ना उम्मीदी अच्छी नहीं !!
बहुत चमक है उन आंखों
में अब भी
इंतज़ार नहीं बुझा पाया है
किरण उम्मीद की !!
कहने को लफ्ज दो हैं
उम्मीद और हसरत
लेकिन निहाँ इसी में
दुनिया की दास्तां है !!
हौसले के तरकश में
कोशिश का वो तीर ज़िंदा रखो
हार जाओ चाहे जिन्दगी में सब कुछ