HIGHLIGHTS
• वैशाख अमावस्या कब है।
• दर्श अमावस्या 2024 में कब मनाई जा रही है।
• वैशाख अमावस्या का महत्व जानें
Vaishakh Amavasya : वर्ष 2024 में 07 मई को दर्श अमावस्या मनाई जा रही है। और उदयातिथि के हिसाब से 08 मई, बुधवार को वैशाख अमावस्या मनाई जाएगी। इस अमावस्या पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
आइए यहां जानते हैं वैशाख कृष्ण अमावस्या का पौराणिक महत्व-
वैसे तो एक वर्ष में 12 अमावस्याएं आती हैं। और 1 माह में 1 ही अमावस्या पड़ती है। इस बार 07 मई, मंगलवार को दर्श अमावस्या और 08 मई, बुधवार को वैशाख अमावस्या पड़ रही है। अत: इस अमावस्या को भौमवती और सतुवाई अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यतानुसार वैशाख अमावस्या पर पितरों की शांति, ग्रह और कालसर्प दोष निवारण हेतु खास उपाय किए जाते हैं। इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन करने से बचना चाहिए। तथा शराब, भांग, गांजा, चरस आदि हर तरह के नशे से दूर रहना चाहिए, क्योंकि अमावस्या के दिन व्यक्ति में नकारात्मक सोच बढ़ जाती है। अत: हमारे भविष्य पर इसका दुष्परिणाम होता है।
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार वैशाख कृष्ण अमावस्या पर श्रीमद्भागवत कथा का पाठ करने अथवा सुनने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। तथा इस दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन मोक्ष प्राप्ति देने वाला कहा गया है।
वैशाख माह में पितरों की पूजा करने का भी खासा महत्व है। इस माह में पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करना चाहिए। वैशाख माह की कथा के अनुसार धर्मवर्ण नामक के विप्र ने वैशाख अमावस्या पर विधि-विधान से पिंडदान कर अपने पितरों को मुक्ति दिलाई थी। ऐसा महत्व कहा गया है।
इतना ही नहीं यदि कुंडली में पितृ दोष है तो उन लोगों को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही अमावस्या तिथि पर पवित्र नदी, तट पर स्नान और तत्पश्चात दान करने से जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन हो सके तो उपवास रखने की भी मान्यता है तथा पूजा-पाठ आदि में समय बिताना चाहिए।
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।