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Last Updated : शनिवार, 20 मई 2023 (15:13 IST)

इंदौर के इस दंपत्‍ति ने बाइक से तय की खारदुंग ला दर्रे की ऊंचाई

Indore couple
लगन,जज्बा और साहस साथ-साथ हो तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं है और इसी बात को सार्थक कर दिखाया इंदौर के दंपत्ति ने। योगेश और हेमा नागौरी ने बाइक से विश्व की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड (वाहन जाने योग्य) खारदुंग ला दर्रे को अपनी मंजिल बनाया, उन्होंने विपरीत मौसम, सर्द हवाएं, निम्नतम तापमान, स्नो फॉल आदि कई बाधाओं को पार करते हुए खारदुंग ला (17982 फीट) इंदौर का परचम लहराया।

बता दें कि खारदुंगला लेह लद्दाख क्षेत्र का सर्वाधिक ऊंचाई क्षेत्र है, जो कि कई बाईकर्स के आकर्षण का केंद्र है, इसी क्षेत्र में चांगला दर्रा (17586 फीट ऊंचाई) जो कि विश्व की दूसरी सबसे ऊंची मोटरेबल रोड है वह भी वह भी बाईकर का आकर्षण का केंद्र है, इस क्षेत्र में आने वाले बाईकर इन्ही दोनो उचांईयों को पार करना अपनो सफलता मानते हैं, और यही सफलता नागोरी दंपति ने चांगला दर्रे को बाइक से पार कर प्राप्त की।

निसंदेह लेह- लद्दाख अपनी प्राकृतिक सुंदरता और दुर्गम स्थानों के कारण विशिष्ट पहचान रखता है और मौसम खुलते ही यहां बाइकर्स का जमावड़ा हो जाता है देश के विभिन्न क्षेत्रों से कई बाइकर्स यहां पर अपनी किस्मत आजमाने आते हैं, ऊंचे पहाड़,  गिरती बर्फ और दुर्गम रास्ते कई बाइकर्स को डरा भी देते हैं मगर ऊंचे इरादे और साहस से यही चुनौतियां अवसर बन जाती है और शुरू हो जाता है इन रास्तों पर मंजिल पर पाने का सफर। मगर आज भी अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए विश्व प्रसिद्ध है ना सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता बल्कि सामरिक दृष्टि से भी बहुत ही महत्वपूर्ण है।
Indore couple
1971 में भारत में तुरतूक को अपने अधिकार में ले लिया था जो कि पाकिस्तान के पास था तुरतूक (पाकिस्तान के कब्जे वाला गिलगीत और बाल्टिस्तान) सामरिक रूप से भारत के लिए महत्वपूर्ण था, कारण के पाकिस्तान यहां से चीन के साथ मिलकर भारत पर कभी भी कार्रवाई कर सकता था। वहां पहुंचकर देशभक्ति एक अलग ही अंदाज़ में पहुंचकर की हिलोरे लेने लगती है और मन बरबस ही सेना का प्रति नतमस्तक हो जाता है।

तुरतुक भी बाइक से दोनो दंपति पहुचे और तुरतुक से 12 किलोमीटर आगे थांग भी पहुचे, जहां से पाकिस्तान की पोस्ट 200 मीटर की दूरी पर ही है और आंखों से दिखती है। तुरतुक को सियाचिन का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।
इस यात्रा में हमें दो विश्व प्रसिद्ध नदियां सिंधु और जास्कर का संगम भी देखने को मिला,जहां दो अलग-अलग रंगों की धाराएं नीली और हरी स्पष्ट देखने को मिलती है। सिंधु नदी भारतीय सभ्यता और संस्कृति को सदियों से पोषित करती रही है और आज भी इस क्षेत्र की जीवनदायिनी नदी के रूप में जानी जाती है।

अपनी बाइक यात्रा के दौरान इस दंपत्ति ने मैग्नेटिक हिल को भी देखा जिस पर चुंबकीय आकर्षण के कारण वाहन स्वतः ही चलतेह हैं। धार्मिक भावना के दृष्टिकोण से भी इस यात्रा में दो महत्वपूर्ण पढाव हैं,पहला पत्थर साहिब गुरुद्वारा जो कि सिख संप्रदाय की ही नहीं अपितु समस्त धर्म प्रेमियों के लिए आस्था का केंद्र है वहां पहुंचकर एक अलग ही पवित्र भावना से मन प्रफुल्लित हो उठता है, गुरुद्वारे के दर्शन एवं लंगर प्रसादी से समस्त थकान गायब हो जाती है दूसरा बौद्ध अनुयायियों का धार्मिक स्थल शांति स्तूप भी यात्रा का एक आकर्षण है,बौद्ध कालीन स्थापत्य कला का एक नायाब नमूना है इसके दर्शन से ही लेह के जीवन दर्शन को समझने में सहायता मिलती है।

लेह में सैनिकों की शौर्य गाथाओं को बताता हॉल ऑफ फेम म्यूजियम भी बाइकर्स में सैनिकों के प्रति जोश भर देता है। कारगिल सियाचिन, गिलगीत और बाल्टिस्तान और कई अनगिनत साहसिक कहानियां वहा जीवंत हो उठती है, और मन बरबस ही सैनिकों के प्रति श्रृद्धा से झुक जाता है। निसंदेह ही बाइक द्वारा नागौरी दंपत्ति की बाइक यात्रा के उनके साहसिक कदम का परिणाम रही, जिसे उन्होंने अपने ईश्वर परिवारजनों और मित्रों के समर्थन से पूरा किया।
Edited by Navin Rangiyal
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