एकमात्र जंगल बचाने के लिए इंदौरवासी हुए एकजुट, NGT से लेकर कोर्ट तक घेरेंगे, नहीं तो कट जाएंगे 10 हजार पेड़
लगातार बिगड़ते मौसम, क्लाइमेट चेंज और बढ़ते तापमान के बावजूद विकास और व्यावसायिक प्रोजेक्ट के नाम पर जंगलों और पेड़ों की कटाई से सरकारें बाज नहीं आ रही हैं। आए दिन जंगलों की कटाई और अच्छे खासे पेड़ों की विकास के नाम पर बलि दी जा रही है। अब ऐसे ही एक व्यावसायिक प्रोजेक्ट के लिए मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर का एकमात्र जंगल को काटा जा रहा है। जिसके लिए इंदौर के हजारों लोग एकजुट हो रहे हैं।
दरअसल, इंदौर के हुकुमचंद मिल की जमीन सरकार के पास है और इस जमीन पर भरापुरा जंगल, हजारों पेड़ हैं। यह प्राकृतिक संपदा से भरी हुई जगह है। इस जंगल में हजारों पेड़, तालाब और बावड़ियां मौजूद हैं जो इंदौर के लिए ऑक्सीजन का काम करते हैं। प्रशासन यहां पर एक कमर्शियल प्रोजेक्ट लाने की तैयारी में है। इस प्रोजेक्ट में मप्र हाउसिंग बोर्ड फ्लैट बनाकर लोगों को बेचेगा। यह प्रोजेक्ट विकसित करने के लिए यहां का जंगल काटना होगा, हजारों पेड़ों की बलि देना होगी, ऐसे में इंदौर के पर्यावारणविद और एक्टिविस्ट समेत आम लोगों ने इस प्रोजेक्ट के खिलाफ कमर कस ली है। बता दें कि फ्लैट की शुरुआती कीमत एक करोड़ रुपए से अधिक होगी। इसके साथ यहां पर दुकानें, व्यापारिक प्रकल्प भी बनाए जाएंगे।
जंगल बचाने के लिए तेज हुआ आंदोलन : इंदौर के बीच बने आखिरी प्राकृतिक जंगल को बचाने के लिए आंदोलन तेज हो गया है। हुकुमचंद मिल क्षेत्र में बने इस जंगल को बचाने के लिए पर्यावरणप्रेमी सड़क से कोर्ट तक संघर्ष कर रहे हैं। दो सप्ताह के अंदर ही दो बड़े प्रदर्शन हो चुके हैं और अब एनजीटी और कोर्ट में भी जाने की तैयारी की जा रही है।
राजबाड़ा में प्रदर्शन, मोहल्लों में होगा जागरण : समाजसेवी अजय लागू ने बताया कि दो सप्ताह के अंदर हमने दो प्रदर्शन किए हैं। पहला प्रदर्शन हुकुमचंद मिल के अंदर किया गया और दूसरा प्रदर्शन राजबाड़ा में किया गया। दोनों ही जगह बड़ी संख्या में पर्यावरणप्रेमी पहुंचे और कई संस्थाओं का सपोर्ट हमें मिल रहा है। अब हम रहवासी संघों, मोहल्लों, स्कूलों और कालेजों में जागरण करेंगे। शहर की जनता को जागरूक करेंगे और इस आंदोलन से जोड़ेंगे। किसी भी हाल में जंगल को बचाना होगा।
एनजीटी और कोर्ट भी जाएंगे : पर्यावणप्रेमियों ने बताया कि अब वो एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल और कोर्ट का भी रुख करेंगे। उन्हें जंगल की वास्तिवक स्थिति बताई जाएगी। यह बताया जाएगा कि इसे काटने से कितना और क्या नुकसान होगा। सरकार और प्रशासन को कानूनी रूप से भी इस जंगल को बचाने के लिए बाध्य किया जाएगा। आंदोलन में शामिल आम लोगों ने बताया कि यदि यह जंगल कट गया तो हम अपने बच्चों के लिए एक खतरनाक भविष्य देकर जाएंगे। नई पीढ़ी को न तो स्वच्छ हवा मिलेगी न ही पानी। पूरा शहर आज भट्टी की तरह तप रहा है। इसके कटने के बाद तो तापमान और भी अधिक बढ़ जाएगा।
क्यों है हुकुमचंद मिल का जंगल खास : बता दें कि इस प्राकृतिक जंगल में दो बड़े तालाब, दो कुएं, कई बावड़ियां मौजूद हैं। लगभग दस हजार से अधिक प्राचीन पेड़ हैं जो इंदौर के मध्यक्षेत्र के लिए पानी सहेजते हैं। यह शहर का मुख्य रिचार्ज जोन है, जिसकी वजह से लाखों लीटर पानी जमीन के अंदर जाता है और शहर के बोरिंग रिचार्ज होते हैं। शहर के तापमान को कम करने और ऑक्सीजन को लेवल को बढ़ाने के लिए भी यह जंगल मुख्य भूमिका निभाता है। शहर में आज बारिश पूरी तरह से असामान्य हो चुकी है। अगर यह जंगल रहेंगे तभी बारिश बेहतर होगी। यदि इसे काट दिया गया तो इससे बारिश पर भी प्रभाव पड़ेगा। बता दें कि हुकुमचंद मिल की जमीन पर एक कमर्शियल प्रोजेक्ट लाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में मप्र हाउसिंग बोर्ड फ्लैट बनाकर बेचेगा।
रिपोर्ट : नवीन रांगियाल