Hiroshima Day: हर साल 6 अगस्त को हिरोशिमा दिवस मनाया जाता है। दि्वतीय विश्व के दौरान अमेरिका द्वारा जापान के दो मुख्य शहरों पर परमाणु बम गिराए थे। यह मानव श्रृंखला की सबसे बड़ी त्रासदी थी। इस दौरान 6 अगस्त को हुए हमले में करीब 80,000 हजार से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी।
जानकारी के अनुसार उस वक्त करीब 30 फीसदी लोगों की तत्काल मौत हो गई थी। इसके बाद परमाणु की रेडिएशन के कारण भी कई लोग तड़पते रहे। अमेरिका द्वारा पहले हिरोशिमा पर 6 अगस्त को बम गिराया गया था। और 9 अगस्त को नागासाकी पर दूसरा बम गिराया गया था।
इस नरसंहार घटना के बारे में जानने के बाद हर किसी की रूह कांप जाती है। जानकारी के मुताबिक अगर जापान ने दूसरे हमले के बाद भी सरेंडर नहीं किया होता, तब अमेरिका तीसरा हमला करने की तैयारी में था।
आइए जानते हैं जापान में हुए परमाणु हमले के बारे में...
- हिरोशिमा पर 6 अगस्त 1945 को सुबह सवा आठ बजे बम गिराया था। दूसरा बम 9 अगस्त 1945 को 11 बजे गिराया गया था। इसके बाद फिर कभी भी परमाणु बम का इस्तेमाल नहीं किया गया।
- हिरोशिमा पर गिराए जाने वाले बम का फैसला केवल एक घंटे पहले लिया गया था।
- हिरोशिमा पर गिराए गए बम का नाम लिटिल बॉय था। यह करीब 4000 किलो वजन का था। 65 किलो यूरेनियम से लबालब था और 10 फीट लंबा था।
- नागासाकी पर गिराए गए बम का नाम फैट मेन था। दूसरी बार जब परमाणु बम गिराया गया था उसका वजन 4500 किलो था और 11.5 फीट लंबाई थी। इस बम में 6.4 किलो प्लूटोनियम था जो यूरेनियम से भी अधिक खतरनाक था।
- बता दें कि हिरोशिमा जापान का 7वां सबसे बड़ा शहर था। वहीं नागासाकी गोकु सेना का हेडक्वार्टर था।
- हिरोशिमा हमले के बाद धरती का तापमान 4000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। यह तापमान स्टील को पिघालने के लिए काफी होता है। हालंकि जिस जगह बम गिरा था वहां का तापमान 3 लाख डिग्री सेलस्यिस था।
- कहते हैं अमेरिका ने आज तक बम गिराने वाले फैसले को लेकर माफी नहीं मांगी है। वहीं पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबाम पहले ऐसे राष्ट्रपति है जिन्होंने हमले के 71 साल बाद हिरोशिमा की यात्रा की थी।
- हिरोशिमा पर हुए हमले के एक महीने बाद एक चक्रवात आया था। जिस वजह से करीब 2000 लोगों की जान चली गई थी।
- हिरोशिमा और नागासाकी आज रेडियोएक्टिव फ्री है, जो बहुत बड़ी बात है। क्योंकि दोनों बम जमीन से कुछ दूर उपर ही ब्लास्ट हो गए थे।
- जापान के राजा हिरोहित्तो ने अमेरिकी सेना के सामने 9 अगस्त की घटना के बाद आत्मसमर्पण कर दिया था। इसकी घोषणा रेडियो पर की गई थी। साथ ही बता दें कि जापानियों ने पहली बार राजा की आवाज सुनी थी।