'हमारी वाली गुड न्यूज' में प्रेग्नेंट सास के रोल में नजर आएंगी जूही परमार, सीरियल के बारे में कही यह बात
हमारी वाली गुड न्यूज में और बधाई हो में देखने पर हो सकता है लोगों को लगे कि यह बधाई हो जैसी फिल्म से या तो इंस्पायर्ड है या लगभग वैसे कहानी है, लेकिन मैं यहां कहना चाहती हूं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। हां, हम दोनों की उम्र यानी मेरी और बधाई हो की एक्ट्रेस नीना गुप्ता की जो उम्र है लगभग एक ही जैसी है वह भी जिंदगी के बहुत आगे बढ़कर 40 की उम्र में जाकर मां बनने वाली होती है और लगभग यही हाल मेरा भी है कि मैं भी 40 साल से ज्यादा की उम्र की हूं और फिर मां बनने वाली हूं।
लेकिन हम दोनों में एक बहुत बड़ा। अंतर है कि नीना गुप्ता जो है वह एक एक्सीडेंटल प्रेगनेंसी है। जबकि मैं यहां अपनी मर्जी से मां बनना स्वीकार करती हूं। यह कहना है जूही परमार का जो हमारी वाली गुड न्यूज़ में एक सास के किरदार में नजर आने वाली हैं। यूनाइटेड सीरियल 20 अक्टूबर से ज़ी टीवी दिखाया जाएगा।
सीरियल की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान वेबदुनिया से खास बातचीत करते हुए जूही ने कई और भी बातों का खुलासा किया। जूही आगे बताती हैं, मेरा जो रोल है वह एक ऐसी सास का रोल है जो पूरे तिवारी खानदान को एक साथ जोड़े रखती है और सबको ले कर आगे बढ़ती है। जैसा कि मैंने आपको कहा, मेरी फिल्म मेरी सीरियल और बधाई हो में लोगों को समानता ही लग सकती है लेकिन एक और अंतर है वह यह कि जब नीना गुप्ता प्रेग्नेंट होती है तो उन्हें कई आलोचना को स्वीकार करना पड़ता है और सामना करना पड़ता है।
जबकि मेरे रोल में होता कुछ यूं है कि मुझे और मेरे परिवार को मालूम पड़ता है कि हमारे घर की बहू मां नहीं बन पाएगी तो ऐसे में मुझे ऐसा लगता है कि अगर मैं इन दोनों के लिए मां बन सकूं और अपने पति के साथ मिलकर अपने बेटे और बहू का दुख बांट सकूं। तो चलो मैं यह काम भी कर जाती हूं। आखिर में मैं एक मां हूं। और अपनी संतानों को खुश देखना चाहती हूं। अगर कोई खुशी उन्हें मेरी जरिए मिलती है। मैं बिल्कुल तैयार हो जाती हूं उस खुशी के लिए नई चुनौती को स्वीकार करने के लिए।
कहानी कुछ बोल्ड नहीं लगती आपको?
मेरा रोल आप चाहे तो बोल्ड कह सकती हैं। सच कहूं तो मुझे लगता है थोड़ा बदलाव लाने की जरूरत है। हमारी सोच में भी और सीरियल में भी कुछ अलग होना चाहिए। हर बार हम सीरियल में सास को एक तरीके से दिखाते हैं और उसी तरीकों को बार-बार दिखाते हैं। सीरियल की जब कहानी मैंने सुनी तो मुझे बहुत अच्छी लगी। इस सीरियल में ना तो मैं किसी पर अत्याचार कर रही हूं ना मैं दुखी हूं ना मैं किसी और को दुखी कर रही हूं बल्कि इसमें मुझे ऐसा लगा कि यह आज के जमाने की सास है।
कहा जाता है हर बार की बहू को बेटी मानना चाहिए वैसा होता नहीं है। लेकिन रेणुका वह सास है जो अपनी बहू को बेटी मानती है। वरना अगर गांव में भी जाएंगे, छोटे शहरों में जाएं तो कई घरों में देखेंगे कि बहू मां नहीं बन पा रही है तो उसे ताने मारे जाते हैं। उसे बुरा बोला जाता है। कई बार घर वापस भेज दिया जाता है। लेकिन रेणुका ऐसी सास नहीं है। वह अपनी बहू के दर्द को समझ रही है और बहू की आधार स्तंभ बन रही है और यह बहुत खूबसूरत तरीके से लिखा गया रोल।
आप तो खुद एक मां है? आपकी बेटी कैसे रिएक्ट करती है जब आपको कैमरा पर देखती हैं?
बहुत अंतर आ गया है जब मैं आपसे पिछली बार मिली थी अपने पिछले सीरियल शनि के ऑन लोकेशन के दौरान उस समय मैं बहुत भारी दिल से अपना घर छोड़ कर आई थी और शूट करने में व्यस्त हुई थी। मेरी बच्ची बहुत छोटी थी तो मेरे मां पिता के पास में रखा था। एक मां उसे छोड़कर जाती है तो बच्ची बहुत रोती थी तो मेरा दिल बहुत टूट जाता था। लेकिन जरूरत भी होती है। आपको कमाना भी पड़ता है इसलिए वह कड़े कदम उठाने पड़े जबकि आज मैं बोलूं तो मेरे लिए तो बहुत ही खुशी का अहसास हो जाता है। मुझे लगता है कि मैं सातवें आसमान पर हूं।
शनि का जो शूट होता था वह शहर से थोड़ा दूर हुआ था बच्चे को इतना समय मैं दे ही नहीं पाती थी। अब बेटी समझती है कि मम्मी को काम पर जाना होता है तो जिस दिन मैंने उसे बताया कि कल से मेरी शूट है और मुझे जाना होगा। तो इतनी खुश हो गई कि खुशी खुशी ने हमें उसने मेरा सारा सामान पैक कर दिया, मेरा मेकअप बॉक्स लेकर मेरा शूट ले जाने वाला बैग भी। मुझे जब भी काम पर जाता देखती है, मेरा हौसला बढ़ाती है। और कहती है कि मम्मी इस सीरियल का प्रीमियर मैं अपने दोस्तों के साथ मिलकर देखना चाहती हूं। मैं भी बताऊंगी कि तुम मेरी मां हो।
शूट के दौरान आप किन किन बातों का ख्याल रखती है?
कोविड-19 समय में जितनी बातों का ख्याल रखा जाए, उतना कम लगता है। हम लोग जो सेफ्टी प्रिकॉशन की बात कही है उन सब का तो ध्यान में रखते हैं लेकिन मुझे कभी-कभी ऐसा लगता जैसे मैं किसी लीप के बाद लौटी हूं जैसा सीरियल में लीप होता है, 10 या 15 साल का लगभग वैसी ही मुझे फीलिंग आती है। कहां तो हम पहले सेट पर शूट खत्म होते ही आपस में कुर्सियां लगाकर बैठ जाते और गप्पे लड़ाते थे। एक दूसरे के घर में जो बना है वह शाम को बैठ कर नाश्ता मिल बैठ कर खाते थे। चाहे वह लंच टाइम हो गया डिनर टाइम हो हम साथ में ही रहते थे।
लेकिन अब बात अलग हो गई है। सब अलग-अलग दूर-दूर बैठते हैं। गप्पे लड़ाने वाला वह समय आ नहीं रहा। खाने के लिए लंच टाइम के लिए या नाश्ते के लिए हम सब अपने अपने कमरे में होते हैं। थोड़ा अजीब लगता है। पर इसी को न्यू नॉर्मल कहा जाएगा। चलिए कोई बात नहीं, यह समय भी बीत जाएगा।
आपकी नजर में एक स्ट्रांग महिला क्या होती है?
स्ट्रांग महिला कभी किसी उम्र की मोहताज नहीं होती जो किसी भी रिश्ते में हो मां, बेटी, सास या बहू हो। मेरी नजर में मजबूत इरादों वाली महिला वह होती है, जो अपने आप पर विश्वास करती है, कई बार होता यूं है कि आप घर में रहने वाले बड़ों की इज्जत रखने के लिए चुपचाप हो जाते हैं और फिर कोई बात नहीं कह के आगे बढ़ जाती। मजबूत इरादों वाली जो महिला होगी उसे मालूम होगा कि कहां तक सहन करना है और किस समय के बाद अपनी जुबान खोलने हैं और बोलना है कि यह ठीक नहीं है। मेरे हिसाब से मजबूत महिला वह होती है। जिसमें यह शक्ति हो कि वह सही या गलत का निर्णय खुद ले सके। वरना आप बीती पुरानी बातों पर रोने से कोई फायदा नहीं होता।