लियो केलियोन, टेकनोलॉजी डेस्क एडिटर
सोशल नेटवर्क कोरोना वायरस से जुड़ी हुई एंटी-वैक्सीनेशन पोस्ट्स से निबटने में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं। एक कैंपेन ग्रुप के मुताबिक, इस तरह की नुकसानदेह सूचनाओं को इनके संज्ञान में लाए जाने के बावजूद ये इन्हें हटा नहीं पाए हैं।
इस ग्रुप ने फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और यूट्यूब के 900 से ज़्यादा उदाहरण गिनाए हैं। इसमें कहा गया है कि फर्मों ने 95 फ़ीसदी मामलों में न तो इन्हें हटाया या इनसे निबटने का प्रयास नहीं किया। इन चारों प्लेटफॉर्म्स के यहां इस तरह के कंटेंट को रोकने की नीतियां बनी हुई हैं।
सेंटर फॉर काउंटरिंग डिजिटल हेट (सीसीडीएच) ने कहा है कि यूके के नीति निर्माताओं को कंपनियों की जवाबदेही तय करने की योजनाओं को त़ेजी से आगे बढ़ाना चाहिए।
अमेरिकी फर्मों को प्रकाशन से पहले इस रिपोर्ट की एक कॉपी दिखाई गई थी। इसमें चुनिंदा उदाहरण दिए गए थे। लेकिन सीसीडीएच ने ऐसे पोस्ट्स के लिंक्स की पूरी सूची का अभी तक खुलासा नहीं किया है। हालांकि, रिपोर्ट के आने के बाद उसने अब ऐसा करने का वादा किया है।
इससे अमेरिकी कंपनियों की खास मामलों को हल करने की सीमित क्षमता का पता चला है। लेकिन, कंपनियों ने कहा है कि कोरोना वायरस को एक स्वास्थ्य आपात घोषित किए जाने के बाद से उन्होंने लाखों दूसरे आइटमों को हटा दिया है और लेबल लगाया है।
वैक्सीनेशन के नियम
इनमें से किसी भी टेक फर्म ने यूजर्स को वैक्सीनेशन के बारे में ग़लत जानकारियां पोस्ट करने से नहीं रोका। हालांकि, 2019 में मीजल्स के फ़ैलने के बाद फ़ेसबुक ने कहा था कि वह यूजर्स को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) से आने वाली भरोसेमंद जानकारियां पहुंचाने का काम करेगा। इंस्टाग्राम पर फ़ेसबुक का मालिकाना हक है।
ट्विटर और यूट्यूब ने भी उसी साल इस तरह के उपाय किए ताकि यूजर्स को संबंधित षड्यंत्र की थ्योरी से दूर रखा जा सके। हालांकि, प्लेटफॉर्म्स ने कोविड-19 के बाद से अपने नियमों को और सख्त कर दिया है।
फ़ेसबुक ने कहा था कि वह ऐसी पोस्ट्स को हटा देगा जिनसे शारीरिक नुकसान हो सकता है और फैक्ट-चेकर्स द्वारा नकारे गए कंटेंट पर वॉर्निंग लेबल लगाएगा। ट्विटर ने कहा था कि वह कोरोना से जुड़ी हुई ऐसी पोस्ट्स को हटाएगा जिनसे बड़े पैमाने पर पैनिक या सामाजिक उथल-पुथल पैदा हो सकती है और वह दूसरे विवादित या गुमराह करने वाली जानकारियों पर वॉर्निंग संदेश लगाएगा।
यूट्यूब ने कहा है कि उसने कोविड-19 से जुड़े ऐसे सभी कंटेंट को हटा दिया है जो कि नुकसानदेह है या डब्ल्यूएचओ या स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों की मेडिकल सूचनाओं से मेल नहीं खाता है।
षड्यंत्र की थ्योरी
सीसीडीएच ने कहा है कि एंटी-वैक्सीन प्रदर्शनकारियों ने कुल 912 ऐसे आइटम पोस्ट किए जो कि कंपनियों के कोविड-19 नियमों पर खरे नहीं उतरते थे। इन आइटम्स के बारे में जुलाई और अगस्त में इन कंपनियों को बताया गया था। इनमें से-
- फ़ेसबुक को 569 शिकायतें मिलीं। इसने 14 पोस्ट्स हटा दीं। 19 पर वॉर्निंग लगाई, लेकिन कोई भी अकाउंट सस्पेंड नहीं किया। इस तरह से केवल 5.8 फ़ीसदी मामलों पर ही एक्शन लिया गया।
- इंस्टाग्राम को 144 शिकायतें मिलीं। इसने 3 पोस्ट हटाईं, एक अकाउंट सस्पेंड किया और दो पोस्ट् पर वॉर्निंग लगाई। इस तरह से 4.2 मामलों पर एक्शन लिया गया।
