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Last Updated : शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019 (11:32 IST)

तनाव से कमजोर हो सकती है शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली

तनाव से कमजोर हो सकती है शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली | stress
हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम हमें बीमारियों से बचाने का काम करती है। लेकिन कई बार यह प्रणाली शरीर के खिलाफ ही काम करने लगती है। तनाव इसमें बड़ी भूमिका निभाता है।
 
 
ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (एआईडी) एक ऐसी अवस्था को कहते हैं जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करने लगती है और रोगों का कारण बन जाती है। तनाव और अस्वास्थ्यकर भोजन इसके मुख्य कारण हैं। चूहों पर किए गए एक शोध में पता चला है कि वीजीएलएल-3 नामक एक अत्यधिक आणविक स्विच, जो त्वचा कोशिकाओं में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया जीन को नियंत्रित करता है, ऑटोइम्यून बीमारियों का कारण बनता है।
 
विज्ञान पत्रिका जेसीआई इनसाइट में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, वीजीएलएल-3 की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। तीन साल पहले, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के शोधकर्ताओं की एक टीम ने दिखाया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की त्वचा की कोशिकाओं में वीजीएलएल-3 अधिक होता है।
 
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉक्टर केके अग्रवाल का कहना है कि ऑटोइम्यून विकार अकसर कई अन्य स्वास्थ्य स्थितियों की नकल करते हैं और इसलिए इनके लिए सटीक निदान खोजना कठिन होता है, "वे शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, लंबे लक्षणों को देखना जरूरी है, खास कर जब वे लंबे समय तक रहें तो जांच करवानी चाहिए।"
 
 
डॉक्टर अग्रवाल ने बताया कि इनमें से कुछ में नई एलर्जी, रसायनों, खाद्य पदार्थों या गंध के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि, ऊर्जा की कमी, ब्रेन फॉग, और यहां तक कि चिंता और अवसाद शामिल हैं। कुछ जोखिम वाले कारकों वाले लोग दूसरों की तुलना में एआईडी के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। महिलाओं में यह बच्चे के जन्म के वर्षों के दौरान हो सकता है। कुछ अन्य कारकों में उम्र, कुछ बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण और आहार व रसायनों के पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना प्रमुख है।
एआईडी के कुछ उदाहरणों में मल्टिप्लेस्क्लेरोसिस, टाइप-1 डायबिटीज, रियूमेटाइड आर्थराइटिस और क्रोनिक थायरॉयडिटिस शामिल हैं। एआईडी के आठ करोड़ से अधिक प्रकार हैं और दुनिया भर में लगभग दस करोड़ लोगों को ये प्रभावित करते हैं। डॉक्टर अग्रवाल के अनुसार भारत में कम से कम दस प्रतिशत आबादी ऐसी विभिन्न परिस्थितियों से पीड़ित है। प्रत्येक एआईडी में अलग-अलग लक्षण होते हैं, इसलिए इनके उपचार भी अलग-अलग हो सकते हैं।
 
 
एआईडी की रोकथाम में खानपान के तरीकों की प्रमुख भूमिका है। बाजार में मिलने वाला प्रोसेस्ड फूड ना केवल सूजन पैदा कर सकता है, बल्कि इम्यून प्रतिक्रिया पर भी असर डालता है। स्वस्थ और संतुलित आहार पेट के स्वास्थ्य और एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए चमत्कार कर सकता है। विटामिन ए और डी, सेलेनियम, जिंक, ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रो-बायोटिक्स, ग्लूटामाइन और फ्लैवोनोल जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर आहार से ऑटोइम्यून रोगों से बचाव हो सकती है।
 
 
दिन में कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि भी आवश्यक है, जो शरीर के प्राकृतिक सूजनरोधी तंत्र को मजबूत करने में मदद करती है। तनाव सूजन का प्रमुख कारक है, और इसलिए, योग और ध्यान के रूप में विश्राम तकनीक का अभ्यास करना एक अच्छा विचार है।
 
आईएएनएस/आईबी
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