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Last Updated : गुरुवार, 27 जनवरी 2022 (19:15 IST)

आम बजट : इतिहास के आईने में

आम बजट  : इतिहास के आईने में - History of budget 2021 Union Budget Budget 2021
भारत में सबसे पहले ब्रिटिश शासनकाल में 1860 में आम बजट प्रस्तुत किया गया था। बजट बनाने और पेश करने का श्रेय फाइनेंस मेंबर जेम्स विल्सन को जाता है जिन्होंने 18 फरवरी 1860 को वाइसराय की परिषद में पहली बार बजट पेश किया था। भारत में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलने वाला वित्तीय वर्ष 1867 से शुरू हुआ। इससे पहले तक 1 मई से 30 अप्रैल तक का वित्तीय वर्ष होता था।
 
‘बजट’ लैटिन शब्द ‘बोजते’ से बना है जिसका अर्थ होता है- ‘चमड़े का थैला’। मध्‍यकाल में पश्चिमी देशों के व्‍यापारी रुपए-पैसे रखने के लिए चमड़े के थैले का प्रयोग करते थे। बाद में आय-व्‍यय का ब्‍योरा ‘बजट’ भी सदन में पेश करने के लिए बैग में ही रखकर लाया जाने लगा।
-आजादी से पहले अं‍तरिम सरकार का बजट ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के लियाकत अली खां ने 9 अक्‍टूबर 1946 से लेकर 14 अगस्त 1947 तक के लिए पेश किया था।
-आजाद भारत का पहला अंतरिम बजट 26 नवंबर 1947 को आरके षण्मुखम शेट्टी ने प्रस्तुत किया था।
-भारतीय संविधान के अनुच्छेद-112 में भारत के केंद्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में निर्दिष्ट किया गया है, जो कि भारतीय गणराज्य का वार्षिक बजट होता है।
-आम बजट हर साल फरवरी के अंतिम कार्य दिवस को संसद में पेश किया जाता है जिसे भारत के वित्तमंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है लेकिन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने संसद में बजट भी पेश किया था। 
-बजट को लागू करने से पहले इसे संसद द्वारा पास करना आवश्यक होता है।
-जॉन मथाई आजाद भारत के दूसरे वित्तमंत्री बने थे। उन्होंने 1949-50 का बजट पेश करते हुए पूरा बजट नहीं पढ़ा था बल्कि बजट के कुछ खास बिंदुओं को सदन में पढ़ा। इस बजट में पहली बार योजना आयोग और पंचवर्षीय योजना का जिक्र किया गया था।
-सीडी देशमुख रिजर्व बैंक के एकमात्र ऐसे गवर्नर हैं जिन्होंने 1951-52 में अंतरिम बजट प्रस्तुत किया था।
-1955-56 से बजट के दस्तावेज को हिन्दी में भी तैयार किए जाने लगा। इससे पहले बजट केवल अंग्रेजी भाषा में बनाया जाता था।
-भारत के केंद्रीय बजट में 1955-56 में पहली बार कालाधन उजागर करने की स्कीम शुरू की गई थी।
-पहला विशेष बजट यानी मिनी बजट वित्त विधेयकों के माध्यम से प्रचलित घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थिति की मांग पर ताजा कराधान प्रस्तावों के रूप में 30 नवंबर 1956 को टीटी कृष्णमाचारी द्वारा पेश किया गया था।
-पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने बजट को संसद में प्रस्तुत किया।
-मोरारजी देसाई ने अपने 8 साल के कार्यकाल में सर्वाधिक 10 बार संसद में बजट प्रस्तुत किए। -मोरारजी देसाई जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में 5 साल, जबकि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 3 साल देश के वित्तमंत्री रहे।
-वर्ष 1964 और 1968 में वित्तमंत्री मोरारजी देसाई ने आम बजट अपने जन्मदिन के अवसर पर प्रस्तुत किया था। ऐसा करने वाले वे एकमात्र वित्तमंत्री हैं।
-मोरारजी देसाई ने चार मौकों पर उपप्रधानमंत्री रहते हुए बजट पेश किए।
