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Written By WD Feature Desk

भोगी पण्डिगाई का त्योहार कब है, कहां मनाया जाता है?

भोगी पण्डिगाई का त्योहार कब है, कहां मनाया जाता है? - Bhogi Pandigai festival
Bhogi Pandigai 2024: हिंदू धर्म में होली, दशहरा, दिवाली, मकर संक्रांति और कुंभ यह 5 बड़े महापर्व है। इसमें भी मकर संक्रांति एकमात्र ऐसा पर्व है जो संपूर्ण देश में एक साथ मनाया जाता है। हालांकि हर प्रांत में इस पर्व का नाम और इसको मनाए जाने के तरीके भिन्न है। भोगी पण्डिगाई भी मकर संक्रांति का ही उत्सव है जिसे आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना तथा तमिलनाडु में चार दिनों तक मनाया जाता है। चार दिनों के दौरान प्रत्येक दिन कुछ विशेष अनुष्ठानों का पालन करते हैं। 14 जनवरी 2024 रविवार के दिन यह पर्व रहेगा।
 
भोगी पण्डिगाई : 14 जनवरी 2024 रविवार के दिन।
 
  1. पहला दिन : पहले दिन मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व भोगी पण्डिगाई का अनुष्ठान होता है।
  2. दूसरा दिन : दूसरे दिन मकर संक्रांति को ही पोंगल, पोड्डा या पाण्डुगा के रूप में मनाते हैं।
  3. तीसरा दिन : तीसरे दिन तमिलनाडु में मट्टू पोंगल और आंध्र तेलंगाना में कनुमा पाण्डुगा मनाते हैं। 
  4. चौथा दिन : चौथे दिन तमिलनाडु में कानुम पोंगल और आन्ध्र में मुक्कानुमा के नाम से यह अनुष्ठान संपन्न होता है।

भोगी मंटालू : प्रात:काल विशेष प्रकार का अलाव जलाते हैं। इस अलाव में अपनी अनुपयोगी और पुरानी चीजों को अग्नि में डाल देते हैं। इस अवसर पर लोग सुबह-सुबह पटाखे भी जलाते हैं।
 
भोगी पल्लू : इस अवसर पर 3 से 6 वर्षीय बच्चों को बुरी दृष्टि से बचाने के लिए रेगी पल्लू (बेर), सेनागलु (भिगोया और सूखा हुआ काला चना), गन्ने के टुकड़े, गुड़, फूल की पंखुड़ियां, तथा सिक्कों का मिश्रण मिलाकर बौछार करते हैं, जिसे भोगी पल्लू कहते हैं। इस दौरान बच्चे रंगबिरंगी पोशाक पहनते हैं। कन्याएं एक पारम्परिक वस्त्र लंगा-वोनी पहनती हैं। इससे बच्चे सुखी और दीर्घायु रहते हैं। रेगी पल्लू प्रथा के अतिरिक्त, बच्चों के लिए अरिसेलु अडुगुलु का भी आयोजन किया जाता है, जो कि एक प्रकार का मीठा भोजन होता है। भोगी पर्व के अवसर पर, भिन्न रंगोली प्रतियोगिताओं का आयोजन भी होता है। घर पर बोम्माला-कोलुवू प्रदर्शित करते हैं, जिसमें एक बहुस्तरीय मंच बनाकर उसपर विभिन्न देवी-देवताओं व मिटटी के खिलौनों को सजाया जाता है।