यूथ को इंस्पायर करने वाली फिल्में बनाता रहूंगा : हार्दिक गज्जर
हार्दिक गज्जर इन दिनों अपनी रिलीज़ के लिए तैयार प्रतीक गांधी स्टारर फिल्म 'भवाई' को लेकर सुर्खियों में हैं। दरअसल फिल्म 'भवाई' का नाम पहले 'रावण लीला' था। कुछ लोगों ने फिल्म के इस नाम पर आपत्ति जताई तो किसी भी विवाद से बचने के लिए हार्दिक गज्जर ने फिल्म का नाम बदलकर 'भवाई' रख दिया।
हार्दिक की यह फिल्म 1 अक्टूबर को देशभर में खुले हुए सिनेमाघरों में 50% कैपेसिटी के साथ रिलीज़ हो रही है। फिल्म 'भवाई' को लेकर हार्दिक गज्जर ने खास बातचीत की।
आपकी जर्नी कैसी रही?
मैंने सबसे पहले अपना करियर एक एडिटर के तौर पर शुरू किया था। बाद में मैंने विजुअल इफ़ेक्ट पर काम किया। मैंने 90 शोज और 30 फिल्मों में विजुअल इफेक्ट्स का काम किया है। विजुअल इफ़ेक्ट करने के बाद मैं डायरेक्शन में आया। पहले मैंने टीवी सिलेक्ट किया और बाद में फिल्मों का डायरेक्शन करने लगा।
गुजराती फिल्मों में आपका सफर कैसा रहा?
मैंने 2 गुजराती फिल्मों का डायरेक्शन किया है, उन्हें प्रोड्यूस भी किया है। आगे भी में गुजराती फिल्मों पर काम करता रहूंगा। क्योंकि सफर से ज्यादा यहां मदरलैंड वाला माहौल है, इसलिए मुझे मजा आता है।
किस तरह का सिनेमा आप बनाना चाहते हैं?
मैं इंस्पिरेशनल सिनेमा बनाना चाहता हूं। हमेशा से मेरी जो स्क्रिप्ट रही है या मूवी रही है वह यूथ के लिए इंस्पिरेशनल रही है। फिर चाहे वो लव स्टोरी हो या फिर कोई ड्रामा, इन सभी में कही ना कही हमेशा मैसेज रहा है, तो मैं ऐसा ही सिनेमा बनाना चाहता हूं।
ट्रेलर का फीडबैक आपको कैसा मिला है?
मुझे इंडस्ट्री और नार्मल ऑडियंस से अच्छा फीडबैक मिला है, लेकिन कुछ लोग हैं, जिन्हें यह समझ नहीं आया है, उसका मतलब जानबूझ कर न समझने की ऐक्टिंग करते हैं। वैसे मुझे जनरल फीडबैक बहुत ही अच्छा मिला है।
प्रतीक गांधी से आपकी मुलाकात कहां और कैसे हुई?
पहली बार मैं प्रतीक गांधी को अपने ऑफिस में मिला था। मैंने उन्हें मिलने के लिए ऑफिस बुलाया था। मैंने पहले से उनके कुछ प्ले और वर्क देख रखे थे तो उसके बाद से ही हमारी साथ की जर्नी शुरू हुई है।
इस फिल्म के दो नाम क्यों रखे गए थे?
नहीं इस फिल्म का एक ही नाम है भवाई, लेकिन पहले इस फिल्म का नाम रावण लीला रखा गया था, चूंकि इस नाम से कुछ लोगों को दिक्कत थी तो इसे बदल कर हमने भवाई रख दिया, अब इस फिल्म का एक ही नाम है। भवाई के 2 मतलब होते है एक तो गुजराती फोक कल्चर होता है और एक मैशप वाली कहानी होती है। हमारी फिल्म भी मैशप वाली कहानी पर बनी हुई है। इस फिल्म को पर्सनल लाइफ और कैरेक्टर के मैशप पर बनाया गया है।
इस फिल्म का किसी किताब या किसी लोक कथा से कोई रिलेशन है क्या?
नहीं, यह फिल्म एक फिक्शनल फिल्म है। इसे हमने खुद के आइडिया से लिखा है। इस फिल्म का किसी किताब, किसी स्टोरी या किसी लोक कथा से कोई संबंध नहीं है।
फिल्म की कहानी का सार क्या है?