-देसाई के इस्तीफा देने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्रालय का पदभार संभाला था।
-संसद में बजट प्रस्तुत करने वाली एकमात्र महिला इंदिरा गांधी हैं जिन्होंने 1970 में बजट पेश किया था। इंदिरा गांधी वित्तमंत्री का पद संभालने वाली एकमात्र महिला हैं।
-चौधरी चरण सिंह ने मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार में एक बार आम बजट पेश किया। उस समय वे देश के उपप्रधानमंत्री भी थे।
-वित्त पोर्टफोलियो को हासिल करने वाले राज्यसभा के पहले सदस्य प्रणब मुखर्जी ने 1982-83, 1983-84 और 1984-85 के वार्षिक बजट को प्रस्तुत किया।
-1987-88 में वीपी सिंह द्वारा सरकार से अलग हट जाने के बाद राजीव गांधी देश के तीसरे ऐसे प्रधानमंत्री बने जिन्होंने अपनी मां इंदिरा गांधी और नाना जवाहरलाल नेहरू के बाद बजट को प्रस्तुत किया।
-राजीव गांधी ने 1987 के बजट में पहली बार कॉर्पोरेट टैक्स का न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स से परिचय कराया था।
-1991 में डॉ. मनमोहन सिंह भारत के वित्तमंत्री बने, लेकिन चुनाव की विवशता के कारण पहली बार वे 1991-92 के लिए अंतरिम बजट ही प्रस्तुत कर सके।
-तत्कालीन वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने बजट 1992-93 में अर्थव्यवस्था को मुक्त कर दिया। उन्होंने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया और आयात कर को कम करते हुए 300 से अधिक प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक किया।
-1994 में सेवाकर का प्रावधान केंद्रीय बजट में किया गया था। इस बजट को तत्कालीन वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने पेश किया था।
-टैक्स के दायरे में सर्विस सेक्टर को लाने के विचार के कारण ही बजट में सर्विस टैक्स का प्रावधान किया गया था।
-1996 में चुनाव के बाद एक गैर-कांग्रेसी नेता ने वित्तमंत्री का पद ग्रहण किया इसलिए 1996-97 का अंतरिम आम बजट पी. चिदम्बरम द्वारा प्रस्तुत किया गया। चिदम्बरम उस समय तमिल मानिला कांग्रेस (यूनाइटेड फ्रंट) से संबंधित थे।
-एक संवैधानिक संकट के बाद जब इंद्रकुमार गुजराल का कार्यकाल खत्म हो रहा था, तब पी. चिदंबरम के 1997-98 के आम बजट को पारित करने के लिए संसद का एक विशेष सत्र बुलाया गया था। 
-1997-98 के आम बजट को बिना बहस के ही पारित किया गया था। यह दूसरी बार था, जब अंतरिम और फाइनल बजट अलग-अलग पार्टियों के दो मंत्रियों द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
-वर्ष 2000 तक अंग्रेजी परंपरा से अनुसार बजट शाम को 5 बजे प्रस्तुत किया जाता था, लेकिन 2001 में एनडीए सरकार ने इस परंपरा को तोड़ते हुए शाम की बजाय सुबह 11 बजे संसद में बजट पेश किया।
-वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने पहली बार शाम की बजाय सुबह के वक्त बजट प्रस्तुत किया। तब से लेकर हर साल सुबह के ही वक्त बजट पेश किया जाता है।
-सामान्य स्थिति में बजट निर्माण की प्रक्रिया सितंबर से शुरू हो जाती है।
-बजट के लिए सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त निकायों को सर्कुलर भेजा जाता है जिसके जवाब में विवरण के साथ उन्हें आगामी वित्तीय वर्ष के अपने-अपने खर्च, विशेष परियोजनाओं का ब्योरा और फंड की आवश्यकता की जानकारी देनी होती है। यह बजट की रूपरेखा के लिए एक आवश्यक कदम है।
बजट को सार्वजनिक करने से पहले इसे बेहद ही गुप्त रखा जाता है।
-बजट बनाने के दौरान वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी, विशेषज्ञ, प्रिंटिंग टेक्नीशियन और स्टेनोग्राफर्स नार्थ ब्लॉक में एक तरह से कैद में रहते हैं।