- ट्विटर को 137 शिकायतें मिलीं। इसने चार पोस्ट्स हटाईं, दो खातों को सस्पेंड किया और किसी पर वॉर्निंग नहीं लगाई। इससे 4.4 मामलों पर ही एक्शन लिया गया।
- यूट्यूब को 41 शिकायतें मिलीं। इसने इनमें से किसी पर भी कार्रवाई नहीं की।
सीसीडीएच के मुताबिक, जिन पोस्ट्स पर कार्रवाई नहीं की गई, उनके उदाहरण ये थेः
- इंस्टाग्राम की एक पोस्ट जिसमें कहा गया था कि "आने वाली कोरोना वायरस वैक्सीन एक किलर है" जो कि "डीएनए-लेवल डैमेज" करेगी।
- फ़ेसबुक की एक पोस्ट में दावा किया गया कि वायरस को पकड़ने का एकमात्र तरीका "वैक्सीन के जरिए एक वायरस को इंजेक्ट कराया जाए।"
- एक ट्वीट में कहा गया था कि वैक्सीन से लोग जेनेटिक रूप से संशोधित हो जाएंगे और ऐसे में यह ईश्वरीय इच्छा के ख़िलाफ़ होगा।
- यूट्यूब की एक क्लिप में दावा किया कोविड आबादी कम करने के एजेंडे का हिस्सा है और वैक्सीन से कैंसर होता है।
सीसीडीएच ने कहा कि सभी उदाहरणों में हर 10 में से क़रीब एक षड्यंत्र थ्योरीज में माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स का हवाला दिया गया था। इनमें ऐसे सुझाव थे कि वे लोगों में माइक्रोचिप लगाना चाहते हैं जो कि अगर लोग वैक्सीन लगाने से इनकार करते हैं तो उन्हें भूखा रखेगी।
आक्रामक कदम
फ़ेसबुक ने प्रतिक्रिया में कहा है कि उसने कोविड-19 से जुड़ी "ग़लत सूचनाओं को फ़ैलने से रोकने के लिए आक्रामक कदम उठाए हैं।" इनमें 70 लाख से ज़्यादा आइटम्स को हटाने और 9.8 करोड़ आइटमों पर वॉर्निंग लेबल लगाना शामिल है।
ट्विटर ने कहा है कि हालांकि उसने वायरस से संबंधित विवादित सूचना वाले हर ट्वीट पर एक्शन नहीं लिया, लेकिन उसने ऐसी पोस्ट्स पर तरजीह से एक्शन लिया है जिनसे नुकसान हो सकता है।
गूगल ने कहा है कि उसने नुकसान पहुंचाने वाली ग़लत सूचनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ क्लिप्स को बैन करने और अन्य क्लिप्स पर फैक्ट चेकिंग पैनल्स लगाने जैसी चीज़ें शामिल हैं।
लेकिन, सीसीडीएच के चीफ़ एग्जिक्यूटिव इमरान अहमद ने कहा कि यूएस और यूके में राजनेता और रेगुलेटर्स को इन कंपनियों को सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर करना चाहिए। इमरान कहते हैं, "यह एक आसन्न ख़तरा है। यह हमारे समाजों में कभी भी फट सकने वाले बम की तरह से है।"
लंदन बेस्ड सीसीडीएच को पियर्स फाउंडेशन, जोसेफ रोनट्री चैरिटेबल ट्रस्ट और बैरो कैडबरी ट्रस्ट से पैसा मिलता है। पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट चेतावनी देते हैं कि कोरोना वायरस वैक्सीन षड्यंत्र थ्योरीज ऑनलाइन तेज़ी से फ़ैलती हैं और सभी के लिए एक गंभीर ख़तरा हैं।
अगर बड़ी तादाद में लोग यह तय कर लें कि वैक्सीन लगाना सुरक्षित नहीं है तो हमारी बीमारी को ख़त्म करने की मुहिम सीमित रह जाएगी। वैक्सीन सुरक्षित है और पूरी तरह से टेस्ट की गई है, इसे लेकर चिंता होना जायज बात है। इस मसले पर निजी चैट्स या ऑनलाइन चर्चा होना भी ग़लत नहीं है।
लेकिन, ये दावे कि कोरोना वायरस वैक्सीन मास सर्विलांस या जेनोसाइड के लिए इस्तेमाल की जाएगी, इनसे केवल नुकसान ही होगा। ये थ्योरीज अक्सर लोकप्रिय छद्म-वैज्ञानिक चेहरों और ग़लत सूचना फ़ैलाने के लिए कुख्यात बड़े फ़ेसबुक पेजों के जरिए फ़ैलती हैं।
सोशल मीडिया कंपनियों ने कहा है कि वे इन पर एक्शन ले रही हैं, लेकिन आलोचकों का कहना है कि अगर इन्होंने और कदम नहीं उठाए तो इससे एक सार्वजनिक स्वास्थ्य तबाही का सामना करना पड़ सकता है।