पहला वनडे जीतने के बाद बोले केदार जाधव, अलग शॉट खेल सकता हूं इसलिए अधिक जोखिम उठाता हूं
हैदराबाद। केदार जाधव का मानना है कि अलग तरह के शॉट खेलने की क्षमता के कारण वे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में लक्ष्य का पीछा करते हुए अधिक जोखिम उठा पाए और दूसरे छोर पर महेंद्र सिंह धोनी की मौजूदगी से विरोधी टीम पर दबाव बना रहा।
जाधव ने 87 गेंदों में नाबाद 81 रनों की पारी खेली जिससे भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 6 विकेट से हराया। धोनी ने नाबाद 59 रन बनाए। जाधव ने अर्द्धशतक पूरा करने के बाद तेजी से रन जुटाए जबकि धोनी को पैर की मांसपेशियों में जकड़न से जूझते देखा गया।
यह पूछने पर कि क्या धोनी को असहज देखकर उन्होंने अधिक आक्रामक शॉट खेलने का फैसला किया? जाधव ने कहा कि ऐसा नहीं है। हमारे में से एक को जोखिम उठाना ही था। मैं अपने पूरे करियर के दौरान चौथे नंबर पर खेला हूं इसलिए मैं सभी तरह के शॉट खेलने को तैयार रहता हूं।
इस भारतीय बल्लेबाज ने मैच के बाद कहा कि बड़े होते हुए मैंने हमेशा अपनी बल्लेबाजी को अलग तरह के शॉट खेलने के आधार पर तैयार किया। मुझे लगता है कि मेरे पास इन अलग तरह के शॉट को खेलने का अधिक मौका होता है। महाराष्ट्र के इस खिलाड़ी का मानना है कि धोनी सीधे शॉट खेलता है और इससे विरोधी टीम पर दबाव बनता है।
जाधव ने कहा कि माही (धोनी) का स्वाभाविक खेल सीधे शॉट खेलना है। वह जब तक क्रीज पर रहता है तब तक विरोधी टीम दबाव में रहती है। उसे थोड़ी जकड़न की समस्या थी और मैंने उसे कहा कि आपका विकेट पर होना मुझे काफी आत्मविश्वास देता है। मैं अर्द्धशतक पूरा करने के बाद अपना स्वाभाविक खेल दिखा पाया, क्योंकि वह दूसरे छोर पर था। जाधव ने इसके बाद किसी जूनियर खिलाड़ी पर धोनी के असर पर बात की।
उन्होंने कहा कि मैं जब भी उसके साथ समय बिताता हूं तो काफी कुछ सीखता हूं। मैं इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता लेकिन मैं ऐसे कह सकता हूं कि मैं जब भी माही भाई तो देखता हूं तो काफी आश्वस्त महसूस करता हूं। उसके अंदर प्रत्येक खिलाड़ी से सर्वश्रेष्ठ हासिल करने की क्षमता है और सभी को उसकी यही चीज पसंद है।
जाधव ने कहा कि धोनी और विराट कोहली ने अपने करियर में जो हासिल किया उसके लिए उसे पूरा श्रेय जाता है। अगर मैं उसका 10 या 15 प्रतिशत भी हासिल कर पाया तो यह शानदार होगा। जाधव की ऑफ ब्रेक कोहली के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है लेकिन उनका अब भी मानना है कि वे नियमित रूप से 10 ओवर फेंकने के लिए मानसिक या शारीरिक रूप से तैयार नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि मैंने अब तक मैच में 10 ओवर गेंदबाजी करने के बारे में नहीं सोचा। अगर स्थिति की मांग होगी और टीम की जरूरत होगी तो निश्चित तौर पर मैं ऐसा कर सकता हूं। लेकिन लगातार ऐसा करने के लिए मानसिक और शारीरिक सामंजस्य भी जरूरी होता है। (भाषा)