-बजट को संसद में पेश करने से पहले 7 दिनों तक इससे जुड़े अधिकारी बाहरी दुनिया से एकदम कट जाते हैं। वे परिजनों से भी बात नहीं कर सकते हैं। किसी आपातकालीन स्थिति में इन अधिकारियों के परिवार उन्हें दिए गए नंबर पर संदेश छोड़ सकते हैं, लेकिन उनसे सीधे बात नहीं कर सकते।
-इस दौरान नॉर्थ ब्लॉक में ‘हलवा सेरेमनी’ का आयोजन किया जाता है। इसके लिए बड़े पैमाने पर हलवा (स्वीट डिश) तैयार किया जाता है जिसे बजट से जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों के बीच बांटा जाता है। वित्तमंत्री भी इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं।
-संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में इंटेलीजेंस ब्यूरो के अधिकारी बजट बनाने वाली टीम की गतिविधियों और फोन कॉल्स पर नजर रखते हैं।
-इस दौरान स्टेनोग्राफर्स पर सबसे अधिक नजर रखी जाती है।
-साइबर चोरी की आशंका से बचने के लिए स्टेनोज के कम्प्यूटर्स को नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) सर्वर से अलग रखा जाता है।
-इस दौरान एक पॉवरफुल मोबाइल जैमर नॉर्थ ब्लॉक में कॉल्स को ब्लॉक करने और जानकारियों के लीक होने से बचने के लिए इंस्टॉल किया जाता है।
-जहां स्टेनोग्राफर और अन्य अधिकारी काम करते हैं और रहते हैं, वहां वित्तमंत्री के साथ ही इंटेलिजेस ब्यूरो चीफ अचानक दौरा कर सकते हैं। यही क्रम नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट के प्रिंटिंग प्रेस क्षेत्र में भी जारी रहता है।
-पहले बजट पेपर्स राष्ट्रपति भवन में ही छपा करते थे, लेकिन 1950 में बजट पेपर लीक हो जाने के बाद बजट पेपर्स को मिंटो रोड स्थित सिक्योरिटी प्रेस में छापा जाने लगा।
-1980 से बजट पेपर नॉर्थ ब्लॉक से प्रिंट होने लगा।
-भारतीय संविधान के अनुच्छेद-122 के अनुसार देश का आम बजट बनाने के लिए 14 जरूरी डॉक्‍यूमेंट्स की आवश्‍यकता होती है।
-बजट का भाषण वित्तमंत्री का एक सबसे सुरक्षित दस्तावेज होता है। इसे बजट की घोषणा होने के 2 दिन पहले मध्यरात्रि में प्रिंटर्स को सौंपा जाता है।
-बजट का भाषण आमतौर पर 2 भागों में संसद में पेश होता है।
-जिस साल लोकसभा का चुनाव होता है। उस साल 2 बार बजट पेश किया जाता है। पहला- वोट ऑन एकाउंट बजट होता है तो दूसरा कुछ महीने बाद फुल बजट पेश किया जाता है।
-आमतौर पर बजट 11 महीने का तैयार किया जाता है, जो कि अप्रैल से शुरू होकर अगले साल की मार्च तक चलता है।
-देश का बजट एक लीगल डॉक्‍यूमेंट होता है, जो कि विधानमंडल द्वारा पास कराया जाता है। इसे देश का राष्‍ट्रपति एप्रूव करता है।
-बजट के लिए वित्त मंत्रालय के अधिकारी नवंबर में रायसीना हिल्स पर नॉर्थ ब्लॉक में अपने स्टेक होल्डर्स के साथ कंसल्ट शुरू करते हैं। वे सभी मिलकर टैक्स छूट और राजकोषीय प्रोत्साहनों पर बहस करते हैं।
-इस दौरान आगामी वर्ष की बड़ी संभावनाओं पर फोकस रहता है। हितधारकों के साथ आखिरी बैठक होती है जिसकी खुद वित्तमंत्री अध्यक्षता करते हैं।
-योजनाओं में सत्तारूढ़ पार्टी के राजनीतिक झुकाव और उसके सहयोगी दलों की इच्छाओं के हिसाब से सुधार किया जाता है।
-आम बजट फरवरी के अंतिम कार्य दिवस के दिन पेश किया जाता है। सरकार को इसके लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होती है।
-राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही केन्द्रीय वित्तमंत्री संसद में आम बजट को पढ़ते हैं।
