- मुरली कृष्णन
गुजरात से पूरे के पूरे परिवार बिना दस्तावेजों के, अवैध तरीकों से जान जोखिम में डालकर अमेरिका जा रहे हैं। क्या वजह है कि मैक्सिको के रेगिस्तान या कनाडा की बर्फ को पार कर अमेरिका पहुंचने की होड़ मची हुई है।
पिछले हफ्ते अधिकारियों ने इस बात का ऐलान किया कि अमेरिका-कनाडा सीमा पर अक्वेसासेन में सेंट लॉरेंस नदी से मिलीं चार लाशें भारत के गुजरात में मेहसाणा जिले के रहने वाले एक परिवार की थीं। 50 वर्षीय प्रवीण चौधरी, अपनी 45 वर्षीय पत्नी दीक्षा और 20 व 23 साल के बच्चों के साथ अमेरिका में घुसने की कोशिश करते वक्त मारे गए। पुलिस ने कहा कि वे नदी के रास्ते सीमा पार कर रहे थे, जब नाव उलटने से उनकी मौत हुई।
मरने वालों में चार और लोग थे जो रोमानिया से आए थे। जांचकर्ताओं ने कहा कि इन लोगों के साथ एक और भारतीय परिवार था जो गुजरात के ही गांधीनगर में मनसा का रहने वाला था। गुजरात के पूर्व पुलिस निदेशक आशीष भाटिया कहते हैं कि ये लोग इमिग्रेशन रैकेट का शिकार हो रहे हैं।
तस्करी का शिकार होते लोग
डॉयचे वेले से बातचीत में भाटिया ने कहा, ये तस्करी रैकेट लोगों को लुभाते हैं और उन्हें विदेश में बेहतर जिंदगी के सपने दिखाकर उनसे लाखों रुपए ऐंठते हैं। हमने ऐसे कई रैकेट पकड़े थे, लेकिन ऐसे नए रैकेट उभरते रहते हैं।
अमेरिका-कनाडा सीमा पर चौधरी परिवार के साथ हुई त्रासदी बीते साल की ऐसी ही एक घटना की याद दिलाती है। पिछले साल जनवरी में दक्षिणी मनीतोबा से सीमा पार करने की कोशिश में एक भारतीय परिवार बर्फ के तूफान में फंस गया था। गांधीनगर के कल्लोल का रहने वाला चार सदस्यों का यह पटेल परिवार बर्फ में जमकर ही खत्म हो गया था और कई दिन बाद उनके शव मिले थे।
उस मामले में पुलिस ने दो एजेंटों को गिरफ्तार किया था। डीसीपी (क्राइम) चैतन्य मंडालिक कहते हैं, पटेल मामले में हमने दो ट्रैवल एजेंट गिरफ्तार किए थे। उन्होंने 11 लोगों को अवैध तरीके से अमेरिका भेजा था। वहीं भारतीय उनके सारे इंतजाम के लिए जिम्मेदार थे और उन्होंने ही बताया था कि सीमा पर लोगों को किनसे मिलना है।
एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर डॉयचे वेले को बताया कि प्रशासन को इन गतिविधियों की पूरी जानकारी है। वह कहते हैं, क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितने लोग सीमा पार करने में कामयाब हो रहे हैं? हमें सिर्फ उनके बारे में पता चलता है जो मारे जाते हैं या पकड़े जाते हैं। यह सबसे लुभावना व्यापार बन गया है और लोग खतरे उठाने को तैयार हैं।
गुजरात में इतना आकर्षण क्यों?
पिछले साल दिसंबर में भी गुजरात के रहने वाले ब्रिज कुमार यादव की मैक्सिको-अमेरिका सीमा पर दीवार फांदते वक्त गिरकर मौत हो गई थी। उनके साथ उनकी पत्नी और तीन साल का बच्चा भी था। मैक्सिको पुलिस ने बताया कि यादव और उनका बच्चा मैक्सिको की सीमा में गिरे, जबकि उनकी पत्नी अमेरिका की तरफ जा गिरी थी।
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इन घटनाओं ने भारत से बढ़ती मानव तस्करी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया है। अमेरिकी सेंसस ब्यूरो के मुताबिक अमेरिका में 5,87,000 भारतीय प्रवासी अवैध रूप से रह रहे हैं। तस्कर लोगों को सुनहरे भविष्य के वादे तो करते हैं लेकिन इसके खतरों के बारे में नहीं बताते हैं।
मंडालिक कहते हैं, गिरफ्तार किए गए एजेंटों से हुई पूछताछ में पता चला कि वे लोगों को विदेश भेजने के लिए 50-60 लाख रुपए तक लेते हैं। ये लोग या तो कनाडा के रास्ते अमेरिका भेजते हैं या फिर तुर्की होते हुए मैक्सिको के रास्ते।
अमेरिका पहुंचने के लिए गुजरात से हजारों की संख्या में पटेल समुदाय के लोग जंगलों, रेगिस्तानों और बर्फीले पहाड़ों को पार करने जैसे जोखिम उठा रहे हैं। अहमदाबाद स्थित गुजरात यूनिवर्सिटी में समाज शास्त्र पढ़ाने वाले गौरांग जानी कहते हैं, विदेश चले जाने का आकर्षण बहुत ज्यादा है। लोग अमेरिका पहुंचने के लिए किसी भी हद तक पैसा खर्च करने को तैयार हैं। वहां विशाल पटेल समुदाय है, जो उनकी देखभाल करता है।
जब ये लोग अमेरिका पहुंच जाते हैं तो वहां समुदाय का विशाल ढांचा है जो इनकी देखरेख करता है। वहां इन लोगों को छोटे-मोटे काम मिलते हैं। गुजरात से विदेश जाने की होड़ इतनी बढ़ गई है कि अब राज्य सरकार तस्करी के खिलाफ एक कानून लाने पर विचार कर रही है। हालांकि अधिकारी कहते हैं कि इसमें वक्त लगेगा।