Pitru Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में पितरों को भोग लगाना एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जो उनकी आत्मा की शांति और परिवार पर उनके आशीर्वाद के लिए की जाती है। इस दौरान पितरों को वही भोग अर्पित किया जाता है जो उन्हें जीवनकाल में प्रिय था, लेकिन वह सात्विक और शाकाहारी होना चाहिए। मान्यता है कि इस समय पितृगण धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध कर्म और भोग से संतुष्ट होकर सदैव कृपा और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
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पितृदेव की कृपा पाने के लिए आप ये भोग अर्पित कर सकते हैं:
1. खीर
यह सबसे महत्वपूर्ण भोग माना जाता है। चावल, दूध और चीनी से बनी खीर पितरों को अत्यंत प्रिय होती है। इसे पवित्रता के साथ बनाया जाता है।
2. पूरी और पकवान
शुद्ध घी में बनी पूरी, कचौड़ी, और अन्य मीठे पकवान जैसे कि मालपुआ और गुलगुले भी भोग में शामिल किए जाते हैं।
3. दाल
अरहर या मूंग की दाल को बिना लहसुन और प्याज के शुद्ध घी का तड़का लगाकर बनाया जाता है।
4. सब्जियां
कद्दू, लौकी, तोरई, और आलू जैसी मौसमी सब्ज़ियों की सात्विक सब्जी बनाई जाती है। ध्यान रहे कि बैंगन, मूली और अन्य भारी सब्जियों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
5. रोटी या पूड़ी
गेहूं के आटे से बनी रोटी या जौ के आटे से बनी रोटी भी अर्पित की जाती है।
6. अन्य पकवान
पितरों को जो भी पकवान पसंद थे, उन्हें श्रद्धापूर्वक बनाया जाता है, जैसे कि दही-वड़ा, बेसन के लड्डू आदि, बशर्ते वे सात्विक हों।
भोग लगाते समय ध्यान रखने योग्य बातें
- साफ-सफाई: भोजन बनाते समय और भोग लगाते समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- पत्तल का उपयोग: पितरों को भोजन हमेशा केले के पत्ते या पत्तल पर ही परोसा जाता है।
- कौवों को भोजन: भोग लगाने के बाद, पितरों के लिए निकाला गया भोजन सबसे पहले कौवों को खिलाया जाता है, क्योंकि कौवों को पितृ का रूप माना जाता है।
- ब्राह्मण को भोजन: इस दिन भोजन सबसे पहले ब्राह्मण को कराया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में परिवार के सदस्य ग्रहण करते हैं।
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