छत्तीसगढ़ चुनाव, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही नए चेहरों पर लगाएंगे दांव
रायपुर। छत्तीसगढ़ में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में चौथी बार सरकार बनाने के प्रयास में जुटी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं 15 वर्षों से सत्ता से दूर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस नए चेहरों के बूतों पर चुनावी वैतरणी पार करने के प्रयास में है।
भाजपा एवं कांग्रेस दोनों ने ही उम्मीदवारों के चयन की शुरुआती कवायद शुरू कर दी है। भाजपा बूथ अभियान के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं का मन टटोल रही है, तो वहीं सर्वे का भी सहारा ले रही है वहीं कांग्रेस संकल्प शिविरों के जरिए सशक्त उम्मीदवारों की तलाश में जुटी है। इसमें बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण के साथ ही सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के टिकट दावेदारों में टिकट किसी को भी मिले, उन्हें पार्टी के लिए काम करते रहने की निष्ठा की शपथ दिलाई जाती है। पार्टी सर्वे का भी सहारा ले रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने साफ कर दिया है कि पार्टी इस बार 30 प्रतिशत नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारेगी जबकि कांग्रेस अभी इस बारे में किसी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंची है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने रविवार को यूनीवार्ता के इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस बारे में कवायद चल रही है और निश्चित रूप से पार्टी पर्याप्त नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारेगी। यह संख्या पिछली बार से ज्यादा ही रहेगी।
भाजपा के सामने 15 वर्षों की सत्ता के बाद सत्ताविरोधी रुझान (एंटी इंक्बैंसी) से निपटना मुख्य चुनौती है। पार्टी ने 2013 में इससे निपटने के लिए 37 नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा था जिसमें से 24 ने जीत दर्ज की थी। इससे पार्टी को तीसरी बार पदारूढ़ होने में सफलता मिली थी और अब फिर इस बार भी वह अन्य रणनीति के अलावा नए चेहरों को मैदान में उतारने के सफल फॉर्मूले को दोहराना चाहती है।
मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने 30 प्रतिशत नए चेहरों को मौका देने की बात की है, इससे साफ है कि पार्टी बस्तर एवं सरगुजा संभागों में ज्यादा से नए चेहरों को मौका देगी, जहां उसको 2013 के चुनावों में आशातीत सफलता नहीं मिली थी। बस्तर की 12 में 8 सीटें कांग्रेस के पास हैं। पार्टी ने पिछली बार 37 नए उम्मीदवारों को उतारा था। अगर डॉ. सिंह 30 प्रतिशत की बात इस बार कर रहे हैं तो यह संख्या लगभग 27 ही होती है।
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार अभी अंतिम रूप से यह नहीं कहा जा सकता कि पार्टी पिछली बार से कम नए चेहरों को इस बार मौका देगी। डॉ. सिंह भी कहते हैं कि इस बार पार्टी ने 65 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, जबकि पहले के 3 चुनावों में 50 सीटों के आसपास वह जीतती रही है इसलिए वह इस बड़े लक्ष्य को लेकर ही आगे बढ़ रही है। अंतिम फैसला होना है। दरअसल, पार्टी पिछली बार 5 मंत्रियों की पराजय को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ रही है।
कांग्रेस के लिए पिछले चुनाव में नए चेहरों को मौका देना भाजपा के मुकाबले ज्यादा कारगर नहीं रहा था। पार्टी ने 36 सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया था जिसमें 17 को ही सफलता मिली थी। कांग्रेस का उसके 27 मौजूदा विधायकों की हार से सत्ता में वापसी का सपना टूट गया था। उसे बस्तर एवं सरगुजा में भाजपा के गढ़ में तो सफलता मिली पर मैदानी इलाकों में जहां 2 चुनावों में उसका प्रदर्शन बेहतर रहा था़ वहां पुराने विधायकों से नाराजगी उसे भारी पड़ गई थी।
पार्टी सूत्रों के अनुसार मौजूदा विधायकों को टिकट देने की चल रही परंपरा को आंख मूंदकर बरकरार नहीं रखा जाएगा। जिनके बारे में बेहतर रिपोर्ट नहीं होगी, उनका टिकट काटने में फिलहाल कोई गुरेज नहीं होगा। पार्टी पिछले चुनाव में पराजित पूर्व विधायकों में से भी सभी की दावेदारी नहीं स्वीकारेगी। सूत्रों के अनुसार पार्टी 40 प्रतिशत तक नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है। पार्टी अपने पत्ते पहले इसलिए नहीं खोलना चाहती कि इस बार टिकट से वंचित होने वालों के लिए जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) भी विकल्प से रूप में मौजूद है।
राज्य में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) भी दम लगा रही है। कांग्रेस के 3 मौजूदा विधायक जनता कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। कांग्रेस एवं भाजपा के कुछ पूर्व विधायक भी पार्टी में शामिल हुए हैं। जाहिर है कि पार्टी के अधिकांश उम्मीदवार नए चेहरे होंगे। बसपा एवं आम आदमी पार्टी (आप) भी चुनावी तैयारी में जुटी है। इन दोनों पार्टियों के भी अधिकांश उम्मीदवार नए चेहरे होंगे। (वार्ता)