इंदौर। ओबीसी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के संभागीय अध्यक्ष नीरज कुमार राठौर ने मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल को एक महत्वपूर्ण पत्र लिखा है जिसमें राजभवन, भोपाल में ओबीसी प्रकोष्ठ की स्थापना की मांग की गई है। राठौर ने अपने पत्र में बताया कि मध्यप्रदेश की जनसंख्या का लगभग 65% हिस्सा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित है। यह विशाल जनसंख्या राज्य के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक ढांचे में महत्वपूर्ण योगदान देती है। उन्होंने राज्यपाल को उनके नेतृत्व में राजभवन में पहले से स्थापित जनजातीय प्रकोष्ठ के सफल कार्यों की सराहना की।
जनजातीय प्रकोष्ठ, जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत 8 अप्रैल 2022 को स्थापित किया गया था, ने कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं, जैसे कि झाबुआ और आलीराजपुर जिलों में सिकल सेल एनीमिया की स्क्रीनिंग, प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान की क्रियान्विति और पेसा अधिनियम के प्रावधानों का कार्यान्वयन। इन पहलों ने जनजातीय समुदायों के जीवन स्तर को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
राठौर ने ओबीसी समुदाय की विशेष आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए एक समान ओबीसी प्रकोष्ठ की स्थापना की अपील की है।
प्रस्तावित ओबीसी प्रकोष्ठ के निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य हो सकते हैं-
शिक्षा और रोजगार: ओबीसी युवाओं के लिए शैक्षिक अवसरों और रोजगार सृजन के लिए नीतियों और कार्यक्रमों का निर्माण। इसमें छात्रवृत्ति, कौशल विकास कार्यक्रम और शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण शामिल हो सकते हैं।
स्वास्थ्य और कल्याण: ओबीसी समुदाय के प्रचलित स्वास्थ्य मुद्दों को संबोधित करने के लिए स्वास्थ्य पहलों का कार्यान्वयन। नियमित स्वास्थ्य शिविर, जागरूकता कार्यक्रम और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ साझेदारी लाभकारी हो सकती है।
सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण: ओबीसी समुदाय के अधिकारों और हितों की रक्षा और संवर्द्धन सुनिश्चित करना। इसमें कानूनी सहायता, सामाजिक न्याय योजनाओं के बारे में जागरूकता अभियान और शिकायतों के निवारण के लिए प्लेटफॉर्म शामिल हो सकते हैं।
आर्थिक विकास: ओबीसी उद्यमियों और छोटे व्यवसायों के लिए वित्तीय संसाधनों, उद्यमशीलता के अवसरों और बाजार संपर्क की सुविधा प्रदान करना। विशेष ध्यान माइक्रो-फाइनेंस, सहकारी आंदोलन और स्वयं सहायता समूहों को दिया जा सकता है।
सांस्कृतिक संरक्षण: ओबीसी समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देना और संरक्षित करना। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, धरोहर संरक्षण परियोजनाएं और पारंपरिक कला और शिल्प के लिए समर्थन शामिल हो सकते हैं।
राठौर ने अपने पत्र के माध्यम से राज्यपाल से अपील की है कि राजभवन में ओबीसी प्रकोष्ठ की स्थापना से ओबीसी समुदाय की विशिष्ट चुनौतियों का समाधान होगा और सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जाएगा।
Edited by: Ravindra Gupta