Highlights
* आज वर्ल्ड टाइगर डे।
* अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस का इतिहास।
* कब और कहां से हुई इस दिन की शुरुआत।
International Tiger Day : प्रतिवर्ष 29 जुलाई को विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस/ वर्ल्ड टाइगर डे मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य बाघों का संरक्षण करना और उनकी संख्या बढ़ना और उनका अच्छे से रखरखाव करना है। बता दें कि विश्व बाघ दिवस मनाने की घोषणा रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में सन् 2010 में हुई थी।
इस संबंध में किए गए शोध की मानें तो एक वक्त था जब बाघों की प्रजाती पर संकट आ गया था और इनकी संख्या तेजी से घट रही थी। इसी प्रयास हेतु अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी।
हालांकि बाघों के संरक्षण के लिए अब कई स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके कारण अब बाघों की संख्या में इजाफा हो रहा है। बाघों की विभिन्न प्रजातियों के अंतर्गत बंगाल टाइगर मुख्य रूप से भारत में पाए जाते हैं। अत: बाघ/टाइगर्स को बचाने के लिए पूरी दुनिया में 29 जुलाई के दिन यह मनाया जाता है।
कब हुई इस दिन की शुरुआत: एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर के मात्र 13 देशों में ही बाघ हैं, हालांकि अच्छी बात यह है कि इसके 70 प्रतिशत बाघ सिर्फ भारत में हैं। बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। साल 2010 में भारत में बाघों की संख्या सिर्फ 1700 के आसपास पहुंच गई थी। जिसके बाद लोगों में बाघों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था। जिसमें हर प्रति वर्ष अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाए जाने का फैसला लिया गया।
इस सम्मेलन में कई देशों ने बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य रखा था। बता दें कि मप्र को देश का टाइगर स्टेट कहा जाता है, क्योंकि यहां सबसे ज्यादा संख्या में टाइगर्स पाए जाते हैं, जबकि यहां लेपर्ड भी सबसे ज्यादा संख्या में पाए जाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का नतीजा यह है कि अब धीरे-धीरे बाघों की संख्या में इजाफा हो रहा है। देश में बाघों की जनगणना हर चार साल में की जाती है, जिससे उनकी ग्रोथ रेट का पता लगाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2024 की थीम : The Theme of International Tiger Day 2024
आपको बता दें कि हर साल, अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस एक अनूठी थीम के साथ मनाया जाता है।
इस बार वर्ष 2024 के लिए, अभी तक 'अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस थीम 2024' की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन पीएम मोदी ने रविवार, 28 जुलाई को अपनी मन की बात के 112वें एपिसोड में 29 जुलाई को 'टाइगर डे' मनाने का जिक्र किया तथा कहा कि बाघ हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है और हम सब बाघों से जुड़े किस्से और कहानियां सुनते हुए ही बड़े हुए हैं।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान के रणथम्भोर से शुरू हुआ 'कुल्हाड़ी बंद पंचायत' अभियान जहां काफी कारगर साबित हो रहा है, वहीं इससे जंगल से पेड़ों के न कटने के कारण बाघों के लिए एक अच्छा वातावरण तैयार हो रहा है। अत: इस बार बाघों के आवास को बढ़ाने, अवैध शिकार रोकने तथा उनकी संख्या को बढ़ावा देने पर विश्व अपना ध्यान केंद्रित करेगा।
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।