घर से होटल निकलने के पेले की डिस्कशन -
"जलसा दूर है पर,
वां पे फोटू मस्त आते है भिया...
गुरु किरपा पे तो भोत भीड़ रेने लग गयी आजकल,
बॉबी से फोन लगवा के वेटिंग लिस्ट में नाम ऊपर करवाना हो तो बोलो?
रउ के अग्गे भी बढ़िया
आप्सन हैं -
अगर खुले में बैठना जमे तो?
सायाजी मे भी पेले सरिकी की बात नी री..
रेन दो वां का तो।
फारचुन में भी क्या
मालम क्या मजगमारी हुई,
बन्द ही हो गयी...
आराम से बैठ के खाना है
तो ही इत्ती जगो देखो,
नी तो फिर सराफे चलते हैं..
पॉली भैया, कां बार बार चलते हैं अपन सब?
ढंग का पोग्राम बनाओ आप तो...
वा, तो नखराली चल लो...
भेत्रिन काम हो जाएगा..
है कि नी?
ऐं... दाल बाटी के लिए जबरन 700-800 कौन देगा,
राजहंस क्या बुरा है फिर...
अरे शाम पड़े दाल बाटी कौन खायेगा,
वैसे भी बाउजी को पेट में हैवीपन लग रिया है जरा।
लेओ बिन्नू भिया
भटाभट डिसाइड करो...
पानी सरिका भी हो रिया है...
मम्मीssss गच्ची पे से मेरी जीन्स उठा ली थी कि नी?
ओला बुला लूँ जब तक,
दो कार में सब नी मवायेंगे...
कां चल रे हैं फिर..
लेओ, बताओ मेको फिर चल रे हैं कि नी?
नि तो बगरे हुए चावल भी
पड़े हैं थोड़े...।
अरे हाँ यार, बद्दल तो भोत होरे हैं. तेज गिरेगा लग रिया है...
अरे नी तो ऐसा करें....,
खालसा ढाबा से बढ़िया
सेव टमाटर ,
मलई कोफ्ता लियाते हैं...
रोटी घर मेई बना लेंगे...
हओ जबरन कां अभी
कीचड़ घान मे निकलेंगे अबी...
केने का मतलब ये पड़ रिया है कि
अपन इन्दौरी खाना खाने
जाने के लिये
बस,
खाने की क़वालिटी,
वेराइटी की डिस्कशन
नी करते,
बाकी सब बात
कर लेते हैं..
क्योंकी हम सब कुछ खा के एडजस्ट करने में एक्सपर्ट जो है....
होंगे क्यों नही?
इन्दौरी जो हैं !!! गलत केरिया हुँ क्या भिया???
लो, निकलू फिर...
तुमारा भई
इन्दौरी