मकर संक्रांति पर कविता : मैं पतंग हूं
संजय वर्मा 'दृष्टि' | मंगलवार,जनवरी 10,2023
मैं पतंग हूं आकाश में उड़तीं, रंग-बिरंगी पतंगें, करती न कभी
किसी से भेदभाव। जब उड़ नहीं पाती, किसी की पतंगें तो देते मौन ...
भगोरिया हाट : लोकगीत और लोक संस्कृति का मधुर पर्व
संजय वर्मा 'दृष्टि' | सोमवार,मार्च 14,2022
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में भगोरिया पर्व आते ही वासंतिक छटा मन को मोह लेती हैँ वहीं इस पर्व की पूर्व तैयारी करने से ...
Makar Sankranti Poem : कटती डोर, दुखता मन
संजय वर्मा 'दृष्टि' | गुरुवार,जनवरी 6,2022
Sankranti Kite Poem पतंग क्या चीज, बस हवा के भरोसे। जिंदगी हो इंसान की
आकाश और जमीन के, अंतराल को पतंग से,
कविता : संजा के मीठे बोल
संजय वर्मा 'दृष्टि' | सोमवार,सितम्बर 27,2021
दीवारें सज जाती पूरे गांव की और संजा बन जाती जैसे दुल्हन प्रकृति के प्रति स्नेह को दीवारों पर जब बांटती बेटियां
एक अप्रैल पर कविता : अप्रैल फूल
संजय वर्मा 'दृष्टि' | गुरुवार,अप्रैल 1,2021
अप्रैल फूल कहीं नहीं खिलता मगर खिल जाता एक अप्रैल को क्या, क्यों, कैसे ?
अफवाओं की खाद से और
होली की कविता : फागुन में बिखेरे टेसू ने रंग
संजय वर्मा 'दृष्टि' | शुक्रवार,मार्च 19,2021
बिन पानी खिल जाते टेसू फागुन में, पानी संग मिल रंग लाते टेसू फागुन में, रंगों के खेल हो जाते शुरू फागुन में
दुश्मनी ...
बच्चों की कविता : सूरज के ठाठ
संजय वर्मा 'दृष्टि' | शुक्रवार,जनवरी 15,2021
शाम हुई थका सूरज पहाड़ों की ओट में, करता विश्राम। गुलाबी, पीली चादर बादल की ओढ़े
मकर संक्रांति पर कविता : मैं पतंग हूं
संजय वर्मा 'दृष्टि' | बुधवार,जनवरी 13,2021
पतंग क्या चीज बस हवा के भरोसे। जिंदगी हो इंसान की आकाश और जमीन के अंतराल को पतंग से
नागपंचमी : नागवंश का इतिहास और नाग पूजा
संजय वर्मा 'दृष्टि' | सोमवार,अगस्त 5,2019
उज्जैन में नागचंद्रेश्वर का मंदिर नागपंचमी के दिन ही खुलता है व सर्प उद्यान भी है। खरगोन में नागलवाड़ी क्षेत्र में ...
अटल जी को श्रद्धांजलि : सूर्य कभी अस्त नहीं होता...
संजय वर्मा 'दृष्टि' | रविवार,दिसंबर 23,2018
सूर्य उदय से सूर्यास्त तक सुनहरी गुलाबी बदलती किरणों को निहारकर शब्दों में