मशहूर अभिनेत्री और समाजिक कार्यकर्ता शबाना आजमी 46वें फ़ेस्टिवल डेस 3 कॉन्टिनेंट्स में शामिल होने के लिए फ़्रांस जा रही हैं, जो एक बहुत ही महत्वपूर्ण कल्चरल इवेंट है, जो दुनिया भर के सिनेमा को सेलिब्रेट करता है। इस साल, शबाना आजमी को हिंदी सिनेमा में उनके 50 साल के करियर के लिए खास सम्मान दिया जाएगा, जिसमें उनकी शानदार सफलता को सराहा जाएगा।
इस रेट्रोस्पेक्टिव में शबाना आजमी की कुछ बेहतरीन फिल्मों जैसे अंकुर, मंडी, मासूम और अर्थ को चुना जाएगा, जो उनके शानदार अभिनय और बहुमुखी प्रतिभा को श्रद्धांजलि होगी। आजमी की फिल्मों को फ्रांस में दर्शकों से बड़ी सराहना मिली है, जहाँ उन्हें पहले सेंटर पॉम्पिडो और सिनेमैथेक जैसे प्रतिष्ठित स्थानों पर सम्मानित किया जा चुका है, साथ ही नैनटेस फ़ेस्टिवल डेस 3 कॉन्टिनेंट्स में भी, जहां उनकी फिल्म गॉडमदर को ओपनिंग नाइट फ़ीचर के रूप में दिखाया गया था।
2024 में शबाना आजमी के करियर के 50 साल पूरे हो रहे हैं, और हाल ही में मुंबई फ़िल्म फ़ेस्टिवल (MAMI) में उन्हें सिनेमा में अपने शानदार योगदान के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है, जो एक बड़ी उपलब्धि है। वह एकमात्र अभिनेत्री हैं, जिन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए पाँच राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार जीते हैं और कई फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी अपने नाम किया हैं।
शबाना आजमी की अंतरराष्ट्रीय ख्याति में मैडम सौसत्ज़का (1988), सिटी ऑफ़ जॉय (1992), और सन ऑफ़ द पिंक पैंथर (1993) में उनके शानदार अभिनय का योगदान शामिल है। कला में उनके शानदार योगदान के लिए, उन्हें भारत के दो सबसे बड़े नागरिक सम्मान, पद्म श्री (1988) और पद्म भूषण (2012), से नवाज़ा जा चुका है।
सिनेमा में सफलता के अलावा, शबाना आज़मी अपने सामाजिक कार्यों के लिए भी जानी जाती हैं। 1989 में, उन्हें फ्रांस में मानवाधिकारों के एक समारोह में सम्मानित किया गया था, जहां उन्हें मदर टेरेसा, रिगोबर्टा मेनचू और अल्बर्टिना सिसुलु जैसी मशहूर महिलाओं के साथ चुना गया। यह सम्मान राष्ट्रपति फ्रांस्वा मिटर्रैंड ने दिया था, जो उनके आवास और महिला अधिकारों के लिए किए गए कार्यों को मान्यता देता है। यह भी दिखाता है कि शबाना सिनेमा का इस्तेमाल सामाजिक बदलाव के लिए करती हैं।
नैनटेस में हर साल आयोजित होने वाले फेस्टिवल डेस 3 कॉन्टिनेंट्स में अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका की फिल्में दिखाई जाती हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक विविधता और दुनिया भर के फिल्ममेकर्स और दर्शकों के बीच बातचीत को बढ़ावा देना है।