थाईलैंड में 10 हजार लोग सड़कों पर, सबसे बड़ा सरकारी विरोध, आखिर क्यों?
थाईलैंड में सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन तेज हो गए हैं। रविवार को करीब 10 हजार लोगों ने सड़कों पर उतरकर सरकार विरोधी नारेबाजी की। पुलिस का कहना है कि यह पिछले कुछ सालों में हुए प्रदर्शनों में सबसे बड़ा राजनीतिक प्रदर्शन है।
थाईलैंड में हजारों लोग सरकार के खिलाफ सडक पर उतर आए हैं। वे अपने संविधान में संशोधन चाहते हैं। इसके लिए सोशल मीडिया ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।
थाईलैंड में प्रधानमंत्री प्रयुत्त चान-ओ-चा के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। सेना प्रमुख रहे प्रयुत्त ने 2014 में तख्तापलट करके सत्ता हथियाई थी। खास बात है कि इन प्रदर्शनों का नेतृत्व छात्र कर रहे हैं।
रविवार शाम को लोकतांत्रिक सुधारों की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी बैंकॉक स्थित लोकतंत्र स्मारक के आसपास व्यस्त चौराहे पर जमा हो गए। इस स्मारक को शाही निरंकुशता को समाप्त करने वाली 1932 की क्रांति के प्रतीक के रूप में बनाया गया था।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने मुख्य सड़कों को बंद कर दिया। बैंकॉक मेट्रोपॉलिटन पुलिस ब्यूरो के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि शाम 6 बजे तक प्रदर्शनकारियों की संख्या 10,000 से ज्यादा पहुंच गई थी। प्रदर्शनकारी सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे। उनके हाथों में तख्तियां भी थीं, जिन पर लिखा हुआ था ‘तानाशाही खत्म करो’
‘लोकतंत्र स्मारक’ पर 2014 के बाद से पहली बार इतनी बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जुटे हैं। इससे पता चलता है कि लोगों में सरकार को लेकर कितना गुस्सा है।
दरअसल, तीन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को लेकर पिछले दो हफ़्तों से थाईलैंड में स्थिति खराब है। इन कार्यकर्ताओं को राजद्रोह और कोरोना वायरस नियमों के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, हालांकि बाद में उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया। इनमें से प्रमुख छात्र नेता पारित चिवार्क रविवार को हुए प्रदर्शन का भी हिस्सा रहे।
बताया जा रहा है कि थाईलैंड में सरकार विरोधी प्रदर्शन कुछ हद तक हांगकांग के लोकतंत्र आंदोलन से प्रेरित हैं। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि कोई भी उनका लीडर नहीं है और देशभर में समर्थन जुटाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है।
प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि 2017 में सेना द्वारा लिखे गए नए संविधान को पूरी तरह से बदला जाए. उनका यह भी कहना है कि 2019 में हुए चुनाव में गड़बड़ी की गई थी, जिसकी बदौलत ही प्रयुत्त की पार्टी को जीत मिली।
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि संविधान और जन विरोधी कानून को तुरंत बदला जाए। पिछले सप्ताह भी लगभग 4,000 प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों को लेकर रैली निकाली थी।