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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शुक्रवार, 22 अगस्त 2025 (17:13 IST)

शुगर लेवल बैलेंस करने वाले 5 आयुर्वेदिक फूड्स, रोजाना करें डाइट में शामिल

Ayurvedic foods for insulin sensitivity
foods to improve blood sugar: आज के समय में डायबिटीज़ और ब्लड शुगर असंतुलन एक आम समस्या बन चुके हैं। बदलती जीवनशैली, फास्ट फूड, तनाव और शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण इंसुलिन रेज़िस्टेंस तेजी से बढ़ रहा है। जब शरीर इंसुलिन को सही तरीके से रिस्पॉन्ड नहीं करता, तब ब्लड शुगर स्तर नियंत्रित नहीं रह पाता और धीरे-धीरे यह डायबिटीज का रूप ले लेता है। ऐसे में दवाइयों के साथ-साथ आहार और प्राकृतिक उपायों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। आयुर्वेद इस समस्या के समाधान के लिए कई ऐसे आहार सुझाता है जो न केवल इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाते हैं, बल्कि पूरे शरीर को संतुलित और स्वस्थ बनाए रखते हैं।
 
आयुर्वेद मानता है कि भोजन केवल पेट भरने का साधन नहीं, बल्कि शरीर और मन को संतुलित रखने का आधार है। सही आहार न केवल ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करता है, बल्कि अग्नि (डाइजेस्टिव फायर) को मजबूत करता है और दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करता है। अगर आप अपने भोजन में कुछ खास आयुर्वेदिक आहार शामिल करते हैं, तो यह आपके शरीर को इंसुलिन के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है और डायबिटीज़ जैसी बीमारियों से बचाव में मदद कर सकता है।
 
नीचे हम विस्तार से जानते हैं वे 5 आयुर्वेदिक आहार जो इंसुलिन सेंसिटिविटी को प्राकृतिक रूप से बढ़ा सकते हैं।
 
1. दालचीनी (Cinnamon)
दालचीनी को आयुर्वेद में "त्वचा" नाम से जाना जाता है और इसे एक शक्तिशाली औषधि माना गया है। यह मसाला केवल स्वाद बढ़ाने के लिए ही नहीं, बल्कि शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए भी प्रसिद्ध है। रिसर्च भी साबित कर चुकी है कि दालचीनी इंसुलिन की कार्यक्षमता को बढ़ाकर ब्लड शुगर को कम करने में मदद करती है। अगर इसे नियमित रूप से भोजन या चाय में लिया जाए, तो यह ग्लूकोज़ के अवशोषण को नियंत्रित करता है और शरीर को इंसुलिन के प्रति ज्यादा सेंसिटिव बनाता है। सुबह खाली पेट हल्के गुनगुने पानी में दालचीनी पाउडर लेना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
 
2. मेथी के दाने (Fenugreek Seeds)
मेथी को आयुर्वेद में "तीक्ष्ण और उष्ण" गुणों वाला माना गया है। यह बीज डायबिटीज़ के रोगियों के लिए रामबाण माने जाते हैं। मेथी में घुलनशील फाइबर पाया जाता है जो कार्बोहाइड्रेट्स के पाचन और अवशोषण की प्रक्रिया को धीमा करता है। इससे ब्लड शुगर अचानक नहीं बढ़ता और इंसुलिन बेहतर तरीके से काम करता है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से मेथी वात और कफ को संतुलित करती है और अग्नि को मजबूत बनाती है। रातभर पानी में भिगोकर रखी गई मेथी के दानों को सुबह खाली पेट खाने से इंसुलिन सेंसिटिविटी बेहतर होती है और धीरे-धीरे ब्लड शुगर लेवल संतुलित होने लगता है।
 
3. करेला (Bitter Gourd)
करेला स्वाद में भले ही कड़वा हो, लेकिन आयुर्वेद में इसे मधुमेह के लिए सबसे प्रभावी आहार माना गया है। इसमें "पोलिपेप्टाइड-पी" नामक तत्व पाया जाता है, जिसे प्लांट इंसुलिन भी कहा जाता है। यह तत्व प्राकृतिक रूप से इंसुलिन जैसा कार्य करता है और ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करता है। आयुर्वेद के अनुसार करेला पित्त और कफ को संतुलित करता है और शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालता है। इसका जूस खाली पेट पीना इंसुलिन सेंसिटिविटी को तेजी से सुधारता है। यही कारण है कि डायबिटीज़ के मरीजों के लिए करेला जूस को एक प्राकृतिक औषधि की तरह सुझाया जाता है।
 
4. आंवला (Indian Gooseberry)
आंवला को आयुर्वेद में "रसायन" यानी पुनर्यौवन देने वाला फल माना गया है। यह विटामिन C का सबसे समृद्ध स्रोत है और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। आंवला अग्नि को सुधारता है और शरीर में ग्लूकोज़ के सही उपयोग को सुनिश्चित करता है। इसके नियमित सेवन से पैंक्रियाज़ की कार्यक्षमता बेहतर होती है और इंसुलिन का स्राव संतुलित रहता है। सुबह खाली पेट आंवला जूस पीना या इसे आहार में शामिल करना इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाने के लिए बेहद उपयोगी है।
 
5. हल्दी (Turmeric)
हल्दी को आयुर्वेद में "हरिद्रा" कहा जाता है और इसे औषधियों की रानी माना गया है। इसमें करक्यूमिन नामक तत्व पाया जाता है, जो इंसुलिन रेज़िस्टेंस को कम करने में सहायक है। हल्दी शरीर में सूजन को कम करती है, जो डायबिटीज के मरीजों में आम समस्या होती है। आयुर्वेद बताता है कि हल्दी पित्त दोष को संतुलित करती है और रक्त को शुद्ध करती है। हल्दी दूध या गुनगुने पानी के साथ लेने से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है और शरीर इंसुलिन को बेहतर तरीके से रिस्पॉन्ड करता है।
 

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