- पाकिस्तान में 2 प्रतिशत से भी कम रह गई हिंदुओं की आबादी
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आजादी के बाद बेहद तेजी से पाकिस्तान में घटे हिंदू
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पाकिस्तान में मुस्लिम आबाद में हुआ जबरदस्त इजाफा
Hindu population In Pakistan: भारत में राम की नगरी अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह धूमधाम से आयोजित किया गया। पूरे देश में दिवाली मनाई गई। यह दिन हिंदू धर्म और दर्शन में आस्था रखने वालों के लिए एक ऐतिहासिक दिन बन गया।
वहीं पड़ोसी दुश्मन मुल्क पाकिस्तान भारत के सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर निर्माण के फैसले और सरकार के इस कदम से क्षुब्ध है। अयोध्या में राम मंदिर में भगवान राम क मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा पर पाकिस्तान से प्रतिक्रिया आई है। पाकिस्तान ने राम मंदिर निर्माण और भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की निंदा की है।पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा-
हम अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन की निंदा करते
हैं। यह मंदिर बाबरी मस्जिद को तोड़कर बनाया गया है। बयान में कहा गया कि ध्वस्त मस्जिद की जगह पर बना मंदिर आने वाले समय में भारतीय लोकतंत्र के माथे पर कलंक की तरह बना रहेगा। भारत में बढ़ती 'हिंदुत्व' विचारधारा धार्मिक सद्भाव और क्षेत्रीय शांति के लिए बड़ा खतरा है। ऐसा करके भारत मुस्लिमों को दरकिनार करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान ने कहा है कि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अफसोस है।
सोशल मीडिया पर बाबरी जिंदा है : वहीं दूसरी तरफ भारत के सोशल मीडिया में भी राम मंदिर को लेकर ट्रेंड है। सोशल मीडिया में
हैशटैग बाबरी जिंदा है पिछले दो दिनों से ट्रेंड कर रहा है। इस हैशटैग के साथ पोसट शेयर करने वालों का कहना है कि राम मंदिर बन गया तो क्या, बाबरी मस्जिद उनके दिलों में जिंदा है।
सवाल यह है कि करोड़ों लोगों की आस्था वाले राम मंदिर निर्माण और भारत में बहुसंख्यकवाद पर नसीहत देने वाले पाकिस्तान में ही आखिर हिंदुओं की संख्या क्यों घट रही है। जानते हैं पिछले कुछ सालों में किस तरह और किन वजह से पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या उल्लेखनीय तरीके से कम हुई है।
साल 2023 में पाकिस्तान में हिंदूओं की संख्या : इस वक्त पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी लगातार घट रही है। इसके पीछे हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार है। पाकिस्तान में मुसलमानों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। अक्सर टीवी, अखबार, समाचारों में पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार और अलग अलग कारणों से धर्मांतरण के मामलों की खबरें सामने आती रही हैं। बता दें कि वर्तमान में पाकिस्तान की कुल जनंसख्या करीब 20 करोड़ से ज्यादा है जो दुनिया का सबसे आबादी वाला देश मे 6 स्थान पर है कुछ रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हिन्दू की जनसंख्या करीब 25 लाख हो सकती है। यानी अगर पूरे पकिस्तान की आबादी से इसकी तुलना करे तो पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या 2 प्रतिशत से भी कम रह गई है।
1947 में पाकिस्तान में कितनी थी हिंदुओं की आबादी : भारत और पाकिस्तान का सारल 1947 में बंटवारा हुआ था। जिसके बाद भारत से अलग होकर पाकिस्तान बना। उस समय हिंदू और मुसलमानों को यह सहूलियत दी गई थी कि जो पाकिस्तान जाना चाहता है वो जाए और जिसे भारत में रहना चाहता है वो यहीं रहे। उस समय पाकिस्तान की आबादी लगभग 4 करोड़ थी, जिसमे हिंदू 13 प्रतिशत (करीब 52 लाख हिंदू थे) लेकिन आज पाकिसतान में मुसलमानो की आबादी 5 गुना हो गई है, जबकि हिंदू पहले से और भी कम सिर्फ (2%) रह गए हैं।
पाकिस्तान में क्यों कम हो रही हिंदुओं की आबादी : न्यूयॉर्क टाइम्स ने पाकिस्तान में कम होती हिंदुओं की संख्या पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में कई हिंदुओं ने आजादी के बाद से अब तक इस्लाम को कुबूल कर लिया है। कुछ ने ऐसा सामाजिक दबाव में आकर किया तो कुछ लोगों को जबरन ऐसा करने पर मजबूर किया गया। आजादी के वक्त यानी 1947 में पाकिस्तान में हिंदुओं की कुल आबादी 20.05 पर्सेंट थी। जो 1988 आते आते 1.6 पर्सेंट पर पहुंच गई। ये आंकड़े पाकिस्तान के 1998 की जनगणना के हैं।
वहीं 2017 में जो जनणना हुई उसके मुताबिक, पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी लगभग 45 लाख थी। यानि पाकिस्तान की कुल जनसंख्या का 2.14 प्रतिशत। जबकि, मुस्लिमों की आबादी पाकिस्तान में 96.47 प्रतिशत है। हिंदुओं की जनसंख्या की तुलना अगर आजादी के समय से हम करें तो ये बेहद कम है। विशेषज्ञ ऐसा मानते हैं कि इनकी जनसंख्या में आई कमी के पीछे एक बड़ा कारण धर्मांतरण, डर, अत्याचार आदि हैं। अक्सर चरमपंथियों द्वारा उत्पीड़न की शिकायतें सामने आती हैं।
बड़े पैमाने पर हो रहा धर्मांतरण : साल 2020 में पाकिस्तान की एक एक्टिविस्ट ने क्लेम किया था कि वहां के सिंध प्रांत में एक दिन में ही 171 लोगों को इस्लाम कुबूल कराया गया। इसमें हिंदू महिलाएं, बच्चियां और मर्द शामिल थे। एक्टिविस्ट राहत ऑस्टिन का कहना था कि इस बड़े धर्मांतरण के पीछे कट्टरपंथी नूर अहमद तशर का हाथ था।
मई 2023 में एक रिपोर्ट आई जिसके मुताबिक पाकिस्तान में एक साथ 50 लोगों ने हिंदू धर्म को छोड़कर इस्लाम कुबूल किया। इसमें कुल 10 परिवार शामिल थे। इसमें 23 महिलाएं थीं, जिसमें एक साल की एक बच्ची भी थी। द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक इस धर्मांतरण को मोहम्मद शमरोज खान ने अंजाम दिया था।
ह्यूमन राइट कमीशन की रिपोर्ट : हुमन राइट कमीशन पाकिस्तान की एक रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान में हर साल लगभग 1 हजार लड़कियों का धर्मांतरण जबरन करा दिया जाता है। इनमें ज्यादातर बच्चियों की उम्र 14 से 20 साल के बीच होती है। रिपोर्ट्स दावा करती हैं कि पहले इन बच्चियों को अगवा किया जाता है और फिर उन्हें डरा धमका कर उनका धर्मांतरण कराया जाता है और फिर उनका किसी मुस्लिम युवक से निकाह करा दिया जाता है।
क्या कहते हैं रिपोर्ट के आकड़े : ह्यूमन राइट की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी 1931 की जनगणना में 15 फीसदी थी। 1941 में ये 14 फीसदी हुई। 1951 में ये बंटवारे के बाद बुरी तरह से गिरकर केवल 1.3 फीसदी रह गई है। 1961 ये आंकड़ा 1.4 प्रतिशत का था जो 1981 और फिर 1998 में क्रमशः 1.6 और 1.8 फीसदी रहा।
सेंटर फार पीस एंड जस्टिस रिपोर्ट : सेंटर फार पीस एंड जस्टिस की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के 22 लाख 10 हजार 566 (22,10,566) लोग रहते हैं। हिंदुओं की यह संख्या देश की कुल पंजीकृत आबादी 18 करोड़ 68 लाख 90 हजार 601 (18,68,90,601) का केवल 1.18 प्रतिशत है।
कितने हैं ईसाई, सिख और पारसी : रिपोर्ट का दावा है कि पाकिस्तान में पंजीकृत हिंदुओं की संख्या 22,10,566 है, इसके बाद ईसाई 18 लाख 73 हजार 348 (18,73,348), अहमदी 1,88,340, सिख 74,130, भाई 14,537 और 3,917 पारसी हैं। पाकिस्तान में 11 अन्य अल्पसंख्यक हैं, जिनकी गणना 2,000 से कम है, जिन्हें NADRA द्वारा CNIC जारी किया गया है। वहीं, पाकिस्तान में बौद्ध 1,787, चीनी 1,151, शिंटोवाद अनुयायी 628, यहूदी 628, अफ्रीकी धर्म अनुयायी 1,418, केलाशा धर्म अनुयायी 1,522 और जैन धर्म के लगभग छह अनुयायी हैं।
Edited By Navin Rangiyal