द कश्मीर फाइल्स में स्टार-डांस-फाइट नहीं फिर भी यह फिल्म क्यों देखी ही जानी चाहिए
The Kashmir Files 11 मार्च को रिलीज हुई और देखते ही देखते इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर तूफान मचा दिया। फिल्म को देखने के लिए व्हाट्सअप ग्रुप बन गए और समूह में जाकर लोग फिल्म देखने लगे। यह देख थिएटर वालों ने भी शो और स्क्रीन्स की संख्या बढ़ा दी।
यह एक ऐसी फिल्म नहीं है जिसमें चंद गाने और फाइटिंग सीन है। न ही यह ऐसी मूवी है जिसे कोला गटकते और पॉपकॉर्न खाते हुए देखी जाए। यह एक ऐसी फिल्म है जो आपको झिंझोड़ती है। इतिहास का वो अध्याय सामने रख देती है जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है।
कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से बेदखल करने की बात भी कई ने सुन रखी होगी, लेकिन उनके साथ इतना अत्याचार हुआ, यह बात कम ही लोगों को पता है। फिल्म देखते समय ये अत्याचार देख आप दहल जाते हैं तो सोचिए जिन्होंने यह सब भोगा है उन पर क्या बीती होगी।
फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से सरकार, मीडिया, पुलिस, प्रशासन सभी के सामने कश्मीरी पंडितों को सताया गया, लेकिन यह बात ज्यादा बाहर निकल कर नहीं गई। चीत्कार की यह गूंज दूर तक नहीं सुनाई दी। जहां आप एक और कश्मीरी पंडितों की पीड़ा से रूबरू होते हैं वहीं कई जानकारियां आपको मिलती हैं।
फिल्म की मेकिंग आपको स्तरीय नहीं लग सकती है क्योंकि कम बजट में निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने काम किया है। फिल्म की लंबाई से आपको परेशानी हो सकती है, लेकिन फिल्म का विषय इतना शक्तिशाली है कि ये कमियां दब जाती हैं या इनकी ओर ध्यान नहीं जाता।
फिल्म में दिखाए गए विवरणों की सत्यता पर भी सवाल उठ रहे हैं। थोड़ी अतिश्योक्तिपूर्ण भी हुई तो 80 से 90 प्रतिशत तक फिल्म सच के करीब है। कई कश्मीरी पंडितों, जिन्होंने यह सब भोगा है, का कहना है कि फिल्म में दिखाया गया है उससे ज्यादा उन्होंने भोगा है।