मध्यप्रदेश में ब्लैक फंगस महामारी घोषित पर इलाज के लिए इंजेक्शन के लिए दर-दर भटक रहे लोग
देश में कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस महामारी का महासंकट खड़ा होता दिख रहा है। कोरोना महामारी के बीच लगातार ब्लैक फंगस के बढ़ते मरीजों की संख्या के बाद अब तक मध्यप्रदेश,उत्तरप्रदेश,राजस्थान,गुजरात सहित 11 राज्यों ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने राज्यों को अलर्ट जारी करते हुए निर्देश दिया था कि ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य इसे महामारी घोषित करें।
मध्यप्रदेश में ब्लैक फंगस के लगातार बढ़ते मरीजों की संख्या के बाद अब सरकार ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने के बाद अब सरकार इसके मरीजों के इलाज और मृतकों का पूरा आंकड़ा रखेगी। इसके साथ पीड़ित मरीजों के इलाज की व्यवस्था और इलाज से जुड़ी दवाओं की व्यवस्था भी सरकार करेगी।
मध्यप्रदेश सरकार पहले ही ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों का इलाज मुफ्त में होने का एलान कर चुकी है। इसके साथ प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों भोपाल,इंदौर,जबलपुर,ग्वालियर, रीवा और विदिशा में मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनाए जा रहे है। वहीं दूसरी ओर ब्लैक फंगस के इलाज के उपयोग में आने वाले इंजेक्शन की अब भी कमी बनी हुई है।
सरकार अस्पतालों के साथ प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीजों को ब्लैक फंगस के इलाज में उपयोग में आने वाला एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है। बाजार में इंजेक्शन मिल नहीं रहा है और सरकार लगात मूल्य पर इंजेक्शन उपलब्ध करने का दावा भले ही कर रही हो लेकिन लोग इंजेक्शन के दर-दर भटक रहे है।
राजधानी के सराकरी अस्पताल हमीदिया के साथ निजी हॉस्पिटलों में भर्ती मरीजों के परिजनों को एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन के लिए परेशान होना पड़ रहा है। प्रदेश में अब तक ब्लैक फंगस के 700 से अधिक मरीज मिल चुके है वहीं 30 से अधिक लोगों की मौत हो चुके है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट डॉक्टर- ब्लैक फंगस के ज्यादातर मामले कोरोना से पीड़ित मरीजों में देखे जा रहे है। ऐसे मरीज कोरोना संक्रमण से ठीक हो जा रहे है लेकिन वह ब्लैक फंगस की चपेट में आ जा रहे है। भोपाल एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर सरमन सिंह कहते हैं कि म्यूकॉरमायकोसिस जिसे आम बोल चाल की भाषा में ब्लैक फंगस कहते हैं उसके केस बढ़ने का मुख्य कारण कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड का गलत तरीके से उपयोग होना है।
कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में बहुत गलत तरीके से स्टेरॉयड का उपयोग हो रहा है यहां तक कई सारे डॉक्टरों ने होम आइसोलेशन में रहने वालों को भी स्टेरॉयड दे दिए जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण रहा। कोरोना संक्रमित ऐसे लोग जो डायबिटिक थे उनको भी स्टेरॉयड दिए जाने से उनका शुगर काफी बढ़ गया। ऐसे में संक्रमित मरीज की इम्युनिटी भी कम हो गई और उनको ब्लैक फंगस का संक्रमण तेजी से होने लगा।
डॉक्टर सरमन सिंह आगे कहते हैं कि वैसे तो ब्लैक फंगस वातावरण में होता है और हम सभी लोगों के संपर्क में आता है लेकिन हमारा इम्युन सिस्टम इतना मजबूत होता है कि शरीर इसको आगे नहीं बढ़ने देता लेकिन जब इम्युन सिस्टम कमजोर होता है तो इसकी ग्रोथ हो जाती है और यह शरीर को डैमेज करना शुरु कर देता है। कोरोना संक्रमित मरीजों के घर पर बिना डॉक्टर की सलाह के और बिना डॉक्टर के सुपरविजन के बिल्कुल भी स्टेरॉयड नहीं लेना चाहिए।