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Written By Author शरद सिंगी
Last Updated : मंगलवार, 18 जून 2019 (01:09 IST)

दुनियाभर में गति पकड़ते चंद्र अभियान

Moon campaign India Chandrayaan 2। दुनियाभर में गति पकड़ते चंद्र अभियान - Moon campaign India Chandrayaan 2
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान से 'चंदा मामा' पुन: सुर्खियों में आ गए। स्मरण हो तो अमेरिका ने चांद पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजे जाने वाले अपने अभियानों को विराम दे दिया था, क्योंकि अमेरिकी वैज्ञानिकों को वहां की जमीन पर ऐसा कुछ भी रोचक नहीं मिला जिसमें अमेरिका के वैज्ञानिकों की रुचि हो या अमेरिका का हित हो।
 
बाद में भारत के अभियान चंद्रयान-1 की सफलता से, जिसने चांद पर पानी के कणों की खोज की, अमेरिका सहित दुनियाभर में चंद्र अभियानों में पुन: रुचि जागी। नासा ने बंद पड़े अभियानों को पुन: शुरू करने की बात की किंतु ट्रंप ने अड़ंगा लगा दिया।
 
ट्रंप के कहने का अर्थ था कि जिस उपलब्धि को अमेरिका 50 वर्ष पूर्व हासिल कर चुका है, उसे न तो दोहराने की आवश्यकता है और न ही उसका कोई उद्देश्य है। उनके अनुसार नासा को मंगल अभियानों, रक्षा और विज्ञान पर ध्यान देना चाहिए।
 
किंतु नासा के वैज्ञानिक ट्रंप की सलाह से सहमत नहीं हैं। उन्होंने अपना चंद्र अभियान जारी रखने की घोषणा की है और योजना के अनुसार सन् 2024 से पुन: अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजना आरंभ कर देंगे। नासा 1969 से 1972 के बीच 6 बार यात्रियों के साथ अंतरिक्ष यान को चंद्रमा पर उतार चुका है।
 
किंतु तब और आज के संदर्भ बदल चुके हैं। पहले वैज्ञानिकों को चंद्रमा के बारे में जानने की रुचि थी किंतु अब वे चंद्रमा को अंतरिक्ष में बसे एक स्टेशन और प्रयोगशाला के रूप में देखते हैं। चांद और मंगल में कई समानताएं हैं। उनके वातावरण में ऑक्सीजन तो है ही नहीं और अभी पानी भी जिस तरह पृथ्वी पर उपलब्ध है, उस तरह तो बिलकुल नहीं है।
 
तो यदि मंगल पर मानव बस्ती बसाना है तो चंद्रमा से अच्छी कोई प्रयोगशाला नहीं हो सकती, जहां जीवन समर्थन प्रणाली से संबंधित सभी तरह के उपकरणों और प्रौद्योगिकी का परीक्षण किया जा सकता है। चंद्रमा की प्रयोगशाला को स्थायी कर वहां यदि वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को निरंतर भेजा जाता है तो उनके अनुभव से मंगल पर मानव भेजने की प्रक्रिया को बड़ा लाभ मिलेगा।
 
उधर दुनियाभर की निजी कंपनियां भी इन अंतरिक्ष अभियानों में रुचि ले रही हैं। इनमें अमेरिका के एलेन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स सबसे आगे है, जो कई मामलों में नासा के साथ प्रतिस्पर्धा में है। हाल ही में इसराइल की एक निजी कंपनी ने चंद्रमा पर अपना यान भेजा था। दुर्भाग्य से यान चंद्रमा की सतह पर उतरने से पहले ही क्रैश हो गया अन्यथा इसराइल, चांद पर यान भेजने वाला चौथा देश हो जाता।
 
इधर भारत की अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि वह इस साल सितंबर में चंद्रमा की सतह पर देश के पहले चंद्रयान की लैंडिंग करेगी अर्थात चंद्रमा पर यान भेजने वाला चौथा देश बनने की दौड़ में भारत भी शामिल है। देश के नवीनतम चंद्र मिशन 'चंद्रयान-2' को जुलाई के मध्य में उड़ना है।
 
पिछले 10 वर्षों में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने मंगल और चंद्रमा की बेहतर समझ हासिल करने के लिए कई मिशन शुरू किए हैं। यान चंद्रमा की कक्षा में तो पहुंच जाता है किंतु सतह पर उतरने की जो जटिल प्रक्रिया होती है, उसके अंतिम 15 मिनट सबसे कठिन होते हैं। यदि इस दौरान कोई खराबी न हो तो यान चंद्रमा की सतह पर पहुंच जाता है।
 
अपेक्षा और आशा तो यही करें कि भारत का यह यान सफलतापूर्वक चंद्रमा पर उतर जाए और भारतीय वैज्ञानिक यह गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल कर सकें।
 
जहां तक ट्रंप का प्रश्न है, नासा उनकी बातों को बहुत महत्व इसलिए नहीं देता कि चुनाव जीतने के पश्चात उन्होंने नासा को चंद्र अभियानों को शुरू करने की सलाह दी थी जिसे अब 3 वर्ष पश्चात वे भूल चुके हैं और उलटी बात कर स्वयं को हंसी का पात्र बना रहे हैं, अत: उनके ट्वीट के जरिए आए बयानों का कोई विशेष महत्व नहीं है।
 
भारत सहित दुनियाभर की जनता में आज भी चांद को लेकर कौतूहल है और हम तो चाहेंगे कि मंगल से पहले चंद्रमा पर मानव की पहली बस्ती हो!
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