-संसद के दोनों सदनों में बजट रखने से पहले इसे यूनियन कैबिनेट के सामने रखना होता है।
-वित्तमंत्री लोकसभा में बजट सुबह 11 बजे पेश करते हैं।
- आमतौर पर बजट दो भागों में बंटा होता है। पहले भाग में सामान्य आर्थिक सर्वे और नीतियों का ब्योरा होता है जबकि दूसरे भाग में आगामी वित्त वर्ष के लिए प्रत्यक्ष और परोक्ष करों के प्रस्ताव को रखा जाता है।
-बजट प्रस्तुत किए जाने के बाद बजट के प्रस्तावों पर संसद में सामान्य और विस्तृत बहस होती है। आमतौर पर यह बहस लोकसभा में 2 से 4 दिन तक चलती है।
-सदन में बहस के अंतिम दिन स्पीकर की ओर से सभी बकाया अनुदान मांगों को वोट पर रखा जाता है।
-लोकसभा में बहस के बाद विनियोग विधेयक पर वोटिंग के साथ वित्त और धन विधेयक पर वोटिंग होती है।
-संसद की मंजूरी के बाद विधेयक को 75 दिन के भीतर मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति के विधेयक को मंजूरी के साथ ही बजट प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
-आजादी के बाद से अब तक 85 बार आम बजट पेश किया जा चुका है, जिसमें सामान्य और अंतरिम दोनों शामिल हैं।
-अब तक 67 सामान्य वार्षिक बजट और 14 अंतरिम बजट पेश किया जा चुका है, जबकि 4 मौकों पर विशेष बजट (special occasion budgetary proposals) पेश किए गए हैं।
-अरुण जेटली आजाद भारत के 26वें वित्तमंत्री हैं, जो संसद में बजट प्रस्तुत करेंगे।
-मोरारजी देसाई के बाद पी. चिदंबरम दूसरे ऐसे वित्तमंत्री हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा बार बजट पेश किए हैं।
-पी. चिदंबरम कुल 9 बार बजट पेश कर चुके हैं।
-मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, यशवंत सिन्हा, वाईबी चव्हाण और सीडी देशमुख ने देश के लिए 7-7 बार बजट पेश किए हैं।
-मार्च 1998 के सामान्य चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी केंद्रीय सरकार का गठन करने वाली थी, तब इस सरकार के वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने 1998-99 के अंतरिम और अंतिम बजट को प्रस्तुत किया था।
-1999 के सामान्य चुनाव के बाद यशवंत सिन्हा एक बार फिर वित्तमंत्री बने और 1999-2000 से 2002-2003 तक 4 वार्षिक बजट प्रस्तुत किए।
-पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वित्तमंत्री रहते हुए 6 बार बजट पेश कर चुके हैं।
-देश के चौथे वित्तमंत्री टीटी कृष्णमचारी ने भी 6 बार बजट पेश किए हैं।
-आर. वेंकटरमण और हरिभाई एम. पटेल ने 3-3 बार आम बजट संसद में प्रस्तुत किए।
-जसवंत सिंह, वीपी सिंह, सी. सुब्रमण्यम, आजाद भारत के पहले वित्तमंत्री आरके षणमुखम शेट्टी तथा दूसरे वित्तमंत्री जॉन मथाई ने 2-2 बार देश के लिए बजट पेश किए हैं।
-मई 2004 में चुनाव होने के कारण अंतरिम बजट को जसवंत सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया।
-पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, चरण सिंह, एनडी तिवारी, मधु दंडवते, एसबी चव्हाण और सचीन्द्र चौधरी ने 1-1 बार बजट पेश किए हैं।
-एनडी तिवारी ने 1988-89, एसबी चव्हाण ने 1989-90 के लिए जबकि मधु दंडवते ने 1990-91 के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत किए थे।
-अरुण जेटली ने कुल 5 बार बजट पेश किया (14-15, 15-16, 16-17, 17-18 और 18-19)। पीयूष गोयल ने एक बार सिर्फ अंतरिम बजट पेश किया था।
-देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एक बार (2019-20) बजट पेश कर चुकी हैं।
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