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घर बेचकर बिज़नेस शुरू करने वाली अब है अरबपति

घर बेचकर बिज़नेस शुरू करने वाली अब है अरबपति - jo horgan mecca store
मेकअप खरीदने वाली सारी महिलाएं जानती हैं कि ये कितना मुश्किल काम है। दुकानों पर अलग-अलग ब्रांड के काउंटर लगे होते हैं जिन पर मौजूद लड़कियां अपने-अपने प्रॉडक्ट भिड़ाने में लगी रहती हैं फिर चाहे वो ग्राहक की त्वचा को सूट करे या नहीं।
 
जो होरगन इस ज़ोर-ज़बरदस्ती से इतना परेशान हो गईं कि उन्होंने सूरत बदलने का फ़ैसला किया। फ़्रांस की एक बड़ी कॉस्मेटिक कंपनी लोरियाल में बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर काम करने वाली जो ने अपनी नौकरी छोड़ी, घर बेचा और अपना ख़ुद का स्टोर खोल लिया।
 
मेक्का नाम के इस कॉस्मेटिक बुटीक में नार्स और अरबन डीके जैसी अच्छी कंपनियों का मेकअप बेचा जाता था। साथ ही सामान की ख़ूबियों के बारे में साफ़ तौर पर जानकारी दी जाती थी जिससे ग्राहक सोच-समझकर फ़ैसला कर सके। 1997 में ये बिल्कुल नया कॉन्सेप्ट था। 
 
इसलिए इसकी शोहरत इतनी तेज़ी से बढ़ी कि महज़ दो दशक में ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में मेक्का के 87 स्टोर हैं जिनकी सालाना कमाई 287 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर यानी कई हज़ार करोड़ रुपए है। सही वक़्त पर सही मौक़े को पहचानने वाली जो होरगन आज ऑस्ट्रेलिया की ब्यूटी इंडस्ट्री के सबसे बड़े नामों में से एक हैं।
 
मां को तैयार होते देखती थीं जो : अपना बचपन लंदन में बिताने वाली जो अपनी मां को तैयार होते देखती थीं। मेकअप से उन्हें तभी से प्यार हो गया था। जो बताती हैं कि हम अपनी पुराने तरीक़े की ड्रेसिंग टेबल पर बैठकर बातचीत करते थे। वो हमारे लिए बड़ा ख़ास समय होता था।
 
जब होरगन 14 बरस की हुईं तो उनका परिवार लंदन छोड़कर ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में बस गया। अपनी उम्र की सभी लड़कियों की तरह जो को भी मेकअप करना पसंद था लेकिन उन्होंने ये कभी नहीं सोचा था कि एक दिन मेकअप ही उनका करियर बन जाएगा।
 
पर्थ से स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद जो ने पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया से अंग्रेज़ी साहित्य की पढ़ाई की और फिर अमेरिका की बोस्टन यूनिवर्सिटी से कम्युनिकेशन में मास्टर्स किया। इसके बाद उन्होंने लंदन में लोरियाल के साथ नौकरी शुरू की और बाद में मेलबोर्न ऑफ़िस शिफ़्ट हो गईं। जो के मुताबिक़ उन्होंने लोरियाल को मेकअप की वजह से नहीं बल्कि मार्केटिंग सीखने के लिए चुना था।
वे बताती हैं कि "लोरियाल की नौकरी बहुत मुश्किल थी। उसमें शुरुआत से ही नतीजे देने का दबाव था और किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया जाता था।" जिस वक़्त जो ने लोरियाल छोड़कर मेक्का खोलने का फ़ैसला किया उनकी उम्र महज़ 29 साल की थी। जो के मुताबिक़ उनकी उम्र उनके लिए फ़ायदेमंद रही क्योंकि उन्हें पता था कि युवाओं को क्या चाहिए। मैं ख़ुद भी ग्राहक थी। जब आप ग्राहक को अच्छे से जानते हैं तो काम और आसान हो जाता है।"
 
हालांकि सफ़र हमेशा आसान नहीं रहा : मेक्का शुरू करने के कुछ साल बाद ही ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की क़ीमत गिर गई जिसकी वजह से विदेशी कंपनियों के सामान खरीदना और भी महंगा हो गया।
 
इसका सीधा नुकसान जो को हुआ, "वो बहुत मुश्किल दौर था क्योंकि आप ख़ुद दोगुनी क़ीमत देकर सामान खरीदते हैं लेकिन अपने ग्राहक से नहीं कह सकते कि माफ़ कीजिए, हमें इस सामान की क़ीमत बढ़ानी पड़ेगी।"
 
इसे एक बड़ी सीख बताते हुए जो कहती हैं कि "मुड़कर देखूं तो ये एक तोहफ़े के समान था। इससे मेरे दिमाग़ को अविश्वसनीय धार मिली। मुझे पता चला कि अपने बिज़नेस को जारी रखने के लिए मुझे कौन से बदलाव करने होंगे।"
 
जो ने तक़रीबन डेढ़ दशक तक बाज़ार पर एकछत्र राज किया। लेकिन 2014 में सेफ़ोरा के ऑस्ट्रेलिया आने के साथ ही उनके सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई। सेफ़ोरा फ़्रांस के बहुत बड़े व्यापारिक समूह LVMH (लुई विताँ, मोवेत एनेसी) का स्टोर है जिस पर कई बड़ी कंपनियों के मेकअप और ब्यूटी प्रॉडक्ट मिलते हैं। ऑस्ट्रेलिया में सेफ़ोरा के 13 स्टोर हैं।
 
लेकिन जो को इससे डर नहीं लगता : उनका कहना है कि हमारा मक़सद मुक़ाबले में ज़्यादा देर तक टिके रहने और उन्हें मात देने का है। 2001 में ही इंटरनेट पर आ चुकी उनकी कंपनी मेक्का को जल्दी शुरुआत करने का फ़ायदा भी मिलता है।
 
मेक्का की वेबसाइट को हर महीने 90 लाख बार देखा जाता है। इसके अलावा वे फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए भी प्रचार करते हैं। जो होरगन के मुताबिक़ कॉम्पिटीशन को मात देने के लिए उनकी सबसे पहली नीति अपनी ग्राहक सेवा को बेहतर करना है। इसके लिए कंपनी अपने टर्नओवर का तीन फ़ीसदी अपने 2500 से ज़्यादा कर्मचारियों की ट्रेनिंग में खर्च करती है।
 
पति के साथ मिलकर संभालती हैं कंपनी : जो के पति पीटर वेटनहॉल भी उनके काम में हाथ बंटाते हैं। वे 2005 में कंपनी के को-चीफ़ एग्जिक्यूटिव बने। जो और पीटर की मुलाक़ात हार्वर्ड में पढ़ने के दौरान हुई। उनके दो बच्चे हैं। जो के मुताबिक़ वे ख़ुद को और अपने पति को को-सीईओ के तौर पर देखती हैं क्योंकि वे दोनों कंपनी में अपने-अपने तरीक़े से योगदान करते हैं।
 
वे पूरी साफ़गोई से बताती हैं कि "मैं बहुत अच्छी बॉस नहीं हूं। मुझे मालूम है कि ऐसे कई काम हैं जो मैं अच्छे से नहीं कर पाती।"
 
तो फिर वे यहां तक कैसे पहुंचीं? जो का कहना है कि "मैं उन क्षेत्रों के जानकारों को भर्ती करती हूं और उन्हें भी उसी तरह आगे बढ़ने का मौक़ा देती हूं जैसे मैंने सीखा।"
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