शुक्रवार, 20 सितम्बर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. AAP to contest election on all seats in Madhya Pradesh
Written By BBC Hindi
Last Updated : बुधवार, 15 मार्च 2023 (08:21 IST)

आम आदमी पार्टी मध्य प्रदेश की सभी सीटों से लड़ेगी चुनाव, किसे होगा नुक़सान?

आम आदमी पार्टी मध्य प्रदेश की सभी सीटों से लड़ेगी चुनाव, किसे होगा नुक़सान? - AAP to contest election on all seats in Madhya Pradesh
शुरैह नियाज़ी, बीबीसी हिंदी के लिए, भोपाल से
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने मध्य प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ने की घोषणा की है। मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भोपाल में आयोजित एक रैली में चुनावी बिगुल फूंकते हुए ये घोषणा की कि राष्ट्रीय राजधानी और पंजाब की तर्ज पर ही मध्य प्रदेश में अगर उनकी सरकार आई तो बिजली, स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाओं को मुफ़्त कर दिया जाएगा।
 
केजरीवाल ने कहा, "मध्य प्रदेश में भी एक मौक़ा दीजिए। यहां भी सब मुफ़्त कर देंगे। काम न करूं तो दोबारा वोट मांगने नहीं आऊंगा।"
 
इससे पहले केजरीवाल ने प्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान करते हुए भेल क्षेत्र के दशहरा मैदान में आई जनता से कहा कि आम आदमी पार्टी मध्य प्रदेश के अंदर आ चुकी है और अब पूरा प्रदेश बदलाव चाह रहा है।
 
केजरीवाल ने कहा कि आपको ईमानदार पार्टी का विकल्प मिल गया है। वे बोले, "जैसे हमने दिल्ली को बदला है। वैसे ही मध्य प्रदेश को भी बदल देंगे। ट्रेलर मिल चुका है। सिंगरौली में रानी अग्रवाल मेयर बन गई हैं। विधानसभा चुनाव में आपको पूरी फ़िल्म दिखाएंगे।"
 
क्या आम आदमी पार्टी मध्य प्रदेश में अपनी राजनीतिक छाप छोड़ पाएगी? केजरीवाल की पार्टी के यहां से चुनाव लड़ने पर किसे सबसे अधिक नुक़सान होगा?
 
आप से किसे पहुंचेगा सबसे अधिक नुक़सान?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मध्य प्रदेश में आम आदमी पार्टी का पहला चुनाव है, लिहाज़ा वह कैसा प्रदर्शन करेगी यह तो देखने वाली बात होगी, हालांकि उन्होंने अनुमान लगाया कि कांग्रेस को वो नुक़सान पहुंचा सकती है।
 
कांग्रेस पर नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई का कहना है कि यह कांग्रेस के लिए चिंता की बात है, जबकि भारतीय जनता पार्टी को इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला।
 
उन्होंने कहा, "इसका आना कांग्रेस के लिए सीधा नुक़सान है। 2018 में हुए पिछले चुनाव में हमने देखा कि भाजपा और कांग्रेस लगभग बराबर ही रहे थे। इस बार कांग्रेस पर दबाव है कि वो कम से कम 25 सीटों के अंतर से जीत दर्ज करे क्योंकि पिछली बार पार्टी टूट गई थी।"
 
गुजरात का उदाहरण देते हुए रशीद किदवई कहते हैं कि वहां पर भी कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को कुछ नहीं समझने की भूल की थी जिसका उन्हें नुक़सान उठाना पड़ा था।
 
ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार राकेश अचल का भी मानना है कि आम आदमी पार्टी बहुत कुछ तो नहीं कर सकेगी, लेकिन नुक़सान पहुंचाने का माद्दा ज़रूर रखती है। वे कहते हैं, "ये नुक़सान पहुंचाने का माद्दा रखती है और जब नुक़सान की बात की जाएगी तो वो कांग्रेस को होगा।"
 
मध्य प्रदेश की राजनीति में अन्य दल
अचल बताते हैं कि आमतौर पर मध्य प्रदेश की राजनीति अब तक दो दलीय ही रही है और यहां दो मुख्य राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस रहे हैं।
 
अचल कहते हैं, "बीच में हमने बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टियों को भी कुछ सीटों पर जीतते देखा है। वो उत्तर प्रदेश से लगे क्षेत्रों में कुछ सीटें जीतने में कामयाब रही हैं। हालांकि बाद में सत्ताधारी पार्टी उन्हें अपने दल में मिलाने में सफल रही थी।"
 