फिल्म भवाई की कहानी एक अलग तरह की लव स्टोरी है। फिल्म की कहानी गुजरात पर केंद्रित है, इसमें रावण के रोल में नजर आने वाले प्रतीक और सीता का पात्र निभाने वाली ऐंद्रिता के बीच रियल लाइफ में रोमांस हो जाता है, जिसका गांव वाले विरोध करते हैं। दरअसल रावण का रोल प्ले करने के बाद गांव के लोग उसे असल जिंदगी में भी रावण समझने लग जाते हैं। खैर, इस फिल्म को देखने के बाद ही कहानी समझ आएगी, क्योंकि फिल्म को रियल लाइफ और रील लाइफ की जर्नी पर बनाया गया है। जब रील-रियल लाइफ दोनों मिक्स होते हैं तो क्या इम्पैक्ट पड़ता है, इस बात को ध्यान में रखकर कहानी लिखी गई और बाद में फिल्म को बनाया गया है।
प्रतीक को कब साइन किया?
मैं प्रतीक के साथ पहले ही 2 गुजराती फिल्में बना चुका हूं, यह फिल्म हमारी एक साथ की तीसरी फिल्म है। फिल्म भवाई की शूटिंग के दौरान ही प्रतीक को हंसल मेहता ने अपनी वेब सीरीज 'स्कैम' के लिए साइन किया था।
क्या फिल्म की कहानी लिखते समय आपने प्रतीक को ध्यान में रखा था?
इस फिल्म के लिए मुझे एक कॉमन लड़का चाहिए था और एक कॉमन फेस जो होता है वह मुझे प्रतिक में दिखा, इसलिए उन्हें मैंने अपनी इस फिल्म के लिए चुना।
बाकी कलाकारों का चुनाव किस तरह किया गया?
इस फिल्म में जितने भी एक्टर हैं वह सभी थिअटर बैकग्राउंड से है। सभी लोग पहले से फिल्म से कनेक्टेड है। इस फिल्म में कोई भी नॉन थिअटर एक्टर नहीं है। सिर्फ दो लोग है जो थिअटर से नहीं है।
फिल्म का म्यूजिक कितना स्ट्रांग है, म्यूजिक के बारे में बताएं?
फिल्म में उदित नारायण जी ने रामायण की चौपाई गाई है और हमें उनकी आवाज चाहिए थी इसलिए उन्हें लिया गया। मोहित चौहान को भी इसलिए लिया है, मोहित का वॉइस टेक्सचर अलग है, इसलिए उन्हें लिया गया। जहां क्लासिकल म्यूजिक की बात आती है, वहां श्रेया घोषाल जी सबसे ज्यादा जमती हैं, इसलिए उन्हें लिया गया है।
फिल्म में एक अहम किरदार निभा रहे ऐक्टर राजेंद्र गुप्ता, अभिमन्यू सिंह, अंकुर भाटिया और राजेश शर्मा के बारे में क्या कहेंगे?
वह एक वर्सेटाइल एक्टर हैं। वह एनएसडी से पास आउट है। वह हर बार कुछ अलग करके ही दिखाते हैं। फिल्म भवाई में वह प्रतीक के पिता का रोल प्ले कर रहे हैं। पंडित राजारामजी उनका कैरेक्टर है। ऐक्टर राजेश शर्मा के साथ मेरा एक्सपीरयंस काफी अच्छा रहा है। हमने सेट पर काफी मस्ती की है। फिल्म में उनका किरदार रामलीला का ऑफ़-स्टेज और बैक-स्टेज दोनों हैंडल करता है. साथ ही पूरी कंपनी को भी संभालता है। अभिमन्यु सिंह, ड्रामा कंपनी के मालिक की भूमिका में हैं, वह स्टेज पर रावण बनते हैं। मैं अभिमन्यु के साथ पहली बार काम कर रहा हूं। एक्टर अंकुर भाटिया को भी इसी तरह बुलाया है, ऑडिशन हुआ और सिलेक्ट कर लिया। वैसे अंकुर अधिकार लंदन में रहते हैं।
इस फिल्म को कहा कहां-कहां पर शूट किया गया है?
हमने फिल्म भवाई की शूटिंग गुजरात के अलग-अलग जगह के 12 से ज्यादा लोकेशन पर की है। रन ऑफ़ कच्छ के आलावा बहुत सारे गांव है जहां फिल्म को शूट किया गया है। हर रोज काफिला एक नए लोकेशन पर निकलता था और हम उस लोकेशन पर जाकर शूट करते थे।
कौन-कौन से प्रोजेक्ट आपके रेडी है?
भवाई के अलावा एक और प्रोजेक्ट अतिथि भूतो भवः तैयार है। इस फिल्म में प्रतीक गांधी, जैकी श्रॉफ सहित कई और कलाकार भी हैं। भवाई के बाद हमारी अगली फिल्म वही है जो थिअटर में आएगी। इसके अलावा भी रीजनल सिनेमा में दो फिल्म तैयार हैं।