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Last Modified: मंगलवार, 30 जुलाई 2019 (11:08 IST)

संसाधनों की भूख से खाली होती धरती

संसाधनों की भूख से खाली होती धरती | earth environment
2019 में सात महीनों के भीतर इंसान ने प्राकृतिक संसाधनों का साल भर का कोटा फूंक दिया है। इंसानी खपत ने वन, मिट्टी और पानी के संतुलन को बिगाड़ दिया है।
 
कैलिफोर्निया में जारी की गई ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क की रिपोर्ट कहती है, "इस बार अर्थ ओवरशूट डे 29 जुलाई को पड़ा है, इसका मतलब है कि मानवता ने हमारे ग्रह के प्राकृतिक साधनों का इस्तेमाल 1.75 गुना तेजी से किया है, यह रफ्तार इकोसिस्टम के प्राकृतिक रूप से पुर्नजीवित होने की दर से तेज है।" दूसरे शब्दों में कहें तो इंसान इस साल इतने पेड़ों और जीवों का सफाया कर चुका है, जितने प्राकृतिक रूप से पैदा ही नहीं होते। यह प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने का सबूत है।
 
अर्थ ओवरशूट डे, उस दिन को कहा जाता है, जिस दिन इंसान साल भर के प्राकृतिक संसाधनों का कोटा खत्म कर लेता है। सन 1986 से लेकर अब तक हर साल अर्थ ओवरशूट डे का एलान किया जाता है। दुनिया भर में पर्यावरण पर नजर रखने वाली संस्थाओं की रिपोर्टों के जरिए ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क अर्थ ओवरशूट डे का एलान करता है।
 
सन 1986 से 1999 के बीच अर्थ ओवरशूट डे आम तौर पर अक्टूबर या उसके बाद पड़ता था। लेकिन बीते 20 सालों से यह दिन लगातार और पहले पड़ने लगा है। सन 1993 में अर्थ ओवरशूट डे 21 अक्टूबर को पड़ा। वहीं 2003 में 22 सितंबर को अर्थ ओवरशूट डे घोषित हुआ। सन 2017 में ऐसा मंजर दो अगस्त को सामने आ गया।
 
ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क के मुताबिक, "प्राकृतिक संसाधनों के अथाह दोहन के सबूत घटते जंगलों, बढ़ते भूक्षरण, जैवविविधता के नुकसान और वातावरण में बढ़ती कार्बन डाय ऑक्साइड के रूप में देखे जा रहे हैं।" धरती पर मौजूद इंसान की आबादी जुलाई 2019 तक 7.7 अरब पहुंच चुकी है। इस आबादी को ऊर्जा और ट्रांसपोर्ट मुहैया कराने में सबसे ज्यादा सीओटू का उत्सर्जन हो रहा है।
 
ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क के संस्थापक मैथिस वैकेरनैगेल कहते हैं, "हमारे पास सिर्फ एक ही पृथ्वी है- इंसान का अस्तित्व यही तय करती है। घातक नतीजों के बिना हम 1.75 गुना पृथ्वी जितने संसाधन इस्तेमाल नहीं कर सकते।"
 
ओएसजे/आरपी (एएफपी)
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