वे कहते हैं, "इस बार भी चुनाव दोनों पार्टियों के बीच ही है, लेकिन आम आदमी पार्टी कांग्रेस का खेल बिगाड़ने का काम करेगी।"
 
अचल का मानना है, ''आप अगर 100 सीटों पर चुनाव लड़ती तो भी कांग्रेस के लिए ख़तरा होता। हालांकि पार्टी को सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए सही प्रत्याशी मिलने में मुश्किल होगी।"
 
क्या आम आदमी पार्टी बनेगी तीसरा विकल्प?
जहां विश्लेषकों का मानना है कि 'आप' या ओवैसी की पार्टी के मध्य प्रदेश से चुनाव लड़ने से भाजपा के लिए राह आसान ही होगी, वहीं वे ये भी कहते हैं कि इससे यहां की दो मुख्य पार्टियों से नाराज़ लोगों को तीसरा विकल्प भी मिलेगा।
 
रशीद किदवई कहते हैं, "सब से बड़ी बात ये है कि 'आप' का जो एजेंडा है वो कांग्रेस के अनुरूप ही है और काफ़ी आकर्षक भी है।" वे कहते हैं, "अभी तक की दलीय स्थिति में हमने प्रदेश की सीमा से लगे इलाके में ही नई पार्टियों का असर देखा है, लेकिन 'आप' पूरी तरह से शहरी पार्टी है और किसी को भी आकर्षित करने का माद्दा रखती है।"
 
रशीद किदवई के मुताबिक़, "आप प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस से नाराज़ मतदाताओं के लिए एक तीसरा विकल्प भी उपलब्ध कराता है जो पहले यहां के लोगों के पास नहीं था।" हालांकि उनका ये भी मानना है कि इन पार्टियों के आने से सत्तारूढ़ भाजपा की राह आसान हो रही है।
 
रशीद किदवई कहते हैं, "असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी प्रदेश में अपने हाथ आज़माएगी और वो भी काग्रेंस के ही वोट कम करेगी।"
 
कांग्रेस और भाजपा
मध्य प्रदेश में इस साल के आख़िर में विधानसभा की 230 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने हैं। शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं और उनकी कोशिश पांचवीं बार भी सरकार बनाने की रहेगी।
 
वहीं कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी एक बार फिर से सत्ता में लौटने के लिए बेताब हैं। पिछली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों के पार्टी से टूट जाने की वजह से कमलनाथ को 15 माह के अंदर ही अपना पद गंवाना पड़ा था।
 
निकाय चुनाव में मिली जीत से 'आप' के हौसले बुलंद
मंगलवार को अपनी रैली में केजरीवाल ने ये भी कहा कि उन्हें रोकने के लिए हर तरह के षड्यंत्र किए गए। वे बोले, "हर तरह के षड्यंत्र किए गए, लेकिन हम दिल्ली से पंजाब पहुंच गए और शेर की मांद से गुजरात में 14 प्रतिशत वोट भी ले लिए।"
 
इस दौरान उन्होंने ये भी दावा किया कि 2027 में गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी।
 
गुजरात में 2017 में आम आदमी पार्टी ने 29 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन सभी उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हो गई थी। वहीं 2022 में पार्टी को जीत तो केवल पांच सीटों पर ही मिली, लेकिन 35 सीटों पर उनके प्रत्याशी नंबर-2 पर रहे। वहीं 12।02 फ़ीसद वोट शेयर भी उसे हासिल हुआ।
 
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी भोपाल में चुनावी सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि 'नीयत साफ़ हो तो सब कुछ हो सकता है। वही पंजाब में 'आप' ने कर भी दिखाया है।'
 
आप ने पिछले शहरी निकाय चुनाव में प्रदेश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। सिंगरौली नगर निगम में आप की प्रत्याशी रानी अग्रवाल मेयर बनाने में कामयाबी रही थीं। इसके अलावा पार्टी के अलग-अलग जगहों पर 52 पार्षद भी जीत कर आए हैं।
 
पार्टी विधानसभा चुनावों में कितनी पैठ बना सकती है, यह कह पाना अभी मुश्किल है, लेकिन राजनीति को क़रीब से समझने वाले लोगों की बात की जाए तो वो मानते हैं कि इस बार पार्टी अपनी जीत से अधिक कांग्रेस का खेल बिगाड़ने की कूव्वत रखती है।
ये भी पढ़ें
निशाने पर लालू परिवार, क्या फिर साथ छोड़ेंगे नीतीश कुमार