गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. Shatrughan Sinha
Written By
Last Modified: रविवार, 7 अप्रैल 2019 (08:24 IST)

'आडवाणी जी ने पार्टी नहीं छोड़ी तो मतलब ये नहीं कि कोई और भी न छोड़े'

'आडवाणी जी ने पार्टी नहीं छोड़ी तो मतलब ये नहीं कि कोई और भी न छोड़े' - Shatrughan Sinha
भूमिका राय, बीबीसी संवाददाता
लोकसभा चुनाव से कुछ ही समय पहले बीजेपी का स्टार चेहरा रहे शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। उन्हें कांग्रेस से पटनासाहिब से लोकसभा चुनाव के लिए टिकट भी दे दिया गया है।
 
शत्रुघ्न सिन्हा 30 साल तक बीजेपी से जुड़े रहे और पार्टी के बड़े नेता के तौर पर उनकी पहचान रही। उन्होंने पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री पद भी संभाला। लेकिन, लंबे समय से वह पार्टी से नाराज़ चल रहे थे और कई मंचों पर अपनी नाराजगी भी जाहिर कर चुके थे। हाल ही में वो महागठबंधन की रैलियों में शामिल हुए और मौजूद सरकार के ख़िलाफ़ खुलकर बयान दिए।
 
शत्रुघ्न सिन्हा पटनासाहिब से सांसद हैं लेकिन इस बार पार्टी से उन्हें टिकट नहीं मिला। पटनासाहिब से बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद को टिकट दिया गया है।
 
कई सालों से अलग-अलग मसलों पर मतभेद के बावजूद भी शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी से जुड़े रहे थे। पर अब उन्होंने पार्टी छोड़ने के फैसला क्यों लिया और एक नई पार्टी व विचारधारा से वो किस तरह तालमेल बैठाएंगे, ऐसे कई मसलों पर उन्होंने बीबीसी से बात की।
 
30 साल तक बीजेपी में रहने के बाद पार्टी छोड़ने का फैसला लेने की जरूरत क्यों पड़ी?
 
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी वरना यूं ही कोई बेवफा नहीं होता। कुछ तो बात रही है और सिर्फ मेरे साथ ही नहीं है। मैं अपने मान-सम्मान और अपमान की बात नहीं करता हूं। भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता, गुरु और मार्गदर्शक लाल कृष्ण आडवाणी के साथ क्या हुआ सबने देखा। वो इतने विक्षुब्ध हुए कि उन्हें अपना ब्लॉग लिखना पड़ा। उस ब्लॉग से पूरा देश विचिलत हो गया। बीजेपी के कई बड़े नेता जैसे मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी को इतनी तकलीफें हुईं कि उन्होंने पार्टी से ही मुंह मोड़ लिया।
 
मैं फिर भी निभा रहा था और देख रहा था कि धीरे-धीरे लोकशाही तानाशाही में बदल रही है। मुझे सामूहिक फैसले लेने का जमाना खत्म होता दिखा। जब यहां वन मैन शो और टू मैन आर्मी कि स्थिति लगने लगी तो मैंने ये फैसला लिया। मैंने पार्टी के खिलाफ कभी कोई बगावत नहीं की। मैंने जो भी कहा वो राष्ट्रहित में कहा। अपने लिए कभी कुछ नहीं मांगा और निस्वार्थ भाव से पार्टी के लिए काम करता रहा।
 
आप बार-बार आडवाणी जी की बात करते हैं लेकिन तमाम बातें होने बावजूद आडवाणी जी अब भी पार्टी का हिस्सा हैं...
लाल कृष्ण आडवाणी ने पार्टी नहीं छोड़ी क्योंकि वो पार्टी के एक बहुत बड़े नेता हैं और बहुत परिपक्व हैं। मुझे आज जहां कई बड़े और दिग्गज नेताओं की पार्टी रही कांग्रेस से जुड़कर बहुत खुशी है वहीं, बीजेपी के स्थापना दिवस पर उसे अलविदा कहने का दुख भी है। जिस पार्टी में मेरा पालन-पोषण हुआ और मैंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की मुझे उसे अलविदा कहना पड़ा।
 
नोटबंदी हो या जीएसटी मैंने हमेशा जनता के मसलों को उठाया लेकिन उस पर कहा गया कि मैं बगावत कर रहा हूं। इसलिए मुझे भी कहना पड़ा कि अगर सच कहना बगावत है, तो हां मैं बागी हूं।
 
आडवाणी जी के अंदर बहुत गहराई है, ठहराव है और उनकी पिता समान छवि है इसलिए अगर उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी तो जरूरी नहीं कि कोई और भी पार्टी न छोड़े। खासकर कि जिसके अंदर सामर्थ्य है, संघर्ष करने के लिए और क्षमता है और जनता से जिसका लगातार जुड़ाव बना हुआ है। जो जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरता हो उसे जरूर आगे बढ़ना चाहिए। एक नई और सही दिशा की तलाश करनी चाहिए।
 
इतने साल तक आप बीजेपी की विचारधारा से जुड़े रहे हैं। कांग्रेस और बीजेपी कई मामलों में अलग विचार रखते हैं जैसे कि राम मंदिर मुद्दा, तो इससे आप कैसे तालमेल बैठाएंगे?
 
मैं राम मंदिर के मुद्दे पर कुछ नहीं बोल सकता। ये तय हो चुका है कि सर्वसम्मति से कोई फैसला हो या सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतज़ार किया जाए।
 
लेकिन, चुनाव के समय में इस मुद्दे को लेकर आना लोगों का ध्यान बंटाना है। कभी तीन तलाक के मुद्दे को चुनाव के समय ले आते हैं। कभी चुनाव की घड़ी में बड़े-बड़े लुभावने वादे कर जाते हैं। विचारधारा भले ही दोनों की अलग है लेकिन दोनों का मुख्य एजेंडा वही है, देश की आर्थिक प्रगति, धर्मनिरपेक्षता खासकर कांग्रेस का, विकास, शांति और समृद्धि।
 
आपके लिए पटनासाहिब सीट अब कितनी चुनौतिपूर्ण हो जाएगी?
 
मुझे पटनासाहिब की जनता पर भरपूर विश्वास है। उनकी आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहा है। बिहार परिवार के साथ भी बहुत पुराना नाता है। मुझे बिहारी बाबू के नाम से पूरा देश जानता है।
 
पिछली बार के चुनाव सबसे आखिर में देर रात मेरे नाम की घोषणा हुई थी और कई लोगों ने कोशिश की थी कि मेरी राह में रुकावट पैदा करने की लेकिन उसके बावजूद पटनासाहिब की जनता और बिहार परिवार ने पिछले चुनाव में मुझे चुना था। इसी आधार और विश्वास पर मैं ये चुनाव लड़ रहा हूं।
ये भी पढ़ें
अमित शाह किस खेल में कभी नहीं हारते