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Last Updated : शुक्रवार, 17 नवंबर 2023 (12:27 IST)

छठ पूजा 2023 : 4 दिन का पर्व, किस दिन क्या करते हैं, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

छठ पूजा 2023 : 4 दिन का पर्व, किस दिन क्या करते हैं, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त - 4 days of worship of Chhath festival
Chhath puja 2023: इस बार छठ पर्व 17 नवंबर से 20 नवंबर 2023 के मध्य मनाया जाएगा। छठ पूजा व व्रत का प्रारंभ हिन्दू माह कार्तिक माह के शुक्ल की चतुर्थी तिथि से होता है और षष्ठी तिथि को कठिन व्रत रखा जाता है तथा दूसरे दिन सप्तमी को इसका पारण होता है। मुख्य पर्व 19 नवंबर को रहेगा। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का प्रचलन और उन्हें अर्घ्य देने का विधान है। छठ पूजा का व्रत महिलाएं अपनी संतान की रक्षा और पूरे परिवार की सुख शांति का वर मांगाने के लिए करती हैं। मान्यता अनुसार इस दिन निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हैं छठ मैया।
 
17 नवंबर : नहाय खाये (चतुर्थी)
18 नवंबर : खरना (पंचमी)
19 नवंबर : संध्या अर्घ्य (षष्ठी)
20 नवंबर : उषा अर्घ्‍य (सप्तमी)
 
1. नहाय खाये (पहला दिन) : पहले दिन नहाय खाये अर्थात साफ-सफाई और शुद्ध शाकाहारी भोजन सेवन का पालन किया जाता है। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी अर्थात इसी दिन से छठ पर्व प्रारंभ हो जाता है। इस दिन से घर और शरीर को भीतर और बाहर से शुद्ध किया जाता है। किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन नहीं किया जाता है।
 
सूर्योदय : सुबह 06:45 पर।
सूर्यास्त : शाम 05:26 पर।
संध्या पूजा मुहूर्त : 17 नवंबर शाम 05:27 से 06:47 तक।
 
2. खरना (दूसरा दिन) : दूसरे दिन खरना अर्थात पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर, घी लगी हुई रोटी और फलों का सेवन करते हैं। इस पूरे दिन जल भी ग्रहण नहीं किया जाता है। संध्या को जो खाया जाता है उसे घर के अन्य सदस्यों को प्रसाद रूप में दिया जाता है।
 
सूर्यास्त समय : शाम 05:26 पर।
अमृत काल पूजा मुहूर्त : 18 नवंबर 2023 शाम 06:01 से 07:33 के बीच।
3. संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन) : छठ का यह तीसरा दिन महत्वपूर्ण होता है। इस दिन कार्तिक शुक्ल की षष्ठी होती है। संध्या षष्ठी को अर्घ्य अर्थात संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और विधिवत पूजन किया जाता है। शाम को बांस की टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू और कुछ फल रखें जाते हैं और पूजा का सूप सजाया जाता है और तब सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसी दौरान सूर्य को जल एवं दूध चढ़ाकर प्रसाद भरे सूप से छठी मैया की पूजा भी की जाती है। बाद में रात्रि को छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती है।
 
संध्या सूर्य अर्घ्य एवं पूजा समय : 19 नवंबर शाम को 05:26 पर।
 
4. उषा अर्घ्य (चौथा दिन) : उषा अर्घ्य अर्थात इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। पूजा के बाद व्रति कच्चे दूध का शरबत पीकर और थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत को पूरा करती हैं, जिसे पारण या परना कहा जाता है। यह छठ पर्व का समापन दिन होता है। यह मुख्य रूप से यह लोकपर्व है जो उत्तर भारत के राज्य पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के लोग ही मनाते हैं। यहां के लोग देश में कहीं भी हो वे छठ पर्व की पूजा करते हैं।
 
उषा अर्घ्य एवं पूजा समय : 20 नवंबर प्रातकाल 06:47 पर।