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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 10 मार्च 2025 (14:04 IST)

पुण्यतिथि विशेष: सावित्रीबाई फुले कौन थीं, जानें उनका योगदान

पुण्यतिथि विशेष: सावित्रीबाई फुले कौन थीं, जानें उनका योगदान - Savitribai Phule Death Anniversary
savitribai phule information: सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका, समाज सुधारक और मराठी कवयित्री थीं। उन्हें भारत में महिला शिक्षा की अग्रदूत माना जाता है। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा के लिए अथक प्रयास किए।
 
सावित्रीबाई फुले का प्रारंभिक जीवन और विवाह: सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के सातारा जिले के नायगांव में हुआ था। उनके पिता खंडोजी नेवसे और माता लक्ष्मीबाई थीं। उनका विवाह 1840 में 9 साल की उम्र में 12 साल के ज्योतिराव फुले से हुआ था। उन दोनों की अपनी कोई संतान नहीं थी, अत: उन्होंने एक ब्राह्मण विधवा के पुत्र यशवंत राव को गोद लिया था।

ज्योतिराव फुले ने सावित्रीबाई को पढ़ने और लिखने के लिए प्रोत्साहित किया। सावित्रीबाई फुले ने अहमदनगर और पुणे में शिक्षक बनने का प्रशिक्षण लिया। सावित्रीबाई फुले ने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने महिलाओं को शिक्षा और समानता का अधिकार दिलाने के लिए अथक प्रयास किए। उन्हें भारत में महिला शिक्षा की जननी माना जाता है। सावित्रीबाई फुले का जीवन हमें यह सिखाता है कि हमें हमेशा अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और समाज में बदलाव लाने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।।
 
सावित्रीबाई फुले का योगदान: सावित्रीबाई फुले ने सन् 1848 में अपने पति के साथ मिलकर पुणे में लड़कियों के लिए पहले स्कूल की स्थापना की। उन्होंने विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ महिलाओं के लिए पहले स्कूल की शुरुआत की। उन्होंने महिलाओं के शिक्षा के अधिकार के लिए भी लड़ाई लड़ी।

उन्होंने विधवा पुनर्विवाह और जातिवाद के खिलाफ भी काम किया। सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई कविताएं और लेख लिखे। उन्होंने बाल विवाह, सती प्रथा और दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई। सन् 1852 में उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए 'महिला सेवा मंडल' की स्थापना की।
 
निधन: सावित्रीबाई फुले की मृत्यु 10 मार्च, 1897 को पुणे में हुई थीं। वे भारत की ऐसी महान हस्त‍ी तथा पहली महिला शिक्षिका थीं, जिन्हें दलित लड़कियों को पढ़ाने पर लोगों द्वारा फेकें गए पत्थर और कीचड़ का सामना भी किया था।
 
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