मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. Janmashtami Song In Hindi
Written By

जन्माष्टमी विशेष : जनम-जनम की बात हो गई

जन्माष्टमी विशेष : जनम-जनम की बात हो गई - Janmashtami Song In Hindi
फिरदौस खान
तुमसे तन-मन मिले प्राण प्रिय!
सदा सुहागिन रात हो गई
होंठ हिले तक नहीं लगा ज्यों 
जनम-जनम की बात हो गई
 
राधा कुंज भवन में जैसे
सीता खड़ी हुई उपवन में
खड़ी हुई थी सदियों से मैं
थाल सजाकर मन-आंगन में
 
जाने कितनी सुबहें आईं, 
शाम हुई फिर रात हो गई
होंठ हिले तक नहीं, 
लगा ज्यों जनम-जनम की बात हो गई
 
तड़प रही थी मन की मीरा
महा मिलन के जल की प्यासी
प्रीतम तुम ही मेरे काबा
मेरी मथुरा, मेरी काशी
 
छुआ तुम्हारा हाथ, 
हथेली कल्प वृक्ष का पात हो गई
होंठ हिले तक नहीं, 
लगा ज्यों जनम-जनम की बात हो गई
 
रोम-रोम में होंठ तुम्हारे
टांक गए अनबूझ कहानी
तू मेरे गोकुल का कान्हा
मैं हूं तेरी राधा रानी
 
देह हुई वृंदावन,
मन में सपनों की बरसात हो गई
होंठ हिले तक नहीं, 
लगा ज्यों जनम-जनम की बात हो गई
 
सोने जैसे दिवस हो गए
लगती हैं चांदी-सी रातें
सपने सूरज जैसे चमके
चन्दन वन-सी महकी रातें
 
मरना अब आसान
जिंदगी प्यारी-सी सौगात ही गई
होंठ हिले तक नहीं,
लगा ज्यों जनम-जनम की बात हो गई