71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरास्कारों में फिल्म 'पार्किंग' को तमिल भाषा की सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया। फिल्म को देखने वाले सभी लोगों ने इसे पसंद किया है। ऐसे में हाल ही में दिल्ली के विज्ञान भवन में जब फिल्म पुरस्कारों के वितरण का समारोह किया गया तब वेब दुनिया की फिल्म के निर्देशक से खास बातचीत हुई।
फिल्म के निर्देशक रामकुमार ने कई खास बातें वेबदुनिया को बताई। रामकुमार बालाकृष्णन कहते हैं, यह तो मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं है। मेरे पास शब्द नहीं है बयां करने के लिए कि अभी मैं कैसा महसूस कर रहा हूं। अभी जरा सोचिए ना मेरी पहली फिल्म को दो राष्ट्रीय पुरास्कर मिलते हैं और वह भी हमारी राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू के हाथों से। लग ही नहीं रहा की मैं सच्चाई में हूं। ऐसा अभी भी महसूस होता है जैसे मैं कोई सपना ही जी रहा हूं।
जब फिल्म शुरू कर रहे थे तो सोचा था की मंजिल तक पहुंचेंगे?
बिलकुल भी नहीं, मेरे दिमाग में भी नहीं था, मेरे ख्याल में भी नहीं था। यह तो मेरी पहली फिल्म है और पहली फिल्म में मुझे इतना बड़ा पुरस्कार मिल गया और वो भी फिल्म को दो-दो पुरस्कार मिले हैं। और मेरे लिए तो अश्चर्य की बात यह भी हो जाती है की इसके पहले मैने कोई राज्य स्तरीय अवॉर्ड भी नहीं जीता जो पहला पुरस्कार जीता वह सीधे राष्ट्रीय पुरास्कर ही जीता है।
कभी सोचा था की आप बड़े हो के फिल्ममेकर बनना चाहेंगे।
मैं फिल्में बनता रहा हूं। कॉलेज के समय में भी मैने कुछ डॉक्युमेंटरी फिल्में बनाई हैं। और उसे बहुत सराहनायें भी मिली हैं और आपको असलीयत बताता हूं। मैं असल में तो एक इंजीनियरिंग का छात्र हूं लेकिन जब रिपोर्ट कार्ड आता था उसके कम नंबर्स देखता था तब समझ में आ गया था कि मुझे कम से कम इंजीनियरिंग तो नहीं करनी है। फिर मैं फिल्में बनाने की तरफ रूख कर गया। मुझे आज भी रजनीकांत सर से बहुत ज्यादा प्रेरणा मिलती है। उनकी फिल्म पाशा मेरी बहुत पसंदीदा फिल्मों में से एक है।
पार्किंग की कहानी चुनने के पीछे कोई कारण?
पार्किंग एक ऐसा विषय है जिससे कोई भी अपने को जोडकर देख सकता है। आईएस में कुछ एक घटनायें असलीयत में हमारे साथ जिंदागी में होती भी है। मैंने कितनी बार कई न्यूज चैनल्स पर देखा है की पार्किंग को लेकर झगड़े भी हो जाते हैं। हमारे दोस्त जब गाड़ी लेकर निकलते हैं तब उनके पास पार्क करने की जगह नहीं होती तब ऐसे में मैंने सोचा कि फिल्म पार्किंग इस विषय को ही लेकर बनाता हूं। क्योंकि कई सारे लोग आईएस फिल्म से अपने आप को कनेक्ट कर सकेंगे। और सच भी है कहीं ना कहीं सभी लोग पार्किंग जैसी समस्या से दो चार होते ही हैं।
हमारे देश की राष्ट्रपति महामाहिम द्रौपादी मुर्मू जी सामने खड़े होना यह कैसा अनुभव रहा।
मुझे तो अभी भी याकिन नहीं हो रहा। मेरे पांव अभी भी जमीन पर नहीं टिक रहे हैं। हम लोगों की पुरास्कर वितरण समारोह के एक दिन पहले भी रिहर्सल होती है। लेकिन पुरास्कर ग्रहण करने की जो रिहर्सल है वह असली में मैं अपने घर पर जाने कितनी बार कर चुका हूं अकेले में। मैने पुराने वीडियो खोलकर देखे कि कैसे स्टेज पर जाते हैं और कैसे अपने आपको पेश करते हैं। यह मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।
पार्किंग फिल्म की शूट करते समय कोई परेशानी सामने आई।
वैसे तो बहुत ज्यादा नहीं हुई लेकिन हां एक बात आपसे बताना चाहूंगा जो एक्सटिरियफ शॉर्ट था यानी की हमारे घर के बाहर के जो शॉट्स लेने थे वो घर हमने जिस मोहल्ले में ढूंढा था वहां पर कुछ परेशनियां हुई। एक तो सूरज कितनी देर में ढल जाएगा इस बात का ध्यान रखना पड़ता था और पास ही में गली में बच्चों का स्कूल था तो उनके स्कूल शुरू होने का समय हो या स्कूल खत्म होने का समय हो तो उस समय हमें बड़ी मुसीबत हो जाया करती थी। क्योंकि यह वह वक्त हुआ था जब हम शूट नहीं कर सकते थे बच्चों का ध्यान रखना भी जरूरी था।
अभी आगे क्या करने की सोची है?
मैने डॉन पिक्चर्स के साथ एक तमिल फिल्म की डील साइन की है। डॉन पिक्चर्स तमिल फिल्म इंडस्ट्री का एक बहुत बड़ा नाम है जिनकी फिल्म पराशक्ति बहुत ही जल्द लोगों के सामने आने वाली है और इसमें शिवा कार्तिक है जैसे बड़े कलाकार कम कर रहे हैं। जहां तक मेरी फिल्म का बात है उसमें लिखने का कम चल रहा है बहुत ही जल्द आपको इसके भी अपडेट्स दे दूंगा।