पुत्रदा एकादशी का पूजन मुहूर्त और महत्व क्या है
Importance महत्व- श्रावण मास की यह एकादशी बहुत महत्व की मानी गई है, पुत्रदा/ पवित्रा एकादशी (Putrada Ekadashi 2022) वाजपेयी यज्ञ के बराबर फल देती है। इतना ही नहीं यह एकादशी संतान सुख की प्राप्ति भी कराती है तथा संतान के जीवन में आने वाले कष्टों का हरण करने वाली मानी जाती है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह 2 एकादशी आती हैं और वर्षभर में कुल 24 एकादशी पड़ती है तथा हर एकादशी का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार पुत्रदा एकादशी के व्रत के समान इस चर और अचर संसार में दूसरा कोई भी व्रत नहीं है। जिन व्यक्तियों को संतान होने में बाधा आ रही हैं उन्हें पुत्रदा एकादशी व्रत अवश्य करना चाहिए तथा इस दिन संतान की कामना के लिए भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप का पूजन करने से आपकी संतान की प्राप्ति कामना पूर्ण होने के संयोग बनते हैं तथा उसे दीर्घायु जीवन का आशीष मिलता है।
यह एकादशी संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले दंपत्ति के लिए बहुत शुभ फलदायी मानी जाती है, इस दिन संतान प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यह व्रत उन दंपतियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, जो संतान सुख पाना चाहते हैं उन्हें पूरे मन से तथा विधि-विधान से इस दिन भगवान श्रीविष्णु का पूजन करके संतान प्राप्ति की कामना करनी चाहिए।
अगर आप भी संतान सुख पाना चाहते हैं तो यह एकादशी आपके लिए लाभदायी साबित होगी। इस एकादशी व्रत करने वालों को अगले दिन यानी द्वादशी तिथि के दिन सूर्योदय के बाद पारण करना उचित रहता है। ध्यान रहें कि एकादशी व्रत का पारण हमेशा द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना आवश्यक होता है।
पुत्रदा एकादशी के शुभ मुहूर्त- Putrada Ekadashi Shubh Muhurat
पुत्रदा एकादशी यानी श्रावण शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ- रविवार, 7 अगस्त 2022 को रात 11.50 मिनट से होगा तथा सोमवार, 8 अगस्त 2022 रात 9.00 बजे इसका समापन होगा। उदया तिथि 8 अगस्त को प्राप्त होने के कारण पुत्रदा सोमवार को ही मनाई जाएगी।
व्रत तोड़ने यानी पारण का समय- 9 अगस्त, दिन मंगलवार को सुबह 05.47 मिनट से 10.13 एएम तक रहेगा।