• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. मध्यप्रदेश
  4. kuno national park cheetah death reason south africa weather detail
Written By
Last Updated : शनिवार, 15 जुलाई 2023 (22:14 IST)

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 8 चीतों की मौत के बाद उठे सवाल? क्या शिफ्ट किए जाएंगे चीते

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 8 चीतों की मौत के बाद उठे सवाल?  क्या शिफ्ट किए जाएंगे चीते - kuno national park cheetah death reason south africa weather detail
भोपाल। kuno national park cheetah death reason  : धरती पर सबसे तेज दौड़ने वाले इस वन्यजीव को 1952 में देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। कूनो में चीतों की लगातार होती मौतों से सवाल उठने लगे हैं। 4 शावकों के जन्म के बाद चीतों की कुल संख्या 24 हो गई थी लेकिन 8 मौतों के बाद यह संख्या घटकर अब 16 रह गई है। क्या कूनो से चीतों को शिफ्ट किया जाएगा? इस पर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने बयान दिया है?
 
केंद्रीय मंत्री यादव ने स्पष्ट किया है कि शनिवार को कहा कि चीते मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में ही रहेंगे और यह परियोजना सफल होगी। 
 
लेंगे विशेषज्ञों की सलाह : मंत्री ने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों सहित अन्य विशेषज्ञों के संपर्क में हैं। हमारी टीम वहां का दौरा करेगी। चीतों को स्थानांतरित नहीं किया जाएगा और वे कूनो में ही रहेंगे।
 
यादव की यह टिप्पणी चीता परियोजना पर कुछ विशेषज्ञों द्वारा व्यक्त की गई चिंता के बीच आई है। एक विशेषज्ञ ने कहा है कि हाल की कुछ मौतें संभवतः रेडियो कॉलर के कारण होने वाले संक्रमण के कारण हो सकती हैं। 
 
हालांकि यह बेहद असामान्य है और भारत में दो दशकों से अधिक समय से वन्यजीव संरक्षण में रेडियो कॉलर का उपयोग किया जा रहा है।
 
वहीं, अन्य विशेषज्ञों ने कहा कि केवल पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही सटीक कारण निर्धारित करेगी।
 
सेप्टीसीमिया इन्फेक्शन : एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) द्वारा गठित चीता निगरानी समिति के प्रमुख राजेश गोपाल ने कहा कि चीतों की मौत की वजह रेडियो कॉलर से होने वाला ‘सेप्टीसीमिया’ संक्रमण हो सकता है।
 
उन्होंने कहा कि यह बेहद असामान्य है। मैंने भी इसे पहली बार देखा है। यह चिंता का विषय है और हमने वन कर्मचारियों को सभी चीतों की जांच करने का निर्देश दिया है।’
 
गोपाल ने कहा कि रेडियो कॉलर के इस्तेमाल के चलते उमस भरा मौसम संक्रमण का कारण बन सकता है।
 
उन्होंने कहा कि हम भारत में लगभग 25 वर्षों से वन्यजीव संरक्षण में कॉलर का उपयोग कर रहे हैं। मैंने कभी ऐसी घटना नहीं देखी है। हमारे पास इन दिनों अच्छे कॉलर उपलब्ध हैं। फिर भी अगर ऐसी कोई घटना हो रही है, तो हमें इसे निर्माताओं के ध्यान में लाना होगा।
 
एक दक्षिण अफ्रीकी विशेषज्ञ ने भी यह संभावना जताई कि इस सप्ताह मध्य प्रदेश में दो नर चीतों की मौत के पीछे रेडियो कॉलर के कारण होने वाला सेप्टिसीमिया एक संभावित कारण हो सकता है।
 
दक्षिण अफ्रीका से लाए गए नर चीता सूरज की शुक्रवार को श्योपुर के केएनपी में मृत्यु हो गयी, जबकि एक अन्य नर चीता तेजस की मंगलवार को मौत हो गई थी।
 
क्या बोले अफ्रीकी विशेषज्ञ : दक्षिण अफ्रीकी चीता विशेषज्ञ विंसेंट वैन डेर मेरवे ने कहा कि अत्यधिक गीलेपन की स्थिति के कारण रेडियो कॉलर संक्रमण पैदा कर रहे हैं और संभवतः यही इन चीतों की मौत का कारण है।
 
चार महीने से भी कम समय में दो चीतों और तीन शावकों समेत मरने वाले चीतों की संख्या आठ हो गई है। भारत में चीता परियोजना के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर, मेरवे आशावादी दिखे।
 
उन्होंने कहा कि भारत में अब भी चीतों की 75 प्रतिशत आबादी जीवित और स्वस्थ है। इसलिए जंगली चीता के पुनरुत्पादन के लिए सामान्य मापदंडों के तहत मृत्यु दर के साथ सब कुछ अभी भी सही दिशा में है।
 
केएनपी के निदेशक उत्तम शर्मा ने कहा कि उन्होंने दोनों चीतों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भोपाल में वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी है। हालांकि, उन्होंने इस संबंध में अधिक जानकारी साझा नहीं की।
 
शुक्रवार को मध्यप्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने कहा था कि चीते सूरज की मौत का सही कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलेगा।
 
जब उनसे चीतों की मौत के बारे में पूछा गया तो मंत्री ने बताया कि जो तीन शावक मरे वे जन्म से ही कुपोषित थे जबकि अन्य मौतें आपसी झड़प के कारण हुईं जो जानवरों में आम बात है।
 
वर्षा का अनुमान : भारत मौसम विज्ञान विभाग के भोपाल केंद्र के ड्यूटी अधिकारी एस.एन. साहू ने कहा कि श्योपुर जिले में, जहां केएनपी स्थित है, एक जून से 15 जुलाई के बीच 321.9 मिलीमीटर वर्षा हुई है जबकि इस अवधि के लिए सामान्य वर्षा 161.3 मिमी है।
पीएम ने किया था रिलीज  : पिछले साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी वाले एक भव्य कार्यक्रम में पांच मादा और तीन नर सहित आठ नामीबियाई चीतों को केएनपी के बाड़ों में छोड़ा गया था, इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते केएनपी पहुंचे थे। भाषा Edited By : Sudhir Sharma 
ये भी पढ़ें
Chandrayaan 3 मिशन को मिली एक और सफलता, ISRO ने दिया ताजा अपडेट