योगाचार्य स्वामी शिवानन्द का परिचय
स्वामी शिवानन्द (8 सितंबर 1887-14 जुलाई 1963): का जन्म तमिलनाडु के अप्यायार दीक्षित वंश में हुआ और संन्यास के बाद उन्होंने अपना जीवन ऋषिकश में व्यतीत किया। वे वेदान्त के आचार्या, योगाचार्य और दार्शनिक थे। वेदान्त अध्ययन के बाद उन्होंने चिकित्साविज्ञान का अध्ययन किया और मलेशिया में डॉक्टर के रूप में सेवा दी
सन् 1924 में चिकित्सासेवा का त्याग करने के पश्चात ऋषिकेश में बस गए और कठिन आध्यात्मिक साधना करने लगे। सन् 1932 में उन्होंने शिवानन्दाश्रम और 1936 में दिव्य जीवन संघ की स्थापना की।
अध्यात्म, दर्शन, गीता, वेतांद और योग पर उन्होंने लगभग 300 पुस्तकों की रचना की। स्वामी विष्णुदेवानंद उनके मशहूर शिष्य थे जिन्होंने कंप्लीट इलस्ट्रेटेड बुक ऑफ योग नामक किताब लिखी। उनके दूसरे शिष्यों स्वामी सच्चिदानंद, स्वामी शिवानंद राधा, स्वामी सत्यानंद और स्वामी चिदानंद ने उनके प्रयासों को जारी रखा। स्वामी सत्यानंद ने 1964 में बिहार स्कूल ऑफ योग की स्थापना की। शिवानंद पहले मलेशिया में एक डॉक्टर थे बाद में उन्होंने भारत, यूरोप और अमेरिका में योग केंद्र खोले। 14 जुलाई 1963 को वे महासमाधि में लीन हो गए।
स्वामी शिवानन्द सरस्वती के अनुसार- आज विश्व में जो भी घटनाएं घटित हो रही हैं वह शास्त्रानुार पहले से ही सुनिश्चित है।
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भविष्य पुराण में भगवान वेद व्यास जी ने स्वयं भविष्यवाणी की है कि 4,900 शताब्दि कलियुग बीतने के पश्चात् भारत में बौद्धों का राज्य होगा, तदन्तर आद्य शंकराचार्य जी का प्रादुर्भाव के साथ ही वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार होगा और मनुस्मृति के आधार पर राजा राज्य करेंगें। पुनः 300 वर्षो तक भवनों तथा 200 वर्ष तक ईसाईयों का राज्य रहेगा। उसके बाद मौन (मत पत्रों) का राज्य रहेगा, जो 11 टोपी (राष्ट्रपति) तक चलेगा।
यह क्रम लगभग 50 वर्ष तक चलेगा। इसके बाद से किसी भी पार्टी को बहुमत प्राप्त नहीं हो सकेगा। मंहगाई-भ्रष्टाचार बढ़ेगें। माता-पिता, साधु-सन्त, ब्राह्मण-विद्वान अपमानित होगें, तब भयानक युद्ध होगा। भारत पुनः अपने अस्तित्व में आकर विश्व गुरु पद पर स्थापित होगा। भारत में शास्त्रानुसार पुनः राज्य परम्परा की स्थापना होगी।-(राष्ट्रीय सहारा समाचार पत्र, वाराणसी, 8 सितम्बर, 1998)