Lockdown effect : इंसान घर में हुआ कैद तो इठलाने लगी प्रकृति
कोरोना वायरस के संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए देशभर में 21 दिन का लॉकडाउन (Lockdown) का ऐलान किया गया है। देश में जरूरी सेवाओं को छोड़कर ट्रेन, बसें, कारखाने सभी बंद हैं। लोग अपने घरों में बंद हैं।
लॉकडाउन में लोगों को कुछ परेशानियों को सामना करना पड़ा है, लेकिन इसका सकारात्मक पहलू यह सामने आया है कि वातावरण में शुद्ध हवा की बयार बह रही है। मनुष्य के घरों में कैद होने से नदियों, पहाड़ों, वृक्षों का सौंदर्य निखर आया है।
सड़कों पर वाहन नहीं होने से प्रदूषण में काफी कमी आई है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जहां आमतौर पर हवा बेहद खराब रहती है, वहां भी पिछले हफ्ते AQI 95 से नीचे दर्ज किया गया।
मुंबई में भी हवा के प्रदूषण में भारी गिरावट दर्ज की गई है। ऐसा ही मंजर देश के बड़े शहरों का है। लॉकडाउन के दौरान कारखानों से प्रदूषित जल नहीं होने से देश की प्रमुख नदियां गंगा-यमुना निर्मल होकर कलकल बह रही हैं। हवा की गुणवत्ता के बाद गंगा और यमुना का साफ जल देखकर ऐसा लगता है कि जो काम सरकारें कई सालों तक नहीं वो लॉकडाउन ने कर दिखाया।
लॉकडाउन के चलते फैक्ट्रियां और उद्योग धंधे सब बंद हैं, इसलिए यहां से निकलने वाला गंदा पानी इन नदियों को प्रदूषित नहीं कर पा रहा है।
लोगों की भीड़ नहीं होने से हरिद्धार, काशी के घाट भी स्वच्छ दिखाई दे रहे हैं। प्रकृति की इन सुंदर तस्वीरों को सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है।
प्रदूषण कम होने से आसमान भी साफ हुआ है। हिमाचल प्रदेश में हिमालय पर्वत की 'सफेद पर्वत' के नाम से मशहूर धौलाधार रेंज के पहाड़ जालंधर से दिखने लगे हैं।
इन पहाड़ों को देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से धर्मशाला पहुंचते हैं, लेकिन प्रदूषण कम होने से यह पर्वत श्रृंखला जालंधर के लोगों को अपने घर की छतों से ही दिखाई देने लगी और लोग इसके फोटो सोशल मीडिया पर खूब शेयर भी कर रहे हैं।
ओड़िशा के समुद्र तट पर इस बार अंडे देने के लिए 7 लाख 90 हजार ओलिव रिडले कछुए पहुंचे हैं। असल में देश में जब से लोग घरों में बंद हैं, तब से प्रकृति का अलौकिक सौंदर्य भी निखरने लगा है।
(Photo courtesy: Twitter)