सुलेखा शाह (बदला हुआ नाम) जेन जेड समूह की नेपाली मूल की सदस्य हैं, जिनका जन्म और परवरिश भारत में हुई। उन्होंने दिल्ली में अपने नेपाली माता-पिता के साथ, नेपाल में घटित घटनाओं को उतनी ही उत्सुकता से देखा, जितना कि काठमांडू में उनके चचेरे भाई-बहनों ने। जेन जेड समूह के नेतृत्व में नेपाल में इस हफ्ते की शुरुआत में हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शनों के बीच केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, अब पड़ोसी देश में हालात पटरी पर लौटते नजर आ रहे हैं।
नेपाल में ओली सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच विरोध-प्रदर्शन शुरू हुए, जो सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के कारण और उग्र हो गए। विरोध-प्रदर्शनों में कम से कम 51 लोगों की मौत हो गई।
दिल्ली की एक कंपनी में काम करने वाली सुलेखा (24) नेपाल में ओली सरकार के पतन और एक महिला प्रधानमंत्री के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन से “खुश” हैं। हालांकि, उन्होंने विरोध-प्रदर्शनों के दौरान हुई तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी की घटनाओं की निंदा की।
नेपाल की पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार रात देश की पहली अंतरिम महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। इसी के साथ देश में कई दिनों से जारी राजनीतिक अनिश्चितता समाप्त हो गई। सुलेखा ने कहा कि हमें अब भी नहीं पता कि आगे क्या होगा। हालांकि, मुझे उम्मीद है कि सुशीला कार्की के नेतृत्व में स्थिति सुधरेगी और भारत-नेपाल संबंध भी बेहतर होंगे, क्योंकि नई दिल्ली के प्रति उनका नजरिया अलग है।
कार्की के कार्यभार संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और “नेपाल के लोगों की शांति एवं समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।” साल 2001 में दिल्ली में जन्मी सुलेखा के माता-पिता लगभग एक साल पहले नेपाल छोड़कर भारत आ गए थे। वह खुद को “अपनी नेपाली जड़ों पर गर्व करने वाली एक भारतीय” बताती हैं। सुलेखा ने कहा, “नेपाल में विरोध-प्रदर्शन शुरू होने और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगने से पहले ही, मुझे काठमांडू में लगभग मेरी ही उम्र के अपने चचेरे भाइयों से पता चला कि करदाताओं के पैसे के दुरुपयोग को लेकर युवाओं में असंतोष की भावना है।”
उन्होंने कहा, “इसलिए, दिल्ली में बैठकर पूरे घटनाक्रम को देखते हुए मुझे लगा कि जो हुआ, वह जरूरी था, यानी कि ओली सरकार का जाना सही है। लेकिन सार्वजनिक संपत्तियों में तोड़फोड़ और आगजनी ठीक नहीं थी।”
नेपाल में उग्र प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और प्रतिष्ठित सिंह दरबार सहित कई ऐतिहासिक इमारतों को क्षतिग्रस्त कर दिया या आग लगा दी। सुलेखा ने कहा कि स्थिति इसलिए बिगड़ गई, क्योंकि युवाओं की आवाज को “दबाया” गया।
सुलेखा के काठमांडू में रहने वाले चचेरे भाई आदित्य शाह (20) ने भी समान विचार जाहिर किए। उन्होंने कहा कि यह देखकर अच्छा लगा कि “जेन जेड के लोग देश के लिए कुछ कर रहे हैं, विकास की मांग कर रहे हैं।”
आदित्य ने फोन पर पीटीआई से कहा, “लेकिन सार्वजनिक संपत्तियों में तोड़फोड़ और आगजनी से हमारा ही नुकसान था। विरोध शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए... तोड़फोड़ और आगजनी सही नहीं है। उन्होंने कहा कि कई लोग सोचते हैं कि विरोध-प्रदर्शन “केवल सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने को लेकर था, लेकिन वास्तव में यह सिर्फ उस तक सीमित नहीं था।”
आदित्य ने दावा किया, “नेपाल में करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल नेताओं के बच्चों की विलासितापूर्ण जीवनशैली के लिए किया जा रहा था। जब युवाओं ने इसके खिलाफ आवाज उठानी शुरू की, तो सरकार ने एक नोटिस जारी कर कहा कि बड़ी संख्या में ऐसे ऐप हैं, जिन्हें प्रतिबंधित किया जाएगा, क्योंकि वे पंजीकृत नहीं हैं।”
उन्होंने कहा कि प्रतिबंध की घोषणा के बाद जनरेशन जेड के नेतृत्व में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए, जिसके तहत “इन नेताओं को बेनकाब करने” की कोशिश की गई।
आदित्य ने कहा, “विरोध-प्रदर्शन जल्द ही पूरे नेपाल में फैल गए, जहां जेनरेशन जेड के सदस्यों ने मांग की कि प्रशासन में भ्रष्टाचार नहीं होना चाहिए और देश को विकास के पथ पर बढ़ना चाहिए।”
काठमांडू के एक छात्र कार्तिक शाह (21) ने कहा, “मैं नेपाल में पैदा हुआ था। मैंने भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया वेबसाइटों पर प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शनों में भी हिस्सा लिया था।” सुलेखा और उनके माता-पिता ने उम्मीद जताई कि नेपाल में जल्द ही शांति लौट आएगी।
सुलेखा ने कहा, “मेरे पिता, जो एक व्यवसायी हैं, नेपाल के एक कस्बे में पैदा हुए थे। वह लगभग 25 साल पहले भारत आए, पहले गुवाहाटी और फिर दिल्ली। मेरी मां, जो एक गृहिणी हैं, जनकपुर में पैदा हुई थीं और शादी के बाद भारत आ गईं।” सुलेखा ने कहा कि उनके माता-पिता को “नेपाली नागरिक होने पर गर्व है” और उन्होंने कभी भी “अपनी जड़ों को छिपाने की कोशिश नहीं की।”
हालांकि, सुलेखा ने इस बात पर अफसोस जताया कि उन्हें और उनकी दो छोटी बहनों (जिनकी उम्र 20 साल और 18 साल है) को कभी-कभी कुछ लोगों से “उनकी नेपाली पहचान को लेकर अप्रिय टिप्पणियों” का सामना करना पड़ता है, लेकिन उन्होंने कहा कि “भारत और नेपाल दोनों ही उनके दिल में खास जगह रखते हैं।” सुलेखा ने कहा, “मेरे माता-पिता नेपाल को अपनी जन्मभूमि और भारत को अपनी कर्मभूमि कहते हैं, लेकिन मेरे लिए भारत मेरी जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों है।” भाषा Edited by : Sudhir Sharma