मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर सूर्य देव के पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है, अत: इस दिन प्रात: स्नान-ध्यान से निवृत्त होकर भगवान का स्मरण करते हुए भक्त व्रत एवं उपवास का पालन करते हुए भगवान का भजन व पूजन करते हैं।
आइए जानते हैं कैसे करें सूर्य देव का पूजन, कैसे चढ़ाएं अर्घ्य, किस चीज का भोग लगाएं-
सूर्य देव का पूजन-Sun worship
1. नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद अपने ईष्ट देव या जिसका भी पूजन कर रहे हैं उन देव या सूर्य देव के चित्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें।
2. पूजन में सूर्य देव के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।
3. फिर उनके मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं, हार और फूल चढ़ाएं और उनकी आरती उतारें।
4. पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
5. आपको बता दें कि अंत में सूर्य देव की आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
सूर्य देव का भोग :
उपरोक्त विधि से पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। सूर्य देव को मकर संक्रांति पर खिचड़ी, गुड़ और तिल का भोग लगाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। नैवेद्य चढ़ाने से पहले प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
सूर्य अर्घ्य की विधि-
1. सर्वप्रथम प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान करें।
2. तत्पश्चात उदित होते सूर्य के समक्ष आसन लगाए।
3. आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें।
4. उसी जल में मिश्री भी मिलाएं। कहा जाता है कि सूर्य को मीठा जल चढ़ाने से जन्मकुंडली के दूषित मंगल का उपचार होता है।
5. मंगल शुभ हो तब उसकी शुभता में वृद्धि होती है।
6. जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्यागमन से पहले नारंगी किरणें प्रस्फूटित होती दिखाई दें, आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़ कर इस तरह जल चढ़ाएं कि सूर्य जल चढ़ाती धार से दिखाई दें।
7. प्रात:काल का सूर्य कोमल होता है उसे सीधे देखने से आंखों की ज्योति बढ़ती है।
8. सूर्य को जल धीमे-धीमे इस तरह चढ़ाएं कि जलधारा आसन पर आ गिरे ना कि जमीन पर।
9. जमीन पर जलधारा गिरने से जल में समाहित सूर्य-ऊर्जा धरती में चली जाएगी और सूर्य अर्घ्य का संपूर्ण लाभ आप नहीं ले पाएंगे।
10. सूर्य देव को अर्घ्य देते समय इन मंत्रों का पाठ करें-
'ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।' (11 बार)
11. 'ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा: ।।' (3 बार)
12. तत्पश्चात सीधे हाथ की अंजूरी में जल लेकर अपने चारों ओर छिड़कें।
13. अपने स्थान पर ही 3 बार घुम कर परिक्रमा करें।
14. आसन उठाकर उस स्थान को नमन करें।
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