धनतेरस की असली कहानी/कथा क्या है?
Dhanteras ki kahani: धनतेरस की 3 कथाएं प्रचलित हैं। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान धनवंतरि, माता लक्ष्मी, कुबेर और यम देवता की पूजा होती है। धनतेरस की कथा भगवान विष्णु, राजा बलि, माता लक्ष्मी के साथ ही धनवंतरि देव से जुड़ी है। आओ पढ़ते हैं धनतेरस की असली कहानी कौनसी है।
भगवान धनवंतरि से जुड़ी है धनतेरस की असली कथा:-
शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
सर्वप्रथम तो यह दीपावली सतयुग में ही मनाई गई। जब देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो इस महा अभियान से ही ऐरावत, चंद्रमा, उच्चैश्रवा, परिजात, वारुणी, रंभा आदि 14 रत्नों के साथ हलाहल विष भी निकला और अमृत घट लिए धन्वंतरि भी प्रकटे। इसी से तो स्वास्थ्य के आदिदेव धन्वंतरि की जयंती से दीपोत्सव का महापर्व आरंभ होता है। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी अर्थात धनतेरस को। तत्पश्चात इसी महामंथन से देवी महालक्ष्मी जन्मीं और सारे देवताओं द्वारा उनके स्वागत में प्रथम दीपावली मनाई गई।