- ध्रुवराज शर्मा
धनतेरस को लेकर लोगों की अलग-अलग भावनाएं और मान्यताएं हैं। परंतु, क्या आप जानते हैं कि धनतेरस वास्तव में क्यों मनाई जाती है? इसका वास्तविक अर्थ क्या है? आइए जानते हैं!
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ, जिन्होंने संसार को औषधि और अमृत प्रदान किया। लेकिन कम लोग जानते हैं कि भगवान धन्वंतरि धन के देवता नहीं हैं, बल्कि उन्हें आयुर्वेद का जनक माना जाता है। उनके पहले जन्म में उन्हें देवताओं के बीच भी स्थान नहीं मिला था, और इसलिए उन्हें दूसरा जन्म लेना पड़ा।
धनतेरस हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे दीपावली के पहले दिन बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसे 'धन त्रयोदशी' या 'धन्वंतरि त्रयोदशी' भी कहा जाता है, और इसका संबंध समृद्धि, स्वास्थ्य और शुद्धता से है। इस दिन विशेष रूप से धन और स्वास्थ्य की पूजा होती है। इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं और धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं, जिनमें भगवान धन्वंतरि का विशेष महत्व है।
धनतेरस का महत्व और पूजा
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। यह मान्यता है कि इस दिन सोने-चांदी के आभूषण या बर्तन खरीदने से घर में समृद्धि और खुशहाली आती है। लोग अपने घरों की साफ-सफाई कर, दीप जलाकर, भगवान धन्वंतरि और लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं ताकि उनका जीवन सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य से परिपूर्ण हो।
धनतेरस का एक प्रमुख पहलू भगवान धन्वंतरि से जुड़ा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। वे आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए औषधियों का ज्ञान उनके पास था। इसलिए इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है ताकि आरोग्य और दीर्घायु प्राप्त हो सके।
धनतेरस पर क्या करें?
धनतेरस के दिन सोने-चांदी के आभूषण, बर्तन, या नए सामान खरीदना शुभ माना जाता है। घर की साफ-सफाई के बाद, दीप जलाकर भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी माता और कुबेर की पूजा करें। यमराज के सम्मान में दीपक जलाकर प्रार्थना करें ताकि परिवार के सभी सदस्यों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की रक्षा हो। साथ ही अपने किसी चिकित्सक को उपहार देना न भूलें, क्योंकि वे आज के समय में आपके स्वास्थ्य का ध्यान रखने में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं।
धनतेरस से जुड़ी कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा हिमा के पुत्र को उसके सोलहवें वर्ष में सांप के काटने से मृत्यु की भविष्यवाणी हुई थी। उसकी पत्नी ने उसे बचाने के लिए अपने पति को सोने-चांदी के बर्तनों और गहनों से घेर दिया और घर में दीपक जलाए। वह पूरी रात कहानियाँ सुनाकर उसे जागाए रखी। यमराज जब सांप के रूप में उसकी जान लेने आए, तो वे उस चमक से चकाचौंध हो गए और खाली हाथ लौट गए। इस प्रकार राजा के पुत्र की मृत्यु टल गई, और तब से इस दिन को यमराज की पराजय के रूप में धनतेरस मनाया जाता है।
धनतेरस हमें यह सिखाता है कि सही समृद्धि केवल धन में नहीं, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य और संतुलित जीवन में निहित होती है।
धनतेरस की मंगल कामनाएं।
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