हरदीपसिंह डंग के इस्तीफे के बाद मप्र में सियासी हलचल तेज, CM कमलनाथ ने दिया यह बयान
भोपाल। कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग के इस्तीफे के बाद मध्यप्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है। डंग के इस्तीफे पर मप्र मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि हरदीप सिंह डंग के इस्तीफा देने की खबर मिली है, लेकिन उन्हें अभी तक डंग का न तो कोई पत्र मिला है और न ही इस संबंध में उनसे कोई चर्चा हुई। खबरों के अनुसार कमलनाथ के घर बैठक चल रही है, जिसमें कमलनाथ सरकार के सीनियर मंत्री पीसी शर्मा, जीतू पटवारी शामिल हैं।
कमलनाथ ने एक वक्तव्य में कहा कि डंग हमारी पार्टी के विधायक हैं। उनके इस्तीफा देने की खबर मिली है, लेकिन उन्हें इस संबंध में उनका अभी तक न तो कोई पत्र मिला और न ही कोई चर्चा हुई और न ही प्रत्यक्ष मुलाकात की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक मेरी उनसे इस संबंध में चर्चा नहीं हो जाती, तब तक इस बारे में कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा।
नारायण त्रिपाठी कांग्रेस में हो सकते हैं शामिल : मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें हैं। त्रिपाठी मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात करने के बाद विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति से मिलने पहुंचे। नारायण त्रिपाठी के साथ मंत्री हनी बघेल भी विधानसभा अध्यक्ष के निवास पर पहुंचे।
मुझे नहीं मिला इस्तीफा : विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मुझे सुवासरा विधायक हरदीप सिंह ढंग के इस्तीफे की ख़बर मिली है। उन्होंने मुझसे प्रत्यक्ष रूप से मिलकर इस्तीफा नहीं सौंपा है। जब वे प्रत्यक्ष रूप से मुझसे मिलकर इस्तीफ़ा सौपेंगे तो मैं नियमानुसार उस पर विचार कर आवश्यक कदम उठाऊंगा।
दिग्विजय सिंह ने रद्द किए कार्यक्रम : डंग के इस्तीफे के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने 6 मार्च को अपने कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है। निजी सचिव द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार दिग्विजय सिंह मुरैना, सबलगढ़, ग्वालियर एवं ओरछा के कार्यक्रम में शामिल होने वाले थे, लेकिन वे 6 मार्च को सुबह भोपाल पहुंचेंगे।
कांग्रेस नहीं सुनती विधायकों की बातें : नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने विधायक डंग के इस्तीफे पर कहा कि यह डंग का इस्तीफा नहीं बल्कि सत्तारूढ़ दल के विधायकों की आवाज है, उनकी व्यथा है। पत्र में उन्होंने जो बातें लिखी हैं, उनके ही क्षेत्र की नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश के उन सभी विधायकों की आवाज है। सत्तारूढ़ दल के विधायकों के साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है कि उसके क्षेत्र का कोई काम नहीं हो रहा है। उनकी बातें नहीं सुनी जा रही हैं। अवसरवादी लोगों को प्रश्रय दिया जा रहा है। निष्ठावान विधायकों को कोई नहीं पूछ रहा है।