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Written By निष्ठा पांडे
Last Modified: सोमवार, 24 मई 2021 (21:06 IST)

उत्तराखंड : 3 दिनों में परिवार के 3 सदस्य मौत के आगोश में, पढ़िए कोरोना से उजड़े परिवारों की दास्तान

उत्तराखंड : 3 दिनों में परिवार के 3 सदस्य मौत के आगोश में, पढ़िए कोरोना से उजड़े परिवारों की दास्तान - Families destroyed by coronaviurs in Uttarakhand
देहरादून। कोरोना से बर्बाद हुए घरों की रूला देने वाली दास्तानें लोगों को झकझोर रही हैं। डोईवाला के लच्छीवाला निवासी शिक्षक पंकज सकलानी की मौत अपने पिता की 13वीं के दिन कोरोना के चलते हो गई। 9 मई को उनके पिता का निधन भी कोरोना से उपचार के दौरान हो गया था। शिक्षक पंकज सकलानी मौत से परिवार सदमे में है।
नैनीताल के चीना हाउस में रहने वाले एक परिवार की दास्तान भी हृदयविदारक है। इसके 3 सदस्य 3 दिन के भीतर मौत का शिकार हो गए। तीनों कोरोना से जंग तो हारे ही उनके परिवार के शेष सदस्य अब जिंदगी की चुनौतियों का सामना कैसे करेंगे यह किसी को समझ नहीं आ रहा हैं।
चीना हाउस में स्व. गगन सेठ यानी गजेंद्र साह परिवार की मुखिया दिवंगत गगन सेठ की 94 वर्षीय पत्नी नंदी साह, उनकी बेटी चीमा साह और बेटा सज्जन साह को कोरोना ने आ घेरा। चीमा और उनके भाई सज्जन साह को एसटीएच हल्द्वानी में भर्ती कराया गया जबकि आयु अधिक होने के कारण नंदी साह को घर पर ही उपचार देने का निर्णय लिया गया।

गुरुवार की रात 12 बजे के लगभग एसटीएच में चीमा साह ने दम तोड़ दिया। बुजुर्ग नंदी साह को यह बात नहीं बताई गई, लेकिन उसके लगभग 2 घंटे बाद नंदी साह ने भी अंतिम सांस ली। बीमार सज्जन साह को भी रिश्तेदारों ने घर में दो मौतें हो जाने की यह जानकारी न देने का निर्णय लिया गया। उनका एसटीएच में उपचार चल रहा था, लेकिन शनिवार दोपहर में सज्जन साह की तबीयत अचानक बिगड़ी और ऐसी बिगड़ी कि फिर न संभली। उन्होंने एसटीएच में दम तोड़ दिया।
 
3 दिनों के भीतर 3 मौतें होने से एक हंसते खेलते परिवार पर दुखों का ऐसा पहाड़ टूटा कि जिसने सुना उसके मुंह से चीत्कार निकल गई। इससे पहले नैनीताल के ही भाबर हाल इलाके में पूर्व मंत्री रहे श्रीचंद के परिवार पर भी ऐसा ही दुखों का पहाड़ टूटा था। उनके चार परिजन जिनमें युपी में पूर्व मंत्री एवं चौधरी चरण सिंह के एक जमाने में खासुलखास रहे श्रीचंद समेत उनकी दो बेटियों और एक बेटे की श्रीचंद के पीपल पानी से पूर्व ही कोरोना से मौत हो गई थी। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने राज्य के पर्वतीय जिलों में जमकर कहर बरपाया।
 
 उत्तराखंड में कोरोना किसी को भी नहीं छोड़ रहा है क्या बच्चे, क्या युवा, क्या बुजुर्ग सभी इसकी घातक चपेट में आए हुए हैं। सरकार की तरफ से जो आंकड़ा सामने आया है। वह बताने के लिए काफी है कि कोरोना से किसी को इम्युनिटी नहीं है। आंकड़े कहते हैं कि 1 से 20 मई के बीच राज्य में 9 साल के 2044 बच्चे संक्रमित हुए। 10 से 19 साल के 8661 बच्चे संक्रमित हुए यानि 1 से 19 साल के लगभग 10705 बच्चे केवल 20 दिन में संक्रमित हुए है वहीं 20 से 29 साल के 25299 युवा संक्रमित हुए।
 
30 से 39 साल के 30 हजार के करीब, 40 से 49 वर्ष के 23 हजार, 50 से 59 वर्ष के 16 हजार, 60 से 69 वर्ष 10 हजार, 70 से 79 वर्ष के 4757, 80 से 90 वर्ष के 1500 जबकि 90 साल से अधिक उम्र के राज्य में कुल 139 लोग संक्रमित हुए हैं। उत्तराखंड में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में छिपाई गई मौत का बैकलॉग खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। अस्पतालों द्वारा एक बार फिर पहले हो चुकी 70 मौतों का ब्योरा स्टेट कंट्रोल रूम को भेजा गया। इससे राज्य में कोरोना संक्रमण के बाद मरने वाले कुल मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 5734 हो गया है।
 
 शनिवार को राज्य के विभिन्न अस्पतालों में 64 मरीजों की मौत हो गई। इसमें सबसे अधिक 8 मरीजों की हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में हुई। इसके अलावा अन्य अस्पतालों में इक्का दुक्का मरीजों की ही मौत हुई है। राज्य में पिछले दो दिनों से मरीजों की मौत के आंकड़े कम हुए हैं, लेकिन बैकलॉग के मामले कम न होने से कुल मरीजों की मौत के आंकड़ों में तेजी से इजाफा हो रहा है।
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