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Last Updated : शुक्रवार, 29 मई 2020 (16:50 IST)

महाभारत की 2 सबसे ज्यादा इमोशनल स्टोरी

Emotional stories of Mahabharata | महाभारत की 2 सबसे ज्यादा इमोशनल स्टोरी
महाभारत में ऐसी कई घटनाएं घटी हैं जो व्यक्ति को भावुक कर देती हैं। जैसे बहुत ही कम उम्र में अभिमन्यु का छल से वध करना, द्रोणाचार्य और कर्ण का भी छल से वध कर देना। लेकिन यह तो युद्ध की घटनाएं हैं। युद्ध से अलग भी ऐसी कई कहानियां हैं जो हमें द्रवित कर देती हैं उन्ही में से 2 कहानियां प्रस्तुत हैं।
 
 
1. अम्बा : अम्बा, अम्बालिका और अम्बिका : विचित्रवीर्य के युवा होने पर भीष्म ने बलपूर्वक काशीराज की 3 पुत्रियों का हरण कर लिया और वे उसका विवाह विचित्रवीर्य से करना चाहते थे, क्योंकि भीष्म चाहते थे कि किसी भी तरह अपने पिता शांतनु का कुल बढ़े। लेकिन बाद में बड़ी राजकुमारी अम्बा को छोड़ दिया गया, क्योंकि वह शाल्वराज को चाहती थी। अन्य दोनों (अम्बालिका और अम्बिका) का विवाह विचित्रवीर्य के साथ कर दिया गया। 
 
अम्बा जब शाल्वराज के पास गई तो शाल्वराज से उसे ठुकरा दिया। तब वह अपने पिता के यहां गई तो पिता ने भी उन्हें शरण नहीं दी। तब थकहारकर अंबा ने भीष्म के सामने विवाह का निवेदन रखा, लेकिन उन्होंने तो आजीवन ब्रह्मचारी रहने व्रत लिया हुआ था। अंतत: अंबा ने परशुराम से न्याय की गुहार की। परशुराम ने भीष्म से युद्ध किया लेकिन परशुराम को निराशा ही हाथ लगी। तब निराश अंबा ने शिव की आराधना की और यह वरदान मांगा कि इच्छामृत्यु का वर पाए भीष्म की मृत्यु का कारण वह बने। शिव ने कहा कि यह अगले जन्म में ही संभव हो सकेगा। अंबा तब मृत्यु को वरण कर लेती है। यह अंबा ही शिखंडी के रूप में जन्म लेती है।

 
1.भानुमति : भानुमती काम्बोज के राजा चन्द्रवर्मा की पुत्री थी। भानुपति बहुत ही सुंदर, आकर्षक, बुद्धिमान और ताकतवर थी। उसकी सुंदरता और शक्ति के किस्से प्रसिद्ध थे। यही कारण था कि भानुमती के स्वयंवर में शिशुपाल, जरासंध, रुक्मी, वक्र, कर्ण आदि राजाओं के साथ दुर्योधन भी गया हुआ था।
 
कहते हैं कि जब भानुमती हाथ में माला लेकर अपनी दासियों और अंगरक्षकों के साथ दरबार में आई और एक-एक करके सभी राजाओं के पास से गुजरी, तो वह दुर्योधन के सामने से भी गुजरी। दुर्योधन चाहता था कि भानुमती माला उसे पहना दें लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दुर्योधन के सामने से भानुमती आगे आगे बढ़ गई। दुर्योधन ने क्रोधित होकर तुरंत ही भानुमती के हाथ से माला झपटकर खुद ही अपने गले में डाल ली। इस दृष्य को देखकर सभी राजाओं ने तलवारें निकाल लीं।
 
ऐेसी स्थिति में दुर्योधन ने भानुमती का हाथ पकड़ा और वह उसे महल के बाहर ले जाते हुए सभी योद्धाओं से बोला, कर्ण को परास्त करके मेरे पास आना। अर्थात उसने सब योद्धाओं से कर्ण से युद्ध की चुनौती दी जिसमें कर्ण ने सभी को परास्त कर दिया। लेकिन जरासंध से कर्ण का युद्ध देर तक चला।
 
इस तरह दुर्योधन ने भानुमती के साथ जबरन विवाह कर लिया। भानुमती को हस्तिनापुर ले आने के बाद दुर्योधन ने उसे ये कहकर सही ठहराया कि भीष्म पितामह भी अपने सौतेले भाइयों के लिए अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का हरण करके ले आए थे। भानुमती अनिच्छा से ही दुर्योधन के साथ रहने लगी। दोनों के दो संतान हुई- एक पुत्र लक्ष्मण था जिसे अभिमन्यु ने युद्ध में मारा दिया था और पुत्री लक्ष्मणा को श्रीकृष्ण का पुत्र साम्ब उठा ले गया। भानुमती के पास रोने के अलावा कुछ भी नहीं था।
 
दूसरी ओर कहते हैं कि अभिमन्यु की पत्नी वत्सला बलराम की बेटी थी। बलराम चाहते थे कि वत्सला की शादी दुर्योधन के बेटे लक्ष्मण से हो। वत्सला और अभिमन्यु एक-दूसरे से प्यार करते थे। अभिमन्यु ने वत्सला को पाने के लिए घटोत्कच की मदद ली। घटोत्कच ने लक्ष्मण को इतना डराया कि उसने कसम खा ली कि वह पूरी जिंदगी शादी नहीं करेगा। तीसरी ओर भानुमति का पति दुर्योधन भी अंत में जब मारा गया तो भानुमति के पास कुछ नहीं रहा।
 
अब भानुमति के दुख को ऐसे समझें। भानुमती ने दुर्योधन को पति चुना नहीं दुर्योधन ने जबरदस्ती की शादी। अपने दम पर नहीं कर्ण के दम पर किया भानुमती का हरण, दूसरा भानुमती की बेटी लक्ष्मणा को कृष्ण पुत्र साम्ब भगा ले गया था, तीसरा पुत्र लक्ष्मण की इच्‍छापूरी नहीं हुई और वह अभिमन्यु के हाथों युद्ध में वीरगती को प्राप्त हुआ। चौथा कि जब उसका पति दुर्योधन मारा गया तब वह उसे देख भी नहीं पाई। 
 
भानुमती बेहद ही सुंदर, आकर्षक, तेज बुद्धि और शरीर से काफी ताकतवर थी। गंधारी ने सती पर्व में बताया है की भानुमती दुर्योधन से खेल-खेल में ही कुश्ती करती थी जिसमें दुर्योधन उससे कई बार हार भी जाता था। भले ही दुर्योधन भानुमति को हरण करके लाया था लेकिन भानुमति को दुर्योधन से प्यार हो गया था। भानुमति को दुर्योधन और पुत्र लक्ष्मण की मौत का गहरा धक्का लगा था। उससे सांत्वना देने वाला कोई नहीं बचा था। अंत में वह बिचारी पांडवों के आश्रय पर जिंदा रही और बड़ी मुश्किल से जीवन गुजारा।
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