मिर्जापुर 2 के कालीन भैया : शांत, मृदुभाषी और महिलाओं की इज्जत करने वाला 'विलेन'
शहरों के होर्डिंग पर बॉलीवुड स्टार्स नजर आते हैं जो अपनी आगामी फिल्मों के लिए शर्ट उतार कर अपना शरीर प्रदर्शन करते हैं और आकर्षक चेहरे वाली खूबसूरत सुंदरियां सड़क से गुजरने वालों का मन मोहती रहती हैं, लेकिन पंकज त्रिपाठी जैसे आम चेहरे वाले कलाकार को ऐसा मौका यदाकदा ही मिलता है।
मिर्जापुर 2 के होर्डिंग्स और पोस्टर्स में उनका चेहरा प्रमुखता से उभारा गया है जिससे न केवल ये पता चलता है कि वे कितने लोकप्रिय हो गए हैं बल्कि दर्शक भी अब चेहरे के बजाय अभिनय और कंटेंट को महत्वपूर्ण मानने लगा है।
सलमान खान की फिल्म की तरह या उससे भी ज्यादा मिर्जापुर 2 का इंतजार सीजन एक के खत्म होने के बाद से दर्शक कर रहे थे। पंकज से जो भी मिलता, ये सवाल जरूर छोड़ जाता कि मिर्जापुर सीजन 2 कब आ रहा है। पंकज खुद चाहते थे कि ये जल्दी हो, लेकिन साथ में इस बात से भी परिचित थे कि अच्छी चीज बनने में वक्त लेती है।
वे कहते हैं कि वेबसीरिज आसान नहीं होती। तीन फिल्मों के बराबर उसका रनिंग टाइम होता है। अच्छा कंटेंट लिखने में खासा समय खर्च होता है। एक बड़ी यूनिट की जरूरत होती है। आउटडोर शूट होता है और इसके बाद पोस्ट प्रोडक्शन में भी समय लगता है। लॉकडाउन ने रफ्तार को और धीमा कर दिया। इस वजह से मिर्जापुर 2 का इंतजार लंबा हो गया।
मिर्जापुर जब पंकज ने साइन की थी तब सोचा नहीं था कि ऐसी चमत्कारिक सफलता इसे मिलेगी। शो के बनने के दौरान उन्हें महसूस हुआ था कि शो अच्छा बन रहा है, लेकिन उन्हें स्टार बना देगा और कालीन भैया का नाम घर-घर पहचाना जाएगा, ये नहीं सोचा था।
इस सीरिज में उनका किरदार निगेटिव है। आमतौर पर विलेन का रोल निभाते समय कलाकार चीखते-चिल्लाते हैं, डरावना चेहरा बनाते हैं अपने हाव-भाव से डराने की कोशिश करते हैं, लेकिन पंकज ने इसे वास्तविकता के नजदीक रखा है।
कालीन भैया बिलकुल आम आदमी जैसे नजर आते हैं। उनका व्यवहार संयत भरा है। धीमा बोलते हैं। शांत रहते हैं। महिलाओं की इज्जत करते हैं। लेकिन उसका काम उसकी शख्सियत के बिलकुल विपरीत है। शायद उनके अभिनय की यही अदा दर्शकों को पसंद आई और उन्होंने शो को हाथों-हाथ लिया।
पंकज उसी माहौल में पले-बढ़े हैं जहां का यह किरदार दिखाया गया है। वे कहते हैं कि पूर्वांचल में इस तरह के कई किरदार आपको मिल जाएंगे इसलिए उन्हें यह रोल निभाने में आसानी रही और उन्होंने इसकी सोच को फौरन पकड़ लिया।
पंकज मिर्जापुर की सफलता का श्रेय पूरी टीम को देते हैं। साथ ही वे अपने साथी कलाकारों अली फजल, रसिका दुग्गल, द्वियेंदु शर्मा, कुलभूषण खरबंदा की तारीफ भी करते हैं जिनके कारण उनका अभिनय भी बेहतर हुआ।