महाराणा प्रताप "वीर आल्हा छंद"
Maharana Pratap Poetry: 9 मई को महाराणा प्रताप की जयंती रहती है। राजस्थान ही नहीं संपूर्ण भारत के वीर सपूत महाराणा प्रताप पर कई लोगों ने छंद में अपने भाव व्यक्त किए हैं। उन की वीरता पर हजारों कविताएं लिखी गई है। प्रस्तुत है उन्हीं में से एक कविता।
चली चाल अकबर ने भारी,
मुगल दासता राणा मान।
नहीं दासता मैं स्वीकारूं,
जब तक मेरे तन में जान।।
अकबर का सिंघासन डोला,
रच तब हल्दी घाटी युद्ध।
चेतक पर चढ़ बैठे राणा,
आए समर भूमि में क्रुद्ध।।
देख हजारों मुगल लश्करी,
भाला ताने कुँवर प्रताप।
दूजे कर तलवार थामकर,
भू से नभ गूँजे पदचाप।।
मुगलों की सेना घबराई,
छोड़ी जहाँगीर ने आस।
मातृभूमि की रक्षा वास्ते,
खाई रोटियां वो जो घास।।
तोड़ दिए गुरूर अकबर का,
शीश झुका वो माने हार।
जिए आत्म-गौरव से राणा,
है मेवाड़ी जय-जयकार।।
धूल चटा अकबर को राणा,
बना लिए वह अपनी छाप।
गाता है इतिहास सुगाथा,
वीर सदा ही राणा प्रताप।।
सपना सी.पी. साहू "स्वप्निल",
इंदौर (म.प्र.)