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कैसे करें गणेश प्रतिमा का विसर्जन, क्या रखें सावधानी, जानिए

कैसे करें गणेश प्रतिमा का विसर्जन, क्या रखें सावधानी, जानिए - Kaise kare ganesh pratima ka visarjan vidhi
Ganesh visarjan 2022: 9 सिंतबर 2022 शुक्रवार को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन होगा। कुछ समाज के लोग तीसरे दिन ही विसर्जन कर देते हैं। आओ जानते हैं कि कैसे करें मूर्ति का विसर्जन और क्या रखें सावधानियां। 
 
इस तरह करें गणेश विसर्जन ( Ganesh Visarjan Vidhi 2021 ) :
 
1. भगवान गणेशजी की विधिवत पूजा करने के बाद, हवन करें और फिर गणेश का स्वस्तिवाचन का पाठ करें।
 
2. अब एक लड़की का स्वच्छ पाट लें और उस पर स्वस्तिक बनाएं। फिर अक्षत रखकर पीला या गुलाबी रंग का वस्त्र बिछाएं और चारों कोनों में पूजा की सुपारी रखें।
 
3. अब जिस स्थान पर मूर्ति रखी थी उसे पर से उठाकर जयघोष के साथ उन्हें इस पाट पर विराजमान करें।
 
4. विराजमान करने के बाद गणेशजी के सामने फल, फूल, वस्त्र और मोदक के लड्डू रखें।
 
5. एक पार पुन: आरती करके उन्हें भोग लगाएं और नन्हें नए वस्त्र पहनाएं।
ganesh visarjan muhurat
6. अब रेशमी वस्त्र लेकर उसमें फल, फूल, मोदक, सुपारी आदि की पोटली बांधकर गणेशजी के पास ही रख दें।
 
7. इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर गणपतिजी से प्रार्थना करें। अगर 10 दिनों की पूजा के दौरान को भूल-चूक या गलती हो गई हो तो क्षमा मांगे।
 
8. अब सभी गणपति बप्पा मोरिया के नारे लगाते हुए बप्पा को पाट सहित उठकर अपने सिर या कंधे पर रखें और जयकारे के साथ घर से विदा करने विसर्जन स्थान पर ले जाएं।
 
9. विसर्जन के स्थान पर ध्यान रखें कि चीजों को फेंके नहीं, बल्कि पूरे मान सम्मान के साथ विसर्जित करें। इसके बाद हाथ जोड़कर क्षमा मांगते हुए अगले बरस आने का निवेदन करते हुए घर आ जाएं। विसर्जन के समय उनकी कर्पूर से आरती जरूर करें।
 
10. यदि घर पर ( Ganesh visarjan vidhi at home in hindi ) ही किसी टब या होद में विसर्जन कर रहे हैं तो पूरी प्रक्रिया को निभाएं। निर्माल्य को एक जगह एकत्रित करके उचित जगह पर विसर्जन करें। घर में विसर्जन करने के बाद वह पानी और मिट्टी घर के गमले या गार्डन में विसर्जित कर दें।
 
श्री गणेश विसर्जन मंत्र 1
यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥
 
श्री गणेश विसर्जन मंत्र 2
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठ स्वस्थाने परमेश्वर।
मम पूजा गृहीत्मेवां पुनरागमनाय